-25 डिग्री में 4 भारतीय लड़कों ने बर्फ से बनाया 'हाहा, हुहू और हेहे', पूरी दुनिया में रचा इतिहास
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-25 डिग्री में 4 भारतीय लड़कों ने बर्फ से बनाया 'हाहा, हुहू और हेहे', पूरी दुनिया में रचा इतिहास

Snow Sculpture Championship: अंतर्राष्ट्रीय स्नो स्कल्पचर चैंपियनशिप में टीम इंडिया ने इतिहास रच दिया है. -25 डिग्री सेल्सियस से -35 डिग्री सेल्सियस तक के ठंडे तापमान में चार दिनों तक जबरदस्त मेहनत करके भारतीय टीम ने ऐसा स्कल्पचर बनाया, जो पूरी दुनिया में तीसरे नंबर पर रहा. आइए जानते हैं आखिर क्या था वह स्कल्पचर, 'हाहा, हुहू और हेहे' से क्या है उसका मतलब.

-25 डिग्री में 4 भारतीय लड़कों ने बर्फ से बनाया 'हाहा, हुहू और हेहे', पूरी दुनिया में रचा इतिहास

India to Top 3 in US Snow Sculpture Championships: टीम इंडिया ने अंतर्राष्ट्रीय स्नो स्कल्पचर चैंपियनशिप में तीसरा स्थान प्राप्त करके पूरे देश को गौरवान्वित किया है, क्योंकि टीम की शानदार मूर्ति, 'माइंड इन मेडिटेशन' ने जजों और दर्शकों को समान रूप से प्रभावित किया. गुलमर्ग से अमेरिका तक भारत की स्नो स्कल्पचर टीम के इस समय चर्चे हो रहे हैं. टीम ने भारत के लिए एक और गौरव हासिल किया है. टीम इंडिया की स्नो स्कल्पचर "माइंड इन मेडिटेशन" को ब्रेकेनरिज, कोलोराडो (अमेरिका) में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय स्नो स्कल्पचर चैंपियनशिप में पोडियम पर जगह मिली. चार सदस्यों वाली टीम, जहूर दीन लोन (कप्तान), मृदुल उपाध्याय, सुहैल मोहम्मद खान और मैट सीली ने -25 से -35 डिग्री सेल्सियस के तापमान में 4 दिनों में इसे बनाया. भारत तीसरे स्थान पर रहा, जबकि जर्मनी पहले और मैक्सिको दूसरे स्थान पर रहा.

हाहा, हुहू और हेहे का क्या है मतलब?
टीम के सदस्य मृदुल उपाध्याय ने कहा, "मैं टीम इंडिया से हूं. हमने अंतर्राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीसरा स्थान प्राप्त किया. हमने जो कलाकृति बनाई है, उसे माइंड एंड मेडिटेशन कहते हैं. आप ध्यान करते हैं, आपके मन में अलग-अलग विचार आते हैं. कुछ विचार आपको एक तरफ ले जाते हैं, तो कुछ दूसरी तरफ और अचानक आपको लगता है कि आप ध्यान करने के लिए यहां हैं. हमारी कलाकृति में खुशी के तीन विचार हैं, हाहा, हुहू और हेहे. अंत में हमने शाह का चिन्ह बनाया है, जो आपको याद दिलाता है कि आप यहां ध्यान करने के लिए आए हैं. यह कलाकृति हमारी वर्षों की कड़ी मेहनत और हमने जो सीखा है, उसका श्रेय हमारी टीम को जाता है."

ठंड के मौसम में भारतीय टीम ने रचे इतिहास
सिंहपोरा पट्टन कश्मीर के कैप्टन जहूर अहमद के नेतृत्व में चार सदस्यीय भारतीय टीम, जिसमें कश्मीर के एक अन्य प्रतिभाशाली बहरे और गूंगे मूर्तिकार सुहैल खान और आगरा के मृदुल उपाध्याय शामिल थे, ने चार दिनों तक अथक परिश्रम किया.ठंड के मौसम और समय की कमी का सामना करने के बावजूद, टीम ने अथक परिश्रम किया और बर्फ के एक विशाल खंड को एक अद्भुत कृति में बदल दिया.

भारतीय टीम के कप्तान ने क्या कहा?
भारतीय टीम के कप्तान जहूर अहमद ने कहा, "यह अंतरराष्ट्रीय स्नो स्कल्पचर चैंपियनशिप ब्रेकेनरिज कोलोराडो यूएसए में हर साल होती है, हर साल यह चैंपियनशिप होती है और भगवान की कृपा से हमारा चयन 2017 से होता है, हर साल हम कुछ नया सीखते हैं, इस बार भी हमने बहुत कुछ सीखा, इस साल कुछ संगठनों ने कुछ उपकरण प्रदान किए, जिससे हमें बेहतर काम करने में मदद मिली और इसका परिणाम यह हुआ कि हमें तीसरा स्थान मिला.”

आयोजक क्या बोले?
केल्विन के आयोजन दल के सदस्य ने कहा, "हमने भारत की टीम की भावना पर भरोसा किया है, जो सीखकर और अध्ययन करके यहां आए और समय के साथ इसमें माहिर बन गए. वे यहां मूर्तिकला देखने के लिए शानदार थे, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह बर्फ का पत्थर है या लकड़ी, मूर्तिकला दिल में बसती है, उन्होंने इसे ब्रेकेनरिज में बनाया है."

5 जज, 12 बर्फ की मूर्तियों के मुल्यांकन में लगे 6 घंटे
पैनल में 5 जज हैं, जिन्हें 12 बर्फ की मूर्तियों का मूल्यांकन करने में 6 घंटे से अधिक का समय लगा. यह उपलब्धि भारतीय बर्फ की मूर्तियों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो देश की प्रतिभा और रचनात्मकता को वैश्विक स्तर पर प्रदर्शित करती है. कोलोराडो के ब्रेकेनरिज में आयोजित इस प्रतियोगिता में दुनिया भर से 12 टीमें शामिल थीं, जिनमें अमेरिका, जर्मनी, मैक्सिको, फिनलैंड, कनाडा, मंगोलिया, दक्षिण कोरिया, अर्जेंटीना और तुर्की शामिल थे.

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