छत्तीसगढ़ के इस मंदिर में मौजूद है रामसेतु का पत्थर, वनवास के दौरान श्रीराम ने किया था विश्राम

Harsh Katare
Feb 10, 2025

छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में कई रहस्यमयी और प्राचीन मंदिर मौजूद हैं, जिनका इतिहास काफी दिलचस्प रहा है.

दूधाधारी मठ

राजधानी रायपुर में स्थित दूधाधारी मठ काफी प्राचीन स्थल माना जाता है, इससे जुड़ी यहां कई मान्यताएं हैं.

1554 में हुई स्थापना

दूधाधारी मठ का इतिहास लगभग 450 साल से भी ज्यादा पुराना है, इस मठ की स्थापना साल 1554 में हुई थी.

मठ का निर्माण

राजा रघुराव भोसले ने महंत बलभद्र दासजी के लिए मठ का निर्माण कराया था, यहां मराठा कालीन चित्रकारी आज भी मौजूद हैं.

भगवान श्रीराम

मान्यता है कि इस मठ में भगवान श्रीराम ने वनवास के दौरान विश्राम किया था, दूर-दूर से लोग यहां दर्शन करने पहुंचते हैं.

रामसेतु का पत्थर

कहा जाता है कि यहां रामसेतु का एक पत्थर मौजूद है, 11 किलो वजनी यह पत्थर कभी पानी में नहीं डूबता है.

नाम के पीछे की कहानी

दूधाधारी मठ के संस्थापक बलभद्र दास जी महाराज दूधाधारी नाम से प्रसिद्ध थे, वे सिर्फ का ही सेवन करते थे.

दूध का सेवन

बलभद्र जी महाराज अन्न या फल का सेवन नहीं किया करते थे, दूध से हनुमानजी की प्रतिमा को नहला के बाद उसी दूध का सेवन करते थे.

शरीर से दूध निकलता था

कहा जाता है कि यदि उस दौरान उसका कभी हाथ-पैर कट भी जाता था तो उसमें से खून की जगह दूध निकलता था.

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