Bihar Politics: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी ने आखिरकार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका दे ही दिया है. मांझी के बेटे संतोष सुमन ने मंगलवार (13 जून) को नीतीश कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार उन पर पार्टी विलय करने का दबाव बना रहे थे. उनका कहना है कि सम्मान के खोकर उन्हें सत्ता नहीं चाहिए. हालांकि, ये सभी को पता है कि इसके पीछे असली वजह क्या है. दरअसल, जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में 5 सीटों की डिमांड की थी. उन्होंने साफ कहा था कि यदि उनकी मांग पूरी नहीं हुई तो वो अपनी कसम तोड़ भी सकते हैं.
मांझी के बेटे ने ऐसे वक्त में इस्तीफा दिया है जब सीएम नीतीश कुमार विपक्ष की बैठक की तैयारियों में बिजी थे. नीतीश कुमार आगामी 23 जून को वो पटना में विपक्षी नेताओं को एक मंच पर खड़ा करने की तैयारी कर रहे थे. संतोष मांझी ने उनके इस काम में खलल डाल दिया. संतोष के इस्तीफे से विपक्षी एकता के दावों की पोल खुल गई. वहीं संतोष मांझी ने पूरी तरह से अपने पिता के इशारे पर इस्तीफा दिया है. मांझी को पता था कि महागठबंधन की भीड़ में उनकी मांग पूरी हो नहीं सकती थी, लिहाजा वो अब नए साथी के साथ नए कलेवर में नजर आएंगे.
अब वो किसी भी वक्त फिर से एनडीए में वापसी कर सकते हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या एनडीए में बीजेपी उनकी मांग पूरी कर पाएगी? दूसरा नीतीश कुमार से मिले धोखे के बाद क्या बीजेपी पुरानी गलती दोहराएगी. और क्या गारंटी है कि जीतन राम मांझी फिर से पलटी नहीं मारेंगे? ये सवाल उस वक्त और अहम हो जाता है जब बीजेपी खुद ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हो. इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी अपने गठबंधन का विस्तार करना चाहती है. लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं है कि वो सहयोगियों को इतनी सीटें भी नहीं देगी, जिससे उसके लिए मुश्किल खड़ी हो जाए.
बिहार में बीजेपी के साथ अभी पशुपति पारस हैं. वहीं जीतन राम मांझी की तरह उपेंद्र कुशवाहा, मुकेश सहनी और चिराग पासवान भी एनडीए में वापसी का इंतजार कर रहे हैं. यदि ये सभी नेता एनडीए का हिस्सा बन जाते हैं तो एनडीए में बीजेपी के अलावा 5 और दल हो जाएंगे. बीजेपी की रणनीति है कि 40 सीटों में से वो खुद 30 सीटों पर लड़े और बाकी बची 10 सीटों पर सहयोगी. हालांकि ये इतना भी आसान नहीं क्योंकि 2019 में लोजपा 6 सीटों पर लड़ी थी, लिहाजा पशुपति पारस कम से कम इतनी सीटों की डिमांड करेंगे. 2014 में बीजेपी के साथ उपेंद्र कुशवाहा ने 3 सीटें जीती थीं, वो भी अपनी पुरानी सीटें मांग सकते हैं. चिराग पहले से ही अपनी सीट जमुई और अपने पिता की सीट हाजीपुर पर दावा ठोंक चुके हैं. वहीं जीतन राम मांझी को अपने और बेटे के लिए कम से कम 2 सीटें तो चाहिए ही. इस लिहाज से उनकी 5 सीटों की डिमांड यहां भी पूरी होती दिखाई नहीं दे रही है.