Ujjain Simhastha Kumbh Mela Date: महाकाल की नगरी उज्जैन में पहली बार कब लगा था कुंभ मेला और अब अगला सिंहस्थ कुंभ मेला कब लगेगा? आइए जानते हैं उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ मेला से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी और यहां कब होगा सिंहस्थ कुंभ मेले का आयोजन...
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Simhastha Fair in Ujjain: सनातन हिंदू धर्म में कुंभ स्नान का विशेष महत्व है. इस साल प्रयागराज में महाकुंभ मेला का आयोजन होने जा रहा है. कुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल पर होता है. कुंभ मेला भारत के चार प्रमुख शहर हरिद्वार, नासिक, प्रयागराज और उज्जैन में होता है. एक तरफ जहां योगी सरकार प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ मेले की भव्य तैयारी में लगी हुई है, तो वहीं, दूसरी तरफ मध्य प्रदेश की मोहन सरकार उज्जैन में लगने वाले सिंहस्थ महाकुंभ की तैयारी में अभी से लग गई है.
दरअसल, महाकुंभ मेला हिंदुओं की आस्था का एक तीर्थस्थल है. इसमें दुनिया भर के बड़े-बड़े साधु संत के साथ-साथ हिंदू धर्म को मानने वाले लोग एकत्रित होते हैं. प्राचील काल से ही चार कुंभ मेले की धार्मिक मान्यता प्राप्त है. जिसमें हरिद्वार कुंभ मेला, प्रयागराज कुंभ मेला , नासिक-त्र्यंबकेश्वर सिंहस्थ और उज्जैन सिंहस्थ कुंभ मेला शामिल है. हरिद्वार में गंगा, प्रयागराज में सरस्वती, नासिक में गोदावरी और उज्जैन में श्रिप्रा नदी के तट पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. ऐसी मान्यता है कि कुंभ के दौरान इन पवित्र नदियों में स्नान करने मात्र से सभी पाप धुल जाते हैं.
इन 4 स्थानों पर ही क्यों लगता है कुंभ मेला
पौराणिक मान्यतानुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश निकला. इस कलश को लेकर देवताओं और राक्षसों में विवाद हो गया इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में गिरी थी. इसी वजह से ये स्थान अति पवित्र हो गए. अमृत कलश से गिरी अमृत की बूंदों के कारण ही ये चारों स्थान पवित्र हो गए. इसी वजह से हर 12 वर्ष के अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है. ऐसी मान्यता है की कुंभ के दौरान स्नान, दान, जप, तप, पूजा-पाठ मोक्ष का द्वार खोलता है.
कब होगा उज्जैन कुंभ मेले का आयोजन?
उज्जैन में हर 12 साल पर कुंभ मेले का आयोजन होता है. उज्जैन में पिछला कुंभ 2016 में लगा था. वहीं, अब अगला कुंभ मेला 2028 में लगेगा. साल 2028 में 27 मार्च से 27 मई तक उज्जैन में सिहस्थ महापर्व होगा. इस दौरान 9 अप्रैल से 8 मई के दौरान 03 शाही स्नान और 07 पर्व स्नान प्रस्तावित हैं. सरकार ने अनुमान लगाया है कि इस महाकुंभ में करीब 14 करोड़ श्रृद्धालु बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन आएंगे. हिंदू ज्योतिष के मुताबिक, उज्जैन में लगने वाले कुंभ मेले को सिंहस्थ मेला भी कहा जाता है. क्योंकि, इसका नाम बृहस्पति ग्रह (ब्रहस्पति) के सिंह राशि में प्रवेश करने के उत्सव के अवसर पर पड़ा है.
उज्जैन में कब हुआ था पहली बार कुंभ?
मध्य भारत के मालवा क्षेत्र में स्थित, धार्मिक नगरी उज्जैन क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन और आध्यात्मिक शहर है. यहां लगने वाला कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े और सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक समारोहों में से एक है. यह मेला यहां आने वाले श्रद्धालुओं को अध्यात्म और पुरानी दुनिया के आकर्षण के रंग में डुबो देता है. उज्जैन हिंदुओं की सात पवित्र शहरों (सप्त पुरियों) में से एक माना जाता है. उज्जैन वही जगह है, जहां भगवान कृष्ण, सुदाना और बलराम ने महर्षि संदीपनी के आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी. बताया जाता है धार्मिक नगरी उज्जैन में पहली बार कुंभ मेले का आयोजन नासिक-त्र्यंबकेश्वर कुंभ मेले से प्रेरित होकर 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था.
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