Supreme Court: क्रिकेटरों के लिए शौचालय नहीं हैं तो वकील चिंता क्यों करें... सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी अर्जी
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Supreme Court: क्रिकेटरों के लिए शौचालय नहीं हैं तो वकील चिंता क्यों करें... सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी अर्जी

 सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बंबई हॉई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुंबई में सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास या अनौपचारिक मैच के दौरान क्रिकेट खिलाड़ियों को पेयजल और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश देने संबंधी याचिका का निपटारा किया गया

Supreme Court: क्रिकेटरों के लिए शौचालय नहीं हैं तो वकील चिंता क्यों करें... सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी अर्जी

Supreme Court on PIL: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बंबई हॉई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी, जिसमें मुंबई में सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास या अनौपचारिक मैच के दौरान क्रिकेट खिलाड़ियों को पेयजल और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश देने संबंधी याचिका का निपटारा किया गया था. जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस AG मसीह की बेंच ने कहा, ‘यह किस तरह की जनहित याचिका है? यदि क्रिकेटरों के लिए शौचालय नहीं हैं तो वे खुद ही इसे देखेंगे.

किसी वकील को इसकी चिंता क्यों करनी चाहिए: SC

सुप्रीम कोर्ट (SC) की डबव बेंच एक वकील द्वारा दायर उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी. जिसका निपटारा हाई कोर्ट ने पिछले साल जून में कर दिया था. फिर भी अपनी पीआईएल को किसी अंजाम तक पहुंचाने के लिए जब वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया तो मुकदमों की भीड़ पर चिंता जताते हुए जज ने सख्त टिप्पणी करते हुए अर्जी खारिज कर दी.

वकील ने अपनी  PIL में मुंबई क्रिकेट संघ (MCB) और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को सार्वजनिक मैदानों पर अभ्यास या अनौपचारिक मैच के दौरान खिलाड़ियों को पेयजल और अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश देने संबंधी अनुरोध किया था.

डिसमिस

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘आपने जो तस्वीरें संलग्न की हैं जरा उन्हें देखिए. मुंबई के इन्हीं मैदानों ने देश को महानतम क्रिकेटर दिए हैं...’ पीठ ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा कि क्या वह मुख्य रूप से क्रिकेटर है या वकील इस पर याचिकाकर्ता ने कहा, ‘मैं वकील  हूं.’ यह सुनकर बेंच ने कहा, ‘जनहित याचिका में ये किस प्रकार की अपील की गई है? आप चाहते हैं कि मुंबई के विभिन्न मैदानों में क्रिकेटरों को शौचालय उपलब्ध कराए जाएं.’ शीर्ष अदालत ने कहा- 'बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) का फैसला सही था कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं हैं.'

(इनपुट: PTI)

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