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छत्तीसगढ़ की इस जगह पर हैं रामजी के वनवास का प्रमाण, यही हुई थी मेघदूत की रचना

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में एक ऐसी जगह मौजूद है जहां बादलों की पूजा की जाती है. इतना ही नहीं यहा पर स्थित सीता बेंगरा गुफा का इतिहास भी बहुत रोचक है. कहते हैं कि यहीं पर महान कवि कालिदास ने अपनी विख्यात रचना मेघदूतम की रचना की थी. ये भी कहा जाता कि भारत में ये अकेला स्थान है, जहां हर साल बादलों की पूजा की जाती है और इसी स्थान पर राम जी के वनवास का प्रमाण भी मिलता है. 

 

रामगढ़ की पहाड़ी से जुड़ी कहानी

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रामगढ़ की पहाड़ी से जुड़ी कहानी

 

छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में स्थित है रामगढ़ की पहाड़ी अपने आप में कई कहानियां समाए हुए हैं. यहां पर स्थित सीता बेंगरा गुफा देश की सबसे पुरानी नाट्यशाला है. यहीं आकर कालिदास ने अपनी विख्यात रचना मेघदूतम की रचना की थी और इसी जगह पर आषाढ़ के महीने में बादलों की पूजा की जाती है.

सीता बेंगरा गुफा

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सीता बेंगरा गुफा

 

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर-बिलासपुर मार्ग स्थित रामगढ़ के जंगल में तीन कमरों वाला देश की सबसे पुराना नाट्यशाला है जिसे सीता बेंगरा गुफा के नाम से भी जाना जाता है. इस गुफा को  पत्थरों को काटकर बनाया गया है. नाट्यशाला को प्रतिध्वनि(echo)रहित  करने के लिए दीवारों में छेद किया गया है. 

राम जानकी मंदिर

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राम जानकी मंदिर

 

रामगढ़ की पहाड़ी की चोटी पर राम जानकी मंदिर स्थित है जहां राम सीता और लक्ष्मण जी की मूर्तियां स्थापित है. लोग यहां दूर-दूर से आकर पहाड़ी चढ़ते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं. 

मेघदूत की रचना

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मेघदूत की रचना

 

कहा जाता है कि महान कवि कालिदास जब राजा भोज से नाराज हो उज्जयिनी का त्याग किया था, तब वे यहीं आकर महाकाव्य मेघदूत की रचना की थी. बताते हैं कि यहां पर ईसा पूर्व दूसरी-तीसरी सदी के क्षेत्रीय राजाएं भजन-कीर्तन और नाटक भी करवाते थे. 

राम जी के वनवास का प्रमाण

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राम जी के वनवास का प्रमाण

 

कहते हैं कि वनवास के वक्त भगवान राम-सीता जी और लक्ष्मण यहां आए थे और उन्होंने सरगुजा के कई स्थानों पर 4 महीने व्यतीत किए थे. जिसके कुछ प्रमाण आज भी गुफा के बाहर दिखते हैं. 

लक्ष्मण रेखा

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लक्ष्मण रेखा

 

इस प्राचीन गुफा के बाहर दो फीट चौड़ा गड्ढा भी देखा गया है जो सामने से पूरी गुफा को घेरता है. माना जाता  है कि यह चौड़ा गड्ढा कुछ और नहीं बल्कि लक्ष्मण रेखा है.