Delhi Election 2025: AAP या फिर BJP, दोनों में से कोई एक हारा तो कैसे बदलेगी देश की राजनीति?
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Delhi Election 2025: AAP या फिर BJP, दोनों में से कोई एक हारा तो कैसे बदलेगी देश की राजनीति?

Delhi Election 2025: अगर दिल्ली चुनाव में AAP जीत जाती है तो यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा. इससे सबसे बड़ा संदेश देशभर में यह जाएगा कि आम आदमी पार्टी ही अब भाजपा को रोकने के लिए सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली है. अरविंद केजरीवाल यह परसेप्शन बनाने की कोशिश करेंगे कि पीएम नरेंद्र मोदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह खुद हैं.

 

Delhi Election 2025: AAP या फिर BJP, दोनों में से कोई एक हारा तो कैसे बदलेगी देश की राजनीति?

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने में अब 24 घंटे से भी कम समय बचा है. एग्जिट पोल के नतीजे आ चुके हैं और अधिकांश में भाजपा को दिल्ली की सत्ता आती दिख रही है. कुछ एग्जिट पोल आम आदमी पार्टी के लिए अब भी उम्मीद जगाए हुए हैं. एकाध एग्जिट पोल में बेहद नजदीकी मुकाबला दिखाया गया है. खैर, कोई भी जीते या हारे, इससे देश की राजनीति कैसे प्रभावित होगी, आइए अब जानने की कोशिश करते हैं.  चूंकि अधिकांश एग्जिट पोल भाजपा को विजयी भव: का आशीर्वाद दे रहे हैं तो शुरुआत भाजपा के जीतने और उसके बाद बनने वाली परिस्थितियों से शुरू करते हैं.

अगर बीजेपी चुनाव जीत जाती है तो क्या होगा 
अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव भाजपा जीत हाती है, जैसा कि एग्जिट पोल बता रहे हैं तो इससे पार्टी और कार्यकर्ताओं, दोनों का मनोबल सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा. पिछले साल 2024 में भाजपा लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन उसके बाद हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में BJP का प्रदर्शन ऐतिहासिक रहा है. अब अगर दिल्ली में भी जीत हासिल हो जाती है तो भाजपा की यह हैट्रिक होगी यानी वह लगातार 3 चुनाव जीतने वाली और कांग्रेस लगातार 3 चुनाव हारने वाली पार्टी होगी. वहीं AAP दिल्ली में पहली बार हार झेलने वाली पार्टी बन जाएगी.

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अब बात करते हैं देश में इसका क्या असर होगा? सबसे पहले तो BJP के जीतने की स्थिति में आम आदमी पार्टी इसका ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ सकती है और यह जाहिर कर सकती है कि कांग्रेस की वजह से ही उसकी हार हुई. अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले ही कांग्रेस को इंडिया ब्लॉक से बाहर निकलवाने की धमकी दे चुके हैं और कांग्रेस को छोड़कर इंडिया ब्लॉक के बाकी सभी दलों का साथ अरविंद केजरीवाल को मिल चुका है. ऐसे में कांग्रेस दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय भी अकेली थी और चुनाव बाद भी अकेली पड़ती दिख रही है. 

बिगड़ सकते हैं कांग्रेस और राजद के संबंध 
दिल्ली के बाद इस साल एक ही विधानसभा चुनाव होने वाला है, वो राज्य है बिहार. बिहार में राजद और कांग्रेस परंपरागत सहयोगी हैं, लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में राजद ने आम आदमी पार्टी को नैतिक समर्थन दिया और अपने प्रत्याशी भी नहीं उतारे थे. इस विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस के संबंध बिगड़ सकते हैं. राजद को डर है कि कांग्रेस उसके वोटबैंक को कब्जाने की कोशिश कर रही है और यह डर अमूमन इंडिया ब्लॉक के सभी दलों को है, क्योंकि ये सभी दल कांग्रेस के वोटबैंक को ही कब्जा करके बैठे हुए हैं. अगर राजद से कांग्रेस के संबंध बिगड़ गए तो फिर यह सिलसिला यही नहीं रुकने वाला. इसका असर उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी हो सकता है. 

