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Rajiv Gandhi Murder Case: केंद्र ने गुरुवार को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्या मामले में छह दोषियों को राहत देने के 11 नवंबर के आदेश की समीक्षा के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. केंद्र ने कहा कि उसे मामले पर बहस करने का मौका नहीं मिला और शीर्ष अदालत का आदेश कानूनी रूप से त्रुटिपूर्ण है.
सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को नलिनी श्रीहरन और पांच अन्य शेष दोषियों को रिहा कर दिया था, जो राजीव गांधी हत्याकांड में लगभग तीन दशकों से आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे. यह देखते हुए कि एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन को रिहा करने का उसका पहले का आदेश उन पर समान रूप से लागू था.
अगले दिन, नलिनी और अन्य अपराधी तमिलनाडु की जेलों से रिहा हो गए. वी श्रीहरन उर्फ मुरुगन की पत्नी नलिनी, जो सबसे पहले रिहा हुई थी ने दावा किया कि उसके दृढ़ विश्वास कि वह निर्दोष है. उसके इस विश्वास ने ही उसे इतने वर्षों तक जीवित रखा.
इससे पहले एक अन्य दोषी जिसे मई में रिहा किया गया था, एजी पेरारिवलन ने अपनी मां अर्पुथम्मल के साथ पुझल जेल में दोनों की अगवानी की. नलिनी देश में सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली महिला कैदी थी और उसे 1991 में गिरफ्तार किया गया था जब वह 24 साल की थी. जब वह प्रतिबंधित लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के सदस्य मुरुगन से मिलीं, तब वह एक निजी फर्म में स्टेनोग्राफर थीं. 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में धनु नाम की एक महिला आत्मघाती हमलावर ने राजीव गांधी की हत्या कर दी थी.
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(एजेंसी इनपुट के साथ)