महाराष्‍ट्र में चल क्‍या रहा भाई! CM सुबह राज से तो शाम को उद्धव के नेताओं से क्‍यों मिल रहे?
Advertisement
trendingNow12642905

महाराष्‍ट्र में चल क्‍या रहा भाई! CM सुबह राज से तो शाम को उद्धव के नेताओं से क्‍यों मिल रहे?

Devendra Fadnavis and Eknath Shinde: कहा जा रहा है कि देवाभाऊ यानी सीएम फडणवीस ने शिवसेना की काट खोजने का मन बना लिया है. इसका ये मतलब नहीं कि वो शिंदे से छुटकारा चाहते हैं लेकिन इतना जरूर है कि वो अपने दांव से शिंदे को बैकफुट पर जरूर रखना चाहते हैं. 

महाराष्‍ट्र में चल क्‍या रहा भाई! CM सुबह राज से तो शाम को उद्धव के नेताओं से क्‍यों मिल रहे?

Maharashtra Politics: नवंबर में महाराष्‍ट्र विधानसभा चुनाव होने के बाद ये माना जा रहा था कि अब वहां पिछले कुछ वर्षों से जारी राजनीतिक गतिरोध में ठहराव आएगा. लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा. दरअसल चुनावी नतीजों ने सत्‍तारूढ़ महायुति को जीत तो दिलाई लेकिन साथ ही दोस्‍ती में दरार भी आई. बीजेपी-शिवसेना-एनसीपी की महायुति में दिक्‍कत उस वक्‍त शुरू हुई जब चुनाव जीतने के बाद बीजेपी ने सीएम की कुर्सी पर दावा ठोक दिया. काफी प्रतिरोध के बाद एकनाथ शिंदे माने और डिप्‍टी सीएम के पद पर मान तो गए लेकिन इस बार महायुति में सरकार उस तरह से नहीं चल रही है जिस तरह शिंदे के सीएम रहने तक चलती थी. कहा जा रहा है कि सब कुछ सीएम देवेंद्र फडणवीस के हिसाब से हो रहा है और शिंदे और शिवसेना बस गठबंधन का हिस्‍सा हैं. शिवसेना अपनी तरफ से बगावती सिग्‍नल दे रही है.

अब कहा जा रहा है कि देवाभाऊ यानी सीएम फडणवीस ने शिवसेना की काट खोजने का मन बना लिया है. इसका ये मतलब नहीं कि वो शिंदे से छुटकारा चाहते हैं लेकिन इतना जरूर है कि वो अपने दांव से शिंदे को बैकफुट पर जरूर रखना चाहते हैं. राजनीतिक विश्‍लेषकों के मुताबिक इस सियासी दांव के मुताबिक वो सोमवार सुबह अचानक दादर स्थित मनसे नेता राज ठाकरे से मिलने पहुंचे. ये कहा गया कि औपचारिक मुलाकात थी और सीएम बनने के बाद उन्‍होंने राज से घर आने का वादा किया था इसलिए आए हैं. लेकिन सियासत में आम मुलाकात जैसा कुछ होता नहीं. जानकारों ने तत्‍काल इस मुलाकात को आने वाले बीएमसी और अन्‍य निकाय चुनावों से जोड़कर देखा.

दिनभर गहमागहमी और कयास लगाए जाते रहे लेकिन शाम को एक और बाउंसर उस वक्‍त मिला जब उद्धव ठाकरे की पार्टी के तीन नेता सीएम फडणवीस से मिलने पहुंच गए. उद्धव के बेहद करीबी मिलिंद नार्वेकर, पूर्व मंत्री सुभाष देसाई और महाराष्‍ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने फडणवीस से मुलाकात की. कहा गया कि बाला साहब ठाकरे मेमोरियल को लेकर ये मुलाकात हुई लेकिन एक ही दिन में ठाकरे परिवार से जुड़े दोनों दलों के नेताओं से मुलाकात की टाइमिंग पर सवाल खड़े हुए.

