Jharkhand Elections: जहां आलू से सस्ता काजू! वहां हो रहे विधानसभा चुनाव में कौन मारेगा बाजी?
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Jharkhand Elections: जहां आलू से सस्ता काजू! वहां हो रहे विधानसभा चुनाव में कौन मारेगा बाजी?

Jamtara Chunav: झारखंड विधानसभा चुनावों (Jharkhand Elections 2024) में एक ओर बीजेपी की अगुवाई में NDA है. दूसरी ओर झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और कांग्रेस का गठबंधन. जामताड़ा विधानसभा सीट पर बीते 45 सालों से कांग्रेस का दबदबा रहा है. बीजेपी ने आदिवासी वोटरों को ध्यान में रखते हुए जामताड़ा सीट से सीता सोरेन  (Sita Soren) को चुनावी समर में उतारा है.

Jharkhand Elections: जहां आलू से सस्ता काजू! वहां हो रहे विधानसभा चुनाव में कौन मारेगा बाजी?

Jamtara vidhan sabha seat Election : झारखंड विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) जीतने यानी अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) हर दांव और पैंतरा आजमा रहे हैं. दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने चुनाव जीतने के लिए दिग्गजों को लंबे समय से 'मिशन झारखंड' पर लगा रखा है. बीजेपी, 'कोल्हान टाइगर' चंपई सोरेन (Champai Soren) के आने से बनी सियासी 'हवा' अपने पक्ष में मानकर चल रही है. वो, जेएमएम (JMM) पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद का आरोप लगाकर बढ़त बनाने की कोशिश कर रही है. दूसरी ओर हेमंत सोरेन जेल प्रकरण से सहानुभूति की लहर बनने और कांग्रेस से गठबंधन के सकारात्मक नतीजे निकलने की उम्मीद कर रहे हैं. यहां बात जामताड़ा विधानसभा सीट की, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहां पर सबसे सस्ता काजू (Cheapest Cashew in India Jamtara) मिलता है. 

Jamtara chunav voting result date: जामताड़ा सीट 

झारखंड में दो चरणों में चुनाव कराए जाएंगे. 23 नवंबर को नतीजों का ऐलान होगा. झारखंड में मतदाताओं की कुल संख्या 2.6 करोड़ है, इनमें 1.29 करोड़ महिलाएं और 1.31 करोड़ पुरुष मतदाता हैं. पहली बार मतदान करने वाले युवाओं की संख्या 11.84 लाख है.

झारखंड चुनाव के लिए राज्य में कुल 29,562 मतदान केंद्रों बनाए गए हैं. इनमें 5042 मतदान शहरी और 24,520 केंद्र ग्रामीण इलाकों में होंगे. जामताड़ा विधानसभा सीट पर दूसरे चरण में यानी 20 नवंबर को वोटिंग होगी. यह आरक्षित सीट है. 

कांग्रेस का दबदबा

यहां कौन किस पर हावी है. आइए बताते हैं. जामताड़ा विधानसभा सीट पर बीते करीब 45 सालों से कांग्रेस का दबदबा रहा है. फुरकान अंसारी और उनके सुपुत्र इरफान अंसारी ने यहां से कई बार विधायकी का चुनाव जीत चुके हैं. झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन भी यहां से एक बार चुनाव जीत चुके है. लेकिन वर्चस्व अंसारी फैमिली का ही रहा है. जामताड़ा को सस्ते काजू के अलावा साइबर क्राइम के गढ़ के रूप में भी पहचाना जाता है. 

सियासी समीकरण?

जामताड़ा में आदिवासी वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. अनुसूचित जाति (SC) मतदाताओं की संख्या लगभग 20 हजार से ज्यादा, अनुसूचित जनजाति (ST) मतदाताओं की संख्या 75 हजार से ज्यादा और मुस्लिम वोटर्स की संख्या 83 हजार से ज्यादा है. इस सीट पर 80% मतदाता ग्रामीण हैं.

बीजेपी की रणनीति

जामताड़ा सीट में पिछली बार 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के इरफान अंसारी जीते थे. 2014 में भी अंसारी ही जीते थे. इससे पहले 2005 और 2009 के विधानसभा चुनाव में जामताड़ा से JMM के विष्‍णु प्रसाद जीते थे. बीजेपी ने यहां लगातार मिल रही हार से सबक लेते हुए सीता सोरेन को टिकट दिया है. उनका मुकाबला जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवार इरफान अंसारी से होगा.

इससे पहले भाजपा ने लोकसभा चुनाव में सीता सोरेन को दुमका सीट से चुनाव मैदान में उतारा था. हालांकि, JMM के नलिन सोरेन से हार गई थीं. 2019 में कांग्रेस के इरफान अंसारी ने जामताड़ा सीट बीजेपी के बीरेंद्र मंडल को 38 हजार से ज्यादा वोटों से हराकर जीती थी. वहीं एक और कद्दावार नेता विष्‍णु प्रसाद भैया ने 2009 में JMM के टिकट पर और 2005 में बीजेपी के टिकट पर यहां से जीत दर्ज की थी. इस हिसाब से सबसे सस्ते काजू मिलने वाले शहर के लोगों ने हर दल को मौका दिया है.

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