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कुंभ की तरह सैकड़ों साल पुराना है इस मेले का इतिहास, देवी-देवताओं का होता है मिलन

Mata Maawali Mela: नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले के विश्व प्रसिद्ध 5 दिवसीय माता मावली मेला का आगाज 800 वर्ष पुरानी माता मावली परघाव की रस्म अदायगी और मेला स्थल के आड़मावली माता मंदिर के ढाई परिक्रमा करने के साथ हुआ. रस्म अदायगी में देवी-देवता और आंगादेव के साथ-साथ क्षेत्र के सभी पुजारी भी बड़ी संख्या में माता मावली के परघाव रस्म अदायगी में शामिल हुए. माता मावली का आशीर्वाद लिया. 

मंदिर की कड़ी सुरक्षा

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मंदिर की कड़ी सुरक्षा

माता मावली परघाव रस्म और आड़मावली माता मंदिर की ढाई परिक्रमा नारायणपुर थाना प्रभारी की कड़ी सुरक्षा के बीच निभाया जाती है. नक्सल प्रभावित क्षेत्र को देखते हुए पुलिस मेला स्थल में सुरक्षा के कड़े इंतजाम करती है. 

देवी-देवताओं का मिलन

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देवी-देवताओं का मिलन

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेला का आगाज वर्षों पुरानी अनोखी परम्परा के साथ होता है. इस दौरान देवी देवताओं का मिलन, माता मावली की पूजा अर्चना के साथ मेला की शुरुआत की अनुमति मिलती है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात में मेला का जिक्र करते हुए यहां की परम्परा और मेला का बखान करने के साथ ही मेला देखने जाने की बात कही थी कई मायनों में मावली मेला अहम है. 

ढाई परिक्रमा

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ढाई परिक्रमा

बुधवारी बाजार में देवी-देवताओं के मिलन के बाद नारायणपुर थाना प्रभारी की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जुलुस के रूप में मेला स्थल पर आड़मावली माता मंदिर के ढाई परिक्रमा कर मावली परघाव की रस्म पूरी की गई.  इस दौरान देवी देवताओं और आंगा देवों का जगह जगह पर मिलन और नाचने गाने का सिलसिला चलता रहा. मेला स्थल से वापस मावली मंदिर में आकर सभी देवी देवताओं को श्रीफल देकर ससम्मान विदाई दी जाती है. 

देश-विदेश से आते हैं लोग

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देश-विदेश से आते हैं लोग

मावली मेला 800 वर्ष पुरानी मावली परघाव की रस्म के साथ अलग ही पहचान रखता है. इसे देखने देश विदेश के साथ महाराष्ट सहित छत्तीसगढ़ के कई जिलों के लोग दूर-दूर से लोग पहुचते हैं. हालांकि, मेले के स्वरूप में आए बदलाव और नक्सल दहशत के चलते मेला अपनी रौनक खोता जा रहा रहा है. 

पुरानी पहचान में मेला

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पुरानी पहचान में मेला

इस बार का माता मावली मेला अपनी पुरानी पहचान वापस लाएगा, क्योंकि नक्सल मोर्चे में पुलिस को मिली कामयाबी है. पारंपरिक रीति-रिवाज की अदायगी के चलते मेले की पहचान आज भी बरकरार है और नगर पालिका द्वारा मेले की रौनक बनाये रखने के लिए व्यवस्थित तरीके से दुकानों का आवंटन करने के साथ ही लाइट व पानी की व्यवस्था की जाने लगी है. 

पीएम मोदी ने की तारीफ

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पीएम मोदी ने की तारीफ

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि माता मावली मेला की पहचान देश ही नहीं विदेशों में भी है जहां से लोग मेला देखने पहुंचते हैं. हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी मन की बात में माता मावली मेला का जिक्र करते हुए जमकर तारीफ की थी.