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बिहार-झारखंड में क्या होगा असर
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद से ही मुंबई महानगरपालिका चुनाव को लेकर सभी दल एकला चलो की नीति अपनाए हुए हैं. इस तरह वहां इंडिया ब्लॉक आज की तारीख में बिखर चुका है. बिहार में कुछ गतिविधि हो और इसका असर झारखंड में न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता. दोनों राज्यों की राजनीति की प्रकृति एक जैसी है और पूर्व में दोनों राज्य एक ही थे. इस लिहाज से कांग्रेस झारखंड में भी अलग-थलग पड़ सकती है. 

दीदी के हाथ इंडिया ब्लॉक की कमान आ सकती है 
ममता बनर्जी पहले ही इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व करने की इच्छा जता चुकी हैं और लालू प्रसाद यादव, उमर अब्दुल्ला, शरद पवार, अरविंद केजरीवाल आदि नेता उनकी दावेदारी को बल दे चुके हैं. अगर ऐसा होता है तो यह कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा और कांग्रेस पूरे देश में किनारे हो सकती है. इंडिया ब्लॉक की लीडरशिप कांग्रेस से इधर उधर शिफ्ट होने पर कांग्रेस की भूमिका कई राज्यों में सिमट सकती है. देश के अधिकांश राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस का न तो कोई विधायक है और न ही सांसद. ऐसे में कांग्रेस को इन राज्यों में जीरो से शुरुआत करनी पड़ सकती है.

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क्या होगा अगर AAP फिर से चुनाव जीती 
अब बात करते हैं आम आदमी पार्टी की. अगर दिल्ली चुनाव में AAP जीत जाती है तो यह उसकी दिल्ली में लगातार तीसरी जीत होगी. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा. उसकी दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि होगी कि वह हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में भाजपा का विजय रथ रोकने में कामयाब होगी. इससे सबसे बड़ा संदेश देशभर में यह जाएगा कि आम आदमी पार्टी ही अब भाजपा को रोकने के लिए सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने वाली है. AAP भी इसको इसी नजरिए से पेश करने की कोशिश करेगी. राष्ट्रीय पार्टी तो वह पहले ही बन चुकी है. 

केजरीवाल मजबूत नेता बनकर उभरेंगे 

दिल्ली चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी बाकी राज्यों में विस्तार को अहमियत देगी, इसमें कोई शक नहीं है. राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी आम आदमी पार्टी यूपी और बिहार के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, महाराष्ट्र आदि राज्यों में न के बराबर की पार्टी है. जीत हासिल होने के बाद अरविंद केजरीवाल यह परसेप्शन बनाने की कोशिश करेंगे कि पीएम नरेंद्र मोदी को कोई टक्कर दे सकता है तो वह अरविंद केजरीवाल ही है. इसके अलावा अगर आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीत हाती है तब भी वह कांग्रेस के खिलाफ जाएगी. 

आम आदमी पार्टी पूरे देश में कांग्रेस का स्थान लेने के लिए फाइट करेगी. पंजाब में वह पहले ही कांग्रेस को रिप्लेस कर चुकी है, गुजरात पर भी उसकी नजर है और उसके बाद बाकी राज्यों में जहां भाजपा और कांग्रेस की सीधी लड़ाई है, आम आदमी पार्टी अपना औरा बढ़ाने की कोशिश करेगी. इसके साथ ही दिल्ली में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद विपक्षी दलों के बीच भी अरविंद केजरीवाल की स्वीकार्यता बढ़ेगी, इसमें कोई दोराय नहीं होना चाहिए. अरविंद केजरीवाल की हनक तो अभी से दिख जाती है कि कांग्रेस नेता अजय माकन जो प्रेस कांफ्रेंस करने वाले थे, आज तक नहीं कर पाए. कुल मिलाकर दिल्ली में चाहे आम आदमी पार्टी हारे या फिर जीते, कांग्रेस की मिट्टी पलीद होनी तय है.