Anil Vij Haryana News: भाजपा आलाकमान ने जब मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाने का फैसला लिया तो कुछ नेताओं के माथे पर सीकन देखने को मिली थी. माथे पर सीकन वाले नेताओं की लिस्ट में अनिल विज सबसे ऊपर थे.
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Anil Vij Haryana News: हरियाणा में लोकसभा चुनाव का रंग चढ़ा तो सत्ता का चेहरा ही बदल गया. किसी ने सोचा भी नहीं था कि मनोहर लाल खट्टर ऐसे अचानक मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. और उनकी जगह नायब सिंह सैनी ले लेंगे. लेकिन चुनावी हवा में इतनी ताकत होती है कि सीएम की कुर्सी भी हिल जाती है. लेकिन इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं. साइड इफेक्ट वाली बात अनिल विज पर फिट बैठती है. आइये बताते हैं कैसे..?
क्यों नाराज हुए अनिल विज?
भाजपा आलाकमान ने जब मनोहर लाल खट्टर को सीएम पद से हटाने का फैसला लिया तो कुछ नेताओं के माथे पर शिकन देखने को मिली थी. माथे पर शिकन वाले नेताओं की लिस्ट में अनिल विज सबसे ऊपर थे. आज मंगलवार को सैनी को चुनने के लिए विधायक दल की बैठक हुई तो अनिल विज भी इसमें शामिल थे. लेकिन अनिल विज इस बात से अंजान थे कि नायब सिंह सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा.
बैठक छोड़कर अंबाला चले गए विज
कुछ ही देर में नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुन लिया गया. अगले ही पल हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज बैठक से जाने लगे. वहां मौजूद नेताओं अनिल विज को रोकने की कोशिश भी की. लेकिन वे हाथ झटक कर वहां से चले गए. वे सरकारी गाड़ी में नहीं गए बल्कि प्राइवेट वाहन से अपने घर गए. जिसके बाद से अनिल विज को मनाने की कोशिश जारी है. मनोहर लाल खट्टर तक ने कह दिया कि अनिल विज जितना जल्दी नाराज होते हैं उससे ज्यादा जल्दी मान जाते हैं.
भाजपा के लिए जरूरी क्यों हैं अनिल विज?
अब सवाल यह उठता है कि अनिल विज हरियाणा में भाजपा के लिए इतने जरूरी क्यों हैं? क्यों भाजपा के दिग्गज नेता अनिल विज को मनाने की कोशिश कर रहे हैं? हरियाणा में अनिल विज का एक अलग सियासी रसूख है. जब हरियाणा में भाजपा सियासी जमीन तलाश कर रही थी तब अनिल विज एक अकेला ऐसे नेता थे जिन्होंने कमल के निशान पर जीत दर्ज की थी. उनके साथ हरियाणा की जनता है.
वोट का चक्कर तो नहीं?
अनिल विज को मनाने का सबसे बड़ा कारण यह भी है कि वे एक बड़े कद के पंजाबी नेता हैं. उनके पास मतादाताओं का एक बड़ा जनाधार भी है. अनिल विज जब भाजपा में नहीं थे तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव भी जीते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि वे मनोहर लाल खट्टर से पुराने नेता हैं. उनके नाराज होने से हरियाणा से जुड़े पंजाबी वोट पर नजर लग सकती है. ये ऐसी वजहें हैं, जो अनिल विज को भाजपा के लिए महत्वपूर्ण बनाती है.
हरियाणा की राजनीति में बड़ा नाम
अनिल विज हरियाणा में एक बड़ा सियासी नाम है. उन्होंने 1990 में उपचुनाव जीतकर विधानसभा में सियासी पारी शुरू की थी. इसके बाद उन्होंने लगातार 1996 और 2000 में चुनाव जीते. इन दोनों चुनावों में उन्होंने निर्दलीय जीत हासिल की थी. 2005 में सिर्फ एक बार अनिल विज को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद उन्होंने 2009 से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा. अंबाला कैंट सीट से उन्होंने 2014 और 2019 में जीत हासिल की. हरियाणा सरकार में उन्हें नंबर दो की भूमिका मिली यानी उन्हें खट्टर सरकार में गृह मंत्रालय की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई थी.