Jharkhand News: एक फरवरी, 2024 को झारखंड में नहीं थी कोई सरकार?
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar2091635

Jharkhand News: एक फरवरी, 2024 को झारखंड में नहीं थी कोई सरकार?

Jharkhand News: क्या एक फरवरी, 2024 झारखंड के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज हो गया है, जब यहां कोई भी सरकार नहीं थी? झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन के कार्यकाल की आखिरी तारीख सरकारी दस्तावेजों में 31 जनवरी दर्ज है. 

(चंपई सोरेन, मुख्यमंत्री)

रांची: Jharkhand News: क्या एक फरवरी, 2024 झारखंड के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में दर्ज हो गया है, जब यहां कोई भी सरकार नहीं थी? झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन के कार्यकाल की आखिरी तारीख सरकारी दस्तावेजों में 31 जनवरी दर्ज है. उनके बाद 12वें मुख्यमंत्री के रूप में चंपई सोरेन का कार्यकाल 2 फरवरी, 2024 से शुरू हुआ है. 

ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि 1 फरवरी, 2024 को झारखंड में किसकी सरकार थी? 2 फरवरी को चंपई सोरेन ने शपथ ग्रहण के बाद सीएम कार्यालय जाकर पदभार ग्रहण किया. उनके कार्यालय कक्ष में जो उत्तराधिकार पट्टिका है, उसमें सीएम के रूप में उनके कार्यकाल की शुरुआत की यही तारीख अंकित की गई. इस पट्टिका में 11वें सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन के कार्यकाल की अंतिम तिथि 31 जनवरी, 2024 लिखी है. 

दरअसल, हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी की रात करीब 8.45 बजे राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को अपना इस्तीफा सौंपा था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तत्काल प्रभाव से उनका इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया गया. संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ उसका मंत्रिमंडल भी भंग हो जाता है. राज्यपाल ने हेमंत सोरेन से यह नहीं कहा कि नई सरकार के गठन तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में बने रहें. हालांकि, जिस वक्त हेमंत सोरेन ने इस्तीफा दिया था, उसी वक्त वहां झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन विधायकों के नवनिर्वाचित नेता चंपई सोरेन ने नई सरकार बनाने की दावेदारी पेश की थी. 

उन्होंने 43 विधायकों के हस्ताक्षर वाला समर्थन पत्र भी राज्यपाल को सौंपा था, लेकिन, राज्यपाल ने इस पर तत्काल निर्णय नहीं लिया. इसके बाद यानी 31 जनवरी की रात 9 बजे से लेकर 1 फरवरी की देर रात तक राज्य की सरकार को लेकर ऊहापोह की स्थिति बनी रही. रात करीब 11.30 बजे राज्यपाल ने झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन के नेता चंपई सोरेन को बुलाकर उन्हें सीएम के तौर पर मनोनीत किए जाने का पत्र सौंपा. इसके बाद 2 फरवरी को दिन में 11 बजकर 23 मिनट पर उन्हें राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई. 

इस तरह एक सरकार के जाने और दूसरी सरकार के अस्तित्व में आने के बीच करीब 40 घंटे का अंतराल रहा. इन 40 घंटों में राज्य में न तो कोई मुख्यमंत्री था और न ही यहां राष्ट्रपति शासन लागू था. संविधान में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है कि राज्यपाल के नाम पर कोई सरकार संचालित हो. संविधान के अनुच्छेद 163 के अनुसार, राज्यपाल के द्वारा कर्तव्यों के निर्वहन के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व वाली एक मंत्रिपरिषद होती है. 

दूसरी स्थिति में राज्य में मुख्यंमत्री और मंत्रिपरिषद न हो तो राष्ट्रपति शासन लागू होता है और तब राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल दायित्वों का निर्वहन करते हैं. संसदीय प्रक्रियाओं के जानकार, झारखंड की सरकार में मंत्री रह चुके और फिलहाल जमशेदपुर पूर्वी क्षेत्र के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने 31 जनवरी को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा था, “हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र माननीय राज्यपाल द्वारा स्वीकार कर लिए जाने के बाद झारखंड में कोई मुख्यमंत्री नहीं है, कोई सरकार नहीं है. राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. वैकल्पिक सरकार बन जाने तक राज्य में अल्पकालिक राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प है.”
इनपुट- आईएएनएस के साथ

यह भी पढ़ें- हैदराबाद शिफ्ट हुए झारखंड के विधायक, चंपई सोरेन को लेकर बीजेपी ने ये क्या बोल दिया?

Trending news