फडणवीस क्‍या चाहते हैं?
दरअसल इन मुलाकातों को लेकर कहा जा रहा है कि सीएम फडणवीस, शिवसेना नेता और डिप्‍टी सीएम एकनाथ शिंदे को ये संदेश देना चाहते हैं कि बीजेपी के पास उनके अलावा अन्‍य विकल्‍प भी हैं. वो ये जानते हैं कि इस वक्‍त राज ठाकरे, एकनाथ शिंदे से नाराज हैं. दरअसल मुंबई की माहिम सीट पर राज ठाकरे ने अपने बेटे अमित को उतारा था. बीजेपी ने शिंदे को लाख समझाया कि वो अपनी पार्टी से प्रत्‍याशी नहीं उतारें लेकिन शिवसेना ने सदा सरवणकर को उतार दिया. राज ठाकरे का मानना है कि इस वजह से अमित ठाकरे हार गए और उद्धव की पार्टी के कैंडिडेट महेश सावंत जीत गए. कहा जा रहा है कि यदि शिवसेना ने बीएमसी चुनावों में सीटों को लेकर यदि बीजेपी के लिए दिक्‍कत पैदा की तो राज ठाकरे के रूप में बीजेपी के पास विकल्‍प है. 

कहा जा रहा है कि बीएमसी चुनावों में राज ठाकरे के साथ आने की स्थिति में बीजेपी उनके बेटे अमित को विधान परिषद में भेज सकती है. बीजेपी का वैसे भी ये मानना है कि भले ही राज की पार्टी का चुनाव में खाता नहीं खुला लेकिन राज ठाकरे का प्रभाव मुंबई के भीतर आज भी है. बीजेपी इस बात का फायदा उठाना चाहती है.

इसी तरह उद्धव ठाकरे से भी फडणवीस के मेलजोल बढ़ाने को इसी रणनीति के तहत देखा जा रहा है कि सब पर चेक और बैलेंस बना रहेगा और वक्‍त आने पर अपने फायदे के हिसाब से इस रणनीति का इस्‍तेमाल किया जा सकेगा. दबाव की इस रणनीति से सत्‍ता में एकनाथ शिंदे को कंट्रोल में रखा जाएगा और बीएमसी चुनावों में बीजेपी किसी के भी साथ अपनी शर्तों पर सीटों का गठबंधन कर फायदे के सौदे में रहेगी. 

उद्धव और राज ठाकरे
उद्धव और राज ठाकरे दोनों ही इस वक्‍त सियासी रूप से कमजोर हालात में हैं. ठीकठाक डील मिलने की स्थिति में वो बीजेपी के साथ गठबंधन के बारे में सोच भी सकते हैं. वैसे भी उद्धव पर अपनी पार्टी के नेताओं का दबाव है कि वो बीजेपी के साथ एक बार फिर गठबंधन की बात करें. उद्धव इसलिए बीजेपी के प्रति नरम रुख दिखाते हुए अपने काडर को संतुष्‍ट करने की कोशिश करते हुए दिख रहे हैं और अपने लिए सही वक्‍त का इंतजार कर रहे हैं. राज ठाकरे के लिए ये बेहतर होगा कि बेटा अमित विधान परिषद में जाकर एमएलसी बन जाए और बीएमसी में बीजेपी के साथ चुनाव जीतकर वो अपनी पार्टी को पुनजीर्वित कर सकें. बेटे की हार के कारण वो एकनाथ शिंदे से नाराज भी हैं. लिहाजा शिवसेना को नुकसान पहुंचाने के लिए वो फडणवीस की स्‍वाभाविक च्‍वाइस बन सकते हैं. 

एकनाथ शिंदे
डिप्‍टी सीएम एकनाथ शिंदे इस बात को बखूबी समझ रहे हैं कि उनको सिलसिलेवार तरीके से साइडलाइन किया जा रहा है. कुछ समय पहले राज्‍य आपदा प्रबंधन कमेटी में जहां अजित पवार समेत तमाम मंत्रियों को जगह दी गई लेकिन उसमें शिंदे को शामिल नहीं किया गया. अब बवाल मचने पर मंगलवार को उनके नाम को इस कमेटी में शामिल किया गया. इसी तरह उनके दल के मंत्री उदय सावंत ने अपने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोई भी फैसला उनकी जानकारी के बाद ही सार्वजनिक किया जाना चाहिए. यानी कहीं न कहीं शिवसेना महायुति के अंदर अपने प्रभाव को खो रही है. शायद इसलिए ही शिंदे ने भी दांव खेलना शुरू कर दिया है. उन्‍होंने मंगलवार को शरद पवार की जमकर तारीफ कर एक नया मोर्चा खोल दिया है.

Trending news