पहले इस्लाम छोड़कर अपनाया सनातन धर्म, अब महाकुंभ में करेंगे शाही स्नान, घर वापसी पर मिला खास गिफ्ट
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पहले इस्लाम छोड़कर अपनाया सनातन धर्म, अब महाकुंभ में करेंगे शाही स्नान, घर वापसी पर मिला खास गिफ्ट

mp news-खंडवा में इस्लाम छोड़ सनातन अपनाने वाले इमरान और मुस्तफा प्रयागराज महाकुंभ में शाही स्नान करने के लिए रवाना हुए हैं. दोनों युवकों ने 4 दिन के भीतर सनातन धर्म अपनाया था. 

पहले इस्लाम छोड़कर अपनाया सनातन धर्म, अब महाकुंभ में करेंगे शाही स्नान, घर वापसी पर मिला खास गिफ्ट
madhya pradesh news-सनातन धर्म की विचारधारा से प्रभावित होकर खंडवा के दो युवकों ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म अपनाया था. दोनों ने 4 दिन के भीतर सनातन में घर वापसी की थी. जिसमें इमरान इस्लाम छोड़कर ईश्वर बना तो वहीं मुस्तफा घर वापसी कर मारुति नंदन बन गया. अब दोनों युवक प्रयागराज के लिए खंडवा से शाही स्नान करने के लिए रवाना हुए हैं. दोनों को विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में हिंदू संगठन के लोग खंडवा स्टेशन पहुंचे और उन्हें प्रयागराज के लिए रवाना किया. 
 
प्रयागराज रवाना होने से पहले इन दोनों युवकों ने कहा कि वे जब तक जिंदा रहेंगे तब तक सनातन के ध्वज को चारों दिशाओं में फहराते रहेंगे.
 
महाकुंभ में लगाएंगे डुबकी
3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन प्रयागराज महाकुंभ में देशभर के सभी संत शाही स्नान करेंगे. शाही स्नान के दिन करोड़ों लोगों के स्नान करने का अनुमान लगाया जा है. करोड़ों लोगों के बीच ऐसे दो युवक भी शाही स्नान करेंगे जो इस्लाम धर्म में रहते हुए भी सनातन के प्रति आस्था रखते थे. 
 
सनातन से प्रभावित होकर की घर वापसी
खंडवा के रहने वाले इन दोनों युवक प्रयागराज महाकुंभ में 144 साल बाद आए इस खास पल को गवाना नहीं चाह रहे थे और इस महाकुंभ में शाही स्नान करने के लिए उन्होंने अपना धर्म परिवर्तन करवा लिया. बचपन से ही बजरंगबली के किस्से कहानी सुनकर बड़े हुआ और हनुमान चालीसा पढ़ने वाला युवक मुस्तफा मारुति नंदन बन गया. वहीं इमरान ने भी विधि विधान से सनातन धर्म अपना कर अपना नाम ईश्वर रख लिया. 
 
पिता मस्जिद में थे इमाम
जानकारी के अनुसार इस्लाम छोड़ मारुति नंदन बने मुस्तफा चिश्ती के पिता इकबाल अली भामगढ़ मस्जिद में वर्षों तक इमाम रहे. उनका काम मुस्लिम समाज के लोगों को नमाज पढ़वाना था. उधर पिता इस्लाम धर्म को मजबूत करने में लगे थे, इधर बेटा बजरंगबली के किस्से कहानियों में लगा हुआ रहता था. 
 
बजरंगबली में आस्था हुई गहरी
मुस्तफा जिस गांव का रहने वाला था उस गांव में राम दरबार की एक प्राचीन मंदिर जो 500 साल से भी ज्यादा समय की पुरानी स्थापित की गई थी. उस मंदिर की प्रति मुस्तफा की आस्था काफी गहरी थी। इसी आस्था ने उसे सनातन की ओर आने को मजबूर कर दिया. बजरंगबली के प्रति आस्था और सनातन संस्कृति के प्रभावित होकर मुस्तफा ने इस्लाम छोड़कर सनातन धर्म में घर वापसी की. 
 

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