Chhath Vrat Paran Vidhi: लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का कल समापन हो जाएगा. शुक्रवार को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ व्रत का पारण किया जाएगा.
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Chhath Vrat Paran Vidhi: आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज तीसरा दिन है. अब से कुछ देर बाद ही डूबते हुए सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. छठ व्रती महिलाएं नदी या तालाब के किनारे बने हुए छठ घाट पर पूरी निष्ठा भाव से भगवान सूर्य की उपासना करते हुए उन्हें अर्घय अर्पित करेंगी. वहीं, कल सूर्योंदय के अर्घ्य के साथ पारण किया जाएगा. छठ व्रत में पारण का विशेष महत्व होता है. व्रत का पारण सभी नियमों का पालन करने के बाद ही किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कल यानी 08 नवंबर को कब करें छठ व्रत का पारण और क्या है नियम...
हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरुआत होती है. इस साल छठ पूजा की शुरुआत 05 नवंबर से हो चुकी है, इसका समापन 8 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को सूर्योदय के साथ होगा. व्रती महिलाएं उगते हुए सूर्यदेव को जल अर्घ्य देने के बाद पारण करेंगी. छठ व्रत के पारण में कुछ नियमों का ख्याल रखना जरुरी होता है, क्योंकि, ऐसी मान्यता है कि छठ बिना इस नियमों को फॉलो किए पूरे पर्व का फल नहीं मिलता है.
छठ व्रत पारण विधि
चार दिवसीय छठ पूजा में पारण करने से पहले सूर्य देव को अर्घ्य देने के साथ ही घाट पूजन का बड़ा महत्व है. इस दिन व्रत तोड़ने से पहले सभी बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लें और छठी माता को अर्पित किया गया प्रसाद सभी को बांटें. इसके बाद छठ पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद जैसे कि ठेकुआ, मिठाई आदि से खोलें. आप चाय पीकर भी व्रत का पारण कर सकते हैं. छठ पूजा के पारण में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि मसालेदार भोजन नहीं करना है.
छठ व्रत खोलने का सही समय
छठ पूजा का पर्व आज यानी 07 नवंबर को मनाया जा रहा है. कल यानी 08 नवंबर को सूर्योदय बजकर 40 मिनट पर होगा. ऐसे में इसके बाद छठ व्रत का पारण किया जा सकता है.
छठ व्रत पारण का सही नियम
छठ व्रत तोड़ने का सही समय सूर्योदय के समय होता है. व्रत तोड़ने से पहले स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें.
इसके बाद पूजा स्थल को साफ करें और दीपक जलाएं.
पारण के लिए प्रसाद तैयार करें. इसके बाद छठ मईया की पूजा करें और उगते सूर्य को अर्घ्य दें.
इसके बाद छठ पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद से पारण करें.
पारण में सात्विक भोजन करें.
छठ पूजा के बाद रूरतमंदों को दान अवश्य दें.
सूर्य देव को अर्घ्य देने का मंत्र
ॐ सूर्याय नमः
ॐ भास्कराय नमः
ॐ आदित्याय नमः
ॐ वरुणाय नमः
ॐ मित्राय नमः
ऊं घृणि सूर्याय नमः
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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न लेखों पर आधारित है. इसे अपनाने से पहले धार्मिक क्षेत्र के जानकार की सलाह जरूर लें. zee mpcg इसकी पुष्टि नहीं करता है.)