Tribal Wedding Rules: शादी की रस्में भी रोचक होती हैं. दुल्हन बारात लेकर आती है और शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद बारात तो लौट जाती है, लेकिन दुल्हन ससुराल में ही रुक जाती है. यह विदाई की अनोखी परंपरा है जो आमतौर पर बाकी समाज में देखने को नहीं मिलती. समाज के लोग इसे एक सम्मानजनक परंपरा मानते हैं. फोटो एआई
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Ho tribe marriage: भारत में शादी की परंपराएं आमतौर पर ऐसी होती हैं जहां दूल्हा बारात लेकर आता है और दुल्हन को अपने साथ विदा कराकर ले जाता है. लेकिन झारखंड के खूंटी जिले में रहने वाले ‘हो’ आदिवासी समुदाय की परंपराएं बाकी समाज से बिल्कुल अलग हैं. यहां शादी के दिन दुल्हन बारात लेकर आती है और दूल्हे को अपने साथ ब्याह कर ले जाती है. यही नहीं इस समुदाय में दहेज भी लड़की वाले नहीं, बल्कि लड़के वाले देते हैं. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और आज भी इसे पूरी श्रद्धा से निभाया जाता है.
शादी की जरूरी रस्मों में से एक
दरअसल, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हो समुदाय के लोगों के अनुसार, शादी में दूल्हे के परिवार को दुल्हन पक्ष को ‘कन्या धन’ देना पड़ता है. इसे 'गोनोंग' कहा जाता है. इसमें अनिवार्य रूप से एक जोड़ा बैल, 101 रुपये नकद और कहीं-कहीं एक गाय भी कन्या पक्ष को दी जाती है. यह शादी की जरूरी रस्मों में से एक है. इसके अलावा, लड़के के परिवार वाले अपनी इच्छा से और भी उपहार दे सकते हैं, लेकिन कम से कम यह दहेज देना अनिवार्य होता है.
विदाई की अनोखी परंपरा
शादी की रस्में भी रोचक होती हैं. दुल्हन बारात लेकर आती है और शादी की सभी रस्में पूरी होने के बाद बारात तो लौट जाती है, लेकिन दुल्हन ससुराल में ही रुक जाती है. यह विदाई की अनोखी परंपरा है, जो आमतौर पर बाकी समाज में देखने को नहीं मिलती. हो समाज के लोग इसे एक सम्मानजनक परंपरा मानते हैं, जो महिलाओं के महत्व को दर्शाती है.
समुदाय के एक सदस्य ने बताया कि उनके समाज में लड़कियों को विशेष रूप से सम्मान दिया जाता है. महिलाओं को देवी के समान माना जाता है क्योंकि वे जीवन देने वाली होती हैं. यही वजह है कि शादी की इस अनूठी परंपरा में लड़की को ज्यादा महत्व दिया गया है. यहां लड़कों की तुलना में लड़कियों की इज्जत अधिक की जाती है, और यह प्रथा इसी सोच को दर्शाती है.
‘हो’ समुदाय की यह परंपरा
इतिहासकारों के अनुसार, यह परंपरा समाज की समृद्धि और महिलाओं की स्थिति को मजबूत करने के उद्देश्य से बनाई गई थी. जहां आमतौर पर विवाह के समय लड़कियों को बोझ माना जाता है, वहीं इस समुदाय में लड़कों को शादी के लिए मूल्य चुकाना पड़ता है. इससे महिलाओं की स्थिति बेहतर बनी रहती है और उन्हें परिवार व समाज में उच्च स्थान मिलता है. झारखंड का यह अनोखा विवाह समाज में महिलाओं की गरिमा को बढ़ाने का एक उदाहरण है. ‘हो’ समुदाय की यह परंपरा न केवल उनके सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाती है, बल्कि विवाह को एक समानता और सम्मान के रिश्ते के रूप में स्थापित करती है.