कैसे दिल्ली में कांग्रेस के भरोसे है BJP, AAP कहां कर रही है वोटों पर सेंधमारी?
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कैसे दिल्ली में कांग्रेस के भरोसे है BJP, AAP कहां कर रही है वोटों पर सेंधमारी?

Delhi MCD Election 2022 : 2012 के बाद के चुनावों से साफ दिख रहा है कि जनता का रुख किस ओर है. कैसे बीजेपी का कमल हाथ की मजबूती से खिल रहा. अगर कांग्रेस बेहतर करेगी तो वोट शेयर AAP का बंटेगा. लेकिन, कांग्रेस के लगातार गिरते ग्राफ ने बीजेपी के माथे पर भी शिकन ला दी है. ऐसा क्यों हुआ? इसका कारण भी दिलचस्प है.

कैसे दिल्ली में कांग्रेस के भरोसे है BJP, AAP कहां कर रही है वोटों पर सेंधमारी?

नई दिल्ली: दिल्ली में एमसीडी चुनावों (Delhi MCD Election 2022) के मद्देनजर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है. यह अलग बात है कि चुनाव लड़ रहा हर एक राजनीतिक दल खुद का मेयर बनने का दावा जरूर कर रहा है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों का वोट शेयर समीकरण स्पष्ट दिखा रहा है. दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी की दस्तक के बाद 15 सालों तक सरकार में काबिज रही कांग्रेस लगातार कमजोर हो रही है. माना जाता है कि कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का वोट बैंक एक ही है. जिसमें खासतौर से गरीब वर्ग, निम्न मध्यम वर्गीय आय वर्ग, अनाधिकृत कॉलोनियों का वोट बैंक, माइनॉरिटीज और SC/ST समुदाय शामिल है.

2013 के विधानसभा चुनावों के बाद से लगातार दिल्ली में कांग्रेस कमजोर होती जा रही है. कांग्रेस के विकल्प के तौर पर दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी पर लगातार अपना विश्वास बढ़ाया है. आम आदमी पार्टी की मजबूती इसी बात से समझी जा सकती है कि 2020 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस क्षेत्रीय दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी, बावजूद इसके 70 में से 67 उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गईं. 

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जिन तीन उम्मीदवारों की जमानत बची भी उनमें कोई भी माइनॉरिटी डोमिनेटिंग सीट नहीं थी, जिससे ये कहा जा सके कि बीजेपी को हराने के लिए अल्पसंख्यक एकजुट हुआ. राजिंदर नगर उपचुनावों में पार्टी के उम्मीदवार की लगातार तीसरी बार जमानत जब्त हुई. 5 वार्ड पर हुए उपचुनावों में सीलमपुर विधानसभा के वार्ड को अगर हटा दें तो अभी तक हुए उपचुनावों में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का साबित हुआ.

2017 एमसीडी चुनाव में पार्टियों का वोट शेयर और अब मौजूदा दौर के राजनीतिक समीकरण से स्थिति को और बेहतर तरीके से समझा जा सकता है.

2017 एमसीडी चुनाव में वोट शेयर

  • BJP- 36.08%, 181 वार्ड पर जीत
  • AAP- 26.23%, 48 वार्ड पर जीत
  • Congress- 21.09%, 30 वार्ड पर जीत
  • Others- 13 वार्ड पर जीत

आंकड़ों को देखकर ये समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के वोट शेयर के कारण सीधा फायदा बीजेपी को मिला है. वार्ड लेवल पर इसी डिवीजन के कारण AAP से करीब 10% वोट शेयर ज्यादा मिलने के चलते बीजेपी ने जोरदार जीत हांसिल कर की थी.

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2017 के एमसीडी चुनावों में तीन चीजें बीजेपी के पक्ष में रहीं
पहली- सभी पार्षदों की टिकट काटकर बीजेपी ने एन्टी इनकम्बेंसी को तोड़ा. पीएम मोदी की तस्वीर संग नए चेहरे, नई ऊर्जा, नई उड़ान ने समीकरण बदल डाले.

दूसरी- कांग्रेस ने जोर लगाकर भी 21.09% हांसिल कर लिया. चुनाव त्रिकोणीय होने का सीधा फायदा बीजेपी उठा ले गई.

तीसरी- पंजाब की करारी हार के कारण AAP का आत्मविश्वास गिरा और दिल्ली की जनता ने तीसरी बार बीजेपी को सत्ता की चाबी दे डाली.

यानी कुल मिलाकर बीजेपी का कमल हाथ की मजबूती से खिला रहा. यानी अब भी अगर कांग्रेस बेहतर करेगी तो वोट शेयर AAP का ही बंटेगा. लेकिन, कांग्रेस के लगातार गिरते ग्राफ ने बीजेपी के माथे पर भी शिकन ला दी है. ऐसा क्यों हुआ? इसके भी तीन कारण है.

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पहला- कांग्रेस दिल्ली में सबसे बुरे दौर में है. वोट शेयर लगभग खत्मे की ओर इशारा कर रहा है. यानी एमसीडी चुनावों ( Delhi MCD Election 2022) में बीजेपी बनाम AAP की सीधी फाइट है.

दूसरा- पंजाब की ऐतिहासिक जीत से AAP के आत्मविश्वास का नई बुलंदी पर होना.

तीसरा- बीजेपी के खिलाफ बढ़ी एन्टी इनकम्बेंसी.

कांग्रेस ने बताया, BJP और AAP ने दिल्ली को किस चीज ने बनाया नंबर 1

यानि, बीजेपी जरूर चाहेगी कि कांग्रेस का हाथ दिल्ली में मजबूत हो, ताकि AAP के हो चुके वोट बैंक में सेंध लगे. एक यही वोट शेयर का फैक्टर बीजेपी का जीत का चौका एमसीडी में लगवा सकता है.

हालांकि इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि बीजेपी सिर्फ कांग्रेस के उठने पर भी आश्रित है. बीजेपी लगातार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर AAP को घेर रही है, साथ ही प्रदूषण का मुद्दा भी लगातार गर्म है. बीजेपी की सेंट्रल यूनिट दिल्ली में बेहद सक्रिय है, लिहाजा AAP के लिए एमसीडी की गद्दी की राह आसान नहीं है.

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