Eknanth Shinde Ra