पिछले कई दिनों से भारतीय एयरलाइंस के बमों से उड़ाने की फर्जी धमकियां मिल रही हैं. हालांकि ये अच्छी बात है कि अभी तक किसी भी फ्लाइट में ऐसा कुछ नहीं मिला जिससे कोई बड़ा जानी नुकसान होने का अंदेशा हो, लेकिन सिर्फ धमकी मिल जाने भर से ही करड़ों रुपये पानी की तरह बह जाते हैं. तो चलिए जानते हैं धमकी मिले के बाद क्या-क्या होता है.
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भारतीय एयरलाइनों में बम होने की झूठी कॉल का सिलसिला लगातार छठे दिन भी जारी रहा, जिसकी वजह से दुबई से जयपुर जाने वाली एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट (IX-196) को शनिवार को जयपुर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरना पड़ा. शुक्रवार को इसी तरह की धमकी के बाद दिल्ली से लंदन जाने वाली विस्तारा की फ्लाइट को फ्रैंकफर्ट डायवर्ट कर दिया गया था. टाटा ग्रुप की एयरलाइन ने कहा कि फ्लाइट UK17 फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर सुरक्षित उतर गई, जहां जरूरी सुरक्षा जांच भी की गई. प्रवक्ता ने कहा, "18 अक्टूबर, 2024 को दिल्ली से लंदन के लिए उड़ान भरने वाली विस्तारा की फ्लाइट UK17 को सोशल मीडिया के ज़रिए सुरक्षा संबंधी धमकी मिली.
प्रोटोकॉल के मुताबिक संबंधित अधिकारियों को तुरंत सूचित किया गया और एहतियात के तौर पर पायलटों ने फ्लाइट को फ्रैंकफर्ट डायवर्ट करने का विकल्प चुना. यह घटना एक व्यापक पैटर्न का हिस्सा है जिसने हाल के दिनों में भारतीय वाहकों द्वारा संचालित लगभग 40 उड़ानों को प्रभावित किया है. बम की झूठी धमकियां एयरलाइनों के लिए गंभीर वित्तीय प्रभाव पैदा कर रही हैं और करोड़ों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर फर्जी बम की धमकी मिलने के बाद एक एयरलाइन को क्या-क्या करना पड़ता है.
➤ तेल की खपत तो ज्यादा होती है.
➤ विमान की जांच करने का खर्च.
➤ यात्रियों को होटलों में ठहराना पड़ता है.
➤ मुसाफिरों को उनके डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए विमान की व्यवस्था भी करनी पड़ती है.
➤ इन सब पर करीब तीन करोड़ रुपये तक खर्च हो जाते हैं.
➤ अगर इंटरनेशनल फ्लाइट है तो रूट पर किसी अन्य देश से समन्वय बनाने और लैंडिंग में होने वाली देरी और भारी पड़ती है.
एक और हाई-प्रोफाइल घटना में मुंबई से न्यूयॉर्क के जेएफके हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाले बोइंग 777 को उड़ान भरने के तुरंत बाद बम की धमकी मिली. जिसके बाद फ्लाइट को 14 अक्टूबर को दिल्ली की तरफ मोड़ दिया गया था. विमान, जिसमें 200 यात्री और लगभग 130 टन जेट ईंधन था. उड़ान के दौरान विमान का वजन लगभग 340-350 टन था, लेकिन लैंडिंग के लिए इसे 250 टन तक कम करना जरूरी था. इसलिए लैंडिंग को सुरक्षित बनाने के लिए 100 टन से ज्यादा ईंधन फेंकना पड़ा. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रक्रिया में अकेले एयरलाइन को ईंधन की बर्बादी के रूप में 1 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. इमरजेंसी लैंडिंग, यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था, विमान को ग्राउंड करना और चालक दल की रिप्लेसमेंट की लागत समेत इस धोखाधड़ी से कुल वित्तीय नुकसान 3 करोड़ रुपये से ज्यादा होने का अनुमान है.
एक और गंभीर मामला 15 अक्टूबर को हुआ जब दिल्ली से शिकागो जाने वाले एयर इंडिया के बोइंग 777 को बम की धमकी की वजह से कनाडा के एक सुदूर शहर इकालुइट की तरफ मोड़ दिया गया. शिकागो पहुंचने से पहले 200 से ज़्यादा मुसाफिर साढ़े तीन दिन तक फंसे रहे. जवाब में, एयर इंडिया को फंसे हुए यात्रियों को ले जाने के लिए कनाडाई वायुसेना का विमान किराए पर लेना पड़ा, जिससे लागत और बढ़ गई. रिपोर्ट बताती है कि बोइंग 777 का प्रतिदिन का किराया 17,000 से 20,000 डॉलर के बीच है और कैंसिलेशन का मतलब है एयरलाइनों के लिए भारी वित्तीय नुकसान. रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना की कुल लागत 15-20 करोड़ रुपये से ज़्यादा होने का अनुमान है.
सरकार की तरफ से इस दिशा में सख्त नियम बनाने का काम चल रहा है. नागरिक उड्डयन मंत्री के राममोहन नायडू ने कहा है कि सरकार इस मुद्दे को और अधिक प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए नागरिक उड्डयन नियमों में संशोधन पर काम कर रही है. नायडू ने कहा, हम इन धमकियों को गंभीरता से ले रहे हैं और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ़ सख्त कार्रवाई करेंगे. मंत्रालय अंतरराष्ट्रीय नियमों की समीक्षा कर रहा है और फर्जी बम धमकियों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को नो-फ्लाई लिस्ट में डालने पर विचार कर रहा है, साथ ही ज़रूरत पड़ने पर विधायी संशोधनों पर भी विचार कर रहा है.
बम धमकियों के कारण उड़ानें बाधित हो रही हैं और वित्तीय घाटा बढ़ रहा है, ऐसे में भारतीय विमानन क्षेत्र को और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जब तक कि सख्त निवारक कार्रवाई नहीं की जाती. वर्तमान में, फर्जी बम धमकियों के खिलाफ कार्रवाई मौजूदा आपराधिक कानूनों के तहत पुलिस द्वारा की जाती है. हालांकि, सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने और विमानन उद्योग पर बढ़ते वित्तीय और परिचालन तनाव को रोकने के लिए सख्त उपायों पर विचार कर रही है.