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छत्तीसगढ़ की काशी में है महादेव का चमत्कारी मंदिर, भगवान राम ने की थी स्वयंभू शिवलिंग की स्थापना

Mahashivratri 2025: देवों के देव महादेव के महापर्व महाशिवरात्रि इस बार 26 फरवरी को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान शिव के सभी प्रसिद्ध मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिलेगी. इसकी तैयारियां अभी से ही शुरू हो गई हैं. ऐसे में आज हम आपको भगवान लक्ष्मण द्वारा स्थापित महादेव के ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो छत्तीसगढ़ की काशी के नाम से विख्यात है.

जानिए कहां है यह मंदिर

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जानिए कहां है यह मंदिर

दरअसल, हम भगवान शिव के जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वो छत्तीसगढ़ के  जांजगीर चापा जिले के खरौद में स्थित है. जो लक्ष्मणेश्वर मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है. महाशिवरात्रि पर यहां भक्तों की भारी भीड़ लगती है.  

 

जानिए मान्यता

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जानिए मान्यता

लक्ष्मणेश्वर मन्दि को लेकर  ऐसी मान्यता है कि रामायण कालीन शबरी उद्घार और लंका विजय के पहले भगवान राम और लक्ष्मण ने यहां खर और दूषण के वध के बाद ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा पाने महादेव की स्थापना की थी. 

 

मनोकामना होती है पूर्ण

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मनोकामना होती है पूर्ण

रामायणकालीन इस मंदिर का  राम वन गमन परिपथ में भी स्थान दिया गया है. यह मंदिर अपनी अद्भुत विशेषताओं के लिए जाना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु अपनी मनोकामना मांगता है वह अवश्य पूर्ण होती है. 

 

 

चढ़ाते हैं एक लाख चावल

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चढ़ाते हैं एक लाख चावल

इस मंदिर में श्रद्धालु अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए एक लाख चावल सफेद रंग के कपड़े के थैले में भरकर चढ़ाते है. इसे लक्ष्य या लाख चावल भी कहते हैं.

 

पाताल में समा जाता है जल

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पाताल में समा जाता है जल

लक्ष्मणेश्वर मंदिर अपने आप में बेहद अद्भुत और आश्चर्यों से भरा है. कहते हैं कि इस शिवलिंग में एक लाख छिद्र है. इसलिए इसे लक्षलिंग या लखेश्वर कहा जाता है. मान्यता है कि इसमें एक ऐसा भी छेद है जो पाताल से जुड़ा है. इसमें जितना भी जल डाला जाता है. वह सब पाताल में समा जाता है. वहीं, एक छेद ऐसा भी है जो हमेशा जल से भरा रहता है, इसे अक्षय कुण्ड कहा जाता है.

दर्शन करने से दूर होता है ब्रह्महत्या का दोष

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दर्शन करने से दूर होता है ब्रह्महत्या का दोष

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि कि रावण का वध करने के बाद लक्ष्मणजी ने भगवान राम से ही इस मंदिर की स्थापना करवाई थी. यह भी कहते हैं कि लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर के गर्भगृह में मौजूद शिवलिंग की स्थापना स्वयं लक्ष्मण ने की थी. ब्रम्ह हत्या दोष से निवारण के लिए भगवान राम और लक्ष्मण ने इस मंदिर में महादेव की आराधना की थी. 

 

जानिए कहां है मंदिर

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जानिए कहां है मंदिर

मान्यतानुसार यहीं पर श्रीराम ने खर और दूषण का वध किया था. इसलिए इस जगह का नाम खरौद है. लक्ष्मणेश्वर महादेव मंदिर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 120  किमी  और शिवरीनारायण से 3  किमी की दूरी पर बसे जाजांगीर चांपा जिले के खरौद नगर में स्थित है.