Delhi Election 2025 Result: सोमनाथ भारती की हार के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या उनका राजनीतिक करियर अब खत्म हो गया है? राजनीति में वापसी की संभावना हमेशा रहती है, लेकिन अगर जनता के बीच किसी नेता की छवि खराब हो जाए, तो उसे दोबारा सुधारना आसान नहीं होता.
Trending Photos
Delhi Election Results 2025: राजनीति में छवि और विश्वसनीयता सबसे अहम होती है जो नेता जनता के बीच अपनी साख खो देता है, उसे चुनाव में हार का सामना करना ही पड़ता है. आम आदमी पार्टी (AAP) के चर्चित नेता और पूर्व मंत्री सोमनाथ भारती की हार इसी सच्चाई को बयां करती है. एक समय दिल्ली की राजनीति में उभरता हुआ चेहरा और जानें माने वकील भारती, इस बार अपने ही गढ़ में चुनाव हार गए. उनकी हार के पीछे सिर्फ विपक्षी रणनीतियां ही नहीं, बल्कि उनके अपने विवादित अतीत और जनता के बदलते रुख ने भी अहम भूमिका निभाई.
आम आदमी से मंत्री तक का सफर
सोमनाथ भारती ने 2013 में आम आदमी पार्टी के टिकट पर मालवीय नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. यह वह दौर था जब अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में AAP एक नई राजनीतिक शक्ति के रूप में उभर रही थी. पार्टी की छवि एक भ्रष्टाचार-विरोधी संगठन के रूप में बनी थी, जिसने दिल्ली के मतदाताओं को आकर्षित किया. भारती को केजरीवाल सरकार में कानून मंत्री बनाया गया और उन्हें जनता के लिए काम करने वाले एक सक्रिय नेता के रूप में देखा जाने लगा. लेकिन जल्द ही उनका नाम विवादों में आने लगा. 2014 में एक घटना ने उनकी छवि को गहरा नुकसान पहुंचाय.
पत्नी से मारपीट का मामला और बिगड़ती छवि
सोमनाथ भारती की पत्नी लिपिका मित्रा ने उन पर घरेलू हिंसा के गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि भारती ने उनके साथ मारपीट की, मानसिक उत्पीड़न किया और उन्हें जान से मारने तक की धमकी दी. यह मामला अदालत तक पहुंचा और भारती को कुछ समय के लिए जेल भी जाना पड़ा. इस मामले के चलते उनकी छवि को गहरी चोट पहुंची. आम आदमी पार्टी, जो महिला सुरक्षा और पारदर्शिता की राजनीति का दावा करती थी अपने ही नेता के कारण सवालों के घेरे में आ गई. विरोधियों ने इसे मुद्दा बनाया और भारती को अपनी ही पार्टी में अलग-थलग महसूस होने लगा. हालांकि, AAP ने चुनावी गणित को देखते हुए उन्हें पूरी तरह दरकिनार नहीं किया, लेकिन जनता के बीच उनकी साख गिरती चली गई.
चुनाव प्रचार और जनता का बदला मूड
इस चुनाव में सोमनाथ भारती ने पूरी कोशिश की कि जनता उनके पुराने विवादों को भूल जाए. उन्होंने अपने क्षेत्र में विकास कार्यों और शिक्षा-स्वास्थ्य के मुद्दों पर जोर दिया, लेकिन जनता का मूड इस बार अलग था. उनके विरोधियों ने चुनावी प्रचार में उनकी विवादास्पद छवि को मुद्दा बना दिया. खासतौर पर भाजपा और कांग्रेस ने महिला सुरक्षा के सवाल पर AAP को घेर लिया. सोशल मीडिया पर उनके पुराने विवादों को फिर से उछाला गया, जिससे जनता के मन में नकारात्मक छवि और गहरी हो गई.
हार के पीछे के मुख्य कारण
विवादित छवि: सोमनाथ भारती की छवि एक जुझारू और कर्मठ नेता की थी, लेकिन उन पर लगे घरेलू हिंसा के आरोपों ने उनकी साख को गिरा दिया.
विपक्ष का आक्रामक प्रचार: भाजपा और कांग्रेस ने उन्हें महिला सुरक्षा के मुद्दे पर घेर लिया, जिससे उनकी लोकप्रियता को झटका लगा.
AAP की गिरती साख: हाल के वर्षों में आम आदमी पार्टी के प्रति जनता में असंतोष बढ़ा है, जिसका खामियाजा भारती को भी भुगतना पड़ा.
महिला मतदाताओं की नाराजगी: महिलाओं के एक बड़े तबके ने इस बार उन्हें वोट नहीं दिया, जिससे उनके वोट प्रतिशत में भारी गिरावट आई.
क्या यह भारती के राजनीतिक करियर का अंत है?
सोमनाथ भारती की हार से यह सवाल उठता है कि क्या उनका राजनीतिक करियर अब खत्म हो चुका है? राजनीति में वापसी की संभावनाएं हमेशा बनी रहती हैं, लेकिन जनता की छवि एक बार खराब हो जाए तो उसे सुधारना आसान नहीं होता. AAP के लिए भी यह हार एक बड़ा सबक है कि जनता केवल वादों पर नहीं, बल्कि नेताओं के व्यक्तिगत आचरण पर भी ध्यान देती है. अगर कोई नेता अपने निजी जीवन में विवादों से घिरा हो, तो जनता उसे कब तक स्वीकार करेगी? यह सवाल सिर्फ सोमनाथ भारती के लिए नहीं, बल्कि पूरे राजनीतिक परिदृश्य के लिए महत्वपूर्ण है.
ये भी पढ़िए- जो काम मनोज तिवारी और सतीश उपाध्याय नहीं कर पाए, वो वीरेंद्र सचदेवा ने कर दिखाया