MP NEWS: हाईवे के लिए तोड़ा स्कूल, 6 महीने में बनाने का वादा किया, लेकिन अब एक कमरे के सहारे बच्चे!
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MP NEWS: हाईवे के लिए तोड़ा स्कूल, 6 महीने में बनाने का वादा किया, लेकिन अब एक कमरे के सहारे बच्चे!

Madhya Pradesh News: रायसेन जिला मुख्यालय से तकरीबन 180 किलोमीटर दूर अंतिम छोर पर नरसिंहपुर की बॉर्डर से लगा हुआ गांव है कोड़ा जमुनिया. इस गांव में आठवीं क्लास तक स्कूल था. बच्चे इसी स्कूल में पढ़ रहे थे, लेकिन भोपाल-जबलपुर फोर लेन सड़क निर्माण में इस स्कूल को तोड़ दिया गया. 

MP NEWS: हाईवे के लिए तोड़ा स्कूल, 6 महीने में बनाने का वादा किया, लेकिन अब एक कमरे के सहारे बच्चे!

Madhya Pradesh News: रायसेन जिला मुख्यालय से तकरीबन 180 किलोमीटर दूर अंतिम छोर पर नरसिंहपुर की बॉर्डर से लगा हुआ गांव है कोड़ा जमुनिया. इस गांव में आठवीं क्लास तक स्कूल था. बच्चे इसी स्कूल में पढ़ रहे थे, लेकिन भोपाल-जबलपुर फोर लेन सड़क निर्माण में इस स्कूल को तोड़ दिया गया. सड़क निर्माण कम्पनी ने 6 माह में स्कूल बनाने की बात कही, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी स्कूल नहीं बना. हालात यह हैं कि 1 से लेकर 8वीं क्लास तक के बच्चे एक कमरे के स्कूल में पढ़ने के लिए मजबूर हैं.

एनएच-45 भोपाल जबलपुर फोर लेन हाईबे बनाने के लिए ग्राम कोड़ा जमुनिया का स्कूल तोड़ दिया गया था. स्कूल जब तोड़ा जा रहा था तब ग्रामीणों ने विरोध किया जिसकी बजह से कुछ दिन काम भी बंद रहा. प्रशासन के हस्तक्षेप ओर स्कूल की जगह आवंटन के बाद स्कूल भवन को तोड़ने की अनुमति ग्रामीणों ने इस शर्त पर दी थी की छह माह में स्कूल भवन बनकर तैयार हो जाएगा. चार बीत गए. स्कूल भवन आज तक नहीं बना.

राशि मिली, लेकिन नहीं बना स्कूल
स्कूल भवन निर्माण के लिए एसडीएम और ग्रामीणों के सतत प्रयास से भवन निर्माण के लिए लगभग 82 लाख रूपये की मुआवजा राशि स्वीकृत हो चुकी है, लेकिन जिला पंचायत आज तक किसी एजेंसी को स्कूल निर्माण के लिए अधिकृत नहीं कर सकी. अगर फरवरी तक यह भवन निर्माण शुरू नहीं हुआ तो हो सकता है यह राशि लेप्स हो जाये. ग्रामीणों की चिंता भी जायज है. हालांकि, कलेक्टर अरविंद दुबे ने कहा कि जल्द स्कूल भवन निर्माण शुरू कराया जाएगा.

स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर हुए छात्र
बता दें कि सड़क निर्माता कंपनी अगर कोई बिल्डिंग तोड़ती है तो उसका निर्माण भी करकर देती है, लेकिन कोड़ा जमुनिया गाव का दुर्भाग्य कहें यहां कुछ नहीं किया. यहां तक कि बच्चों के भविष्य का ख्याल भी नहीं रखा गया. जो गरीब बच्चे इस स्कूल में पड़ते थे उनकी पढ़ाई तो छुटी और कई बच्चे तेंदूखेड़ा ओर देवरी पढ़ने जाने को मजबूर हैं. ऐसे में पालकों पर अतिरिक्त पढाई का बोझ जाने अनजाने बढ़ गया. अब देखना होगा कि कब तक स्कूल बिल्डिंग बनकर तैयार होती है.

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