Ratan Tata Last Rites: दोखमेनाशिनी रिवाज के अनुसार नहीं होगा रतन टाटा का अंतिम संस्कार, जानें क्या है यह परंपरा?
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Ratan Tata Last Rites: दोखमेनाशिनी रिवाज के अनुसार नहीं होगा रतन टाटा का अंतिम संस्कार, जानें क्या है यह परंपरा?

Ratan Tata Last Rites: रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारसियों के दोखमेनाशिनी परंपरा के अनुसार नहीं किया जाएगा. यह परंपरा 3 हजार साल पुरानी बताई जाती है, लेकिन अब आधुनिक पारसी समाज इस परंपरा से किनारे करता दिख रहा है. 

भगवान रतन टाटा जैसे पुण्यात्मा को शांति दें (File Photo)

Ratan Tata Last Rites: टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का बुधवार को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र में निधन (Ratan Tata Passes Away) हो गया. बुधवार रात 11:30 बजे रतन टाटा (Ratan Tata Death) ने आखिरी सांस ली. गुरुवार दोपहर बाद 3:30 बजे के वे अनंत यात्रा पर प्रस्थान कर जाएंगे. मुंबई के वर्ली में पारसियों के श्मशान घर में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. चूंकि रतन टाटा पारसी समुदाय से आते थे, लेकिन पारसी समुदाय की परंपरा 'दोखमेनाशिनी' के तहत उनका अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. श्मशान भूमि में उनका शव लाने के बाद प्रेयर हॉल में रखा जाएगा. वहां करीब 200 लोग मौजूद रह सकते हैं. रतन टाटा की आत्मा की शांति के लिए 45 मिनट तक प्रेयर होगा. 

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इस दौरान पारसी रीति 'गेह-सारनू' का पाठ किया जाएगा और उसके बाद रतन टाटा के चेहरे पर एक कपड़ा रखकर 'अहनावेति' का पहला पूरा अध्याय पढ़ा जाएगा. 'अहनावेति' शांति प्रार्थना की एक प्रक्रिया है, जिसके बाद पार्थिव शरीर को इलेक्ट्रिक अग्निदाह में रखकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की जाएगी. 

अब आपको बताते हैं कि क्या है 'दोखमेनाशिनी परंपरा', जिसके अनुसार रतन टाटा का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा. पारसी समुदाय की परंपरा के अनुसार शवों का अंतिम संस्कार 'दोख्मा' नामक स्थान पर किया जाता है. वहां शव को चीलों के लिए छोड़ देते हैं. चील शव को खा जाते हैं. माना जाता है कि यह पारसी धर्म की मान्यता के अनुसार शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है. हालांकि इस प्रक्रिया को समुदाय के कई लोग छोड़ते जा रहे हैं. 

'दोखमेनाशिनी परंपरा' 3,000 साल पुरानी बताई जाती है. इसके अनुसार, शव को 'दखमा या टावर आफ साइलेंस' पर शुद्ध करने के लिए रखा जाता है. यहां मांसाहारी पक्षी, विशेष रूप से चील शव को खाते हैं. 'दखमा या टावर आफ साइलेंस' को पारसियों का कब्रिस्तान कहते हैं. यह एक गोलाकार खोखली इमारत होती है. 

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10 अक्टूबर को रतन टाटा के पार्थिव शरीर को एनसीपीए लॉन, नरीमन प्वाइंट में ले जाया गया है. वहां आम लोग दिवंगत आत्मा को श्रद्धांजलि दे सकेंगे. टाटा ग्रुप ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि वे गेट नंबर 3 से लॉन में प्रवेश करें और गेट नंबर 2 से बाहर निकलें. इस दौरान परिसर में पार्किंग की सुविधा नहीं होगी.

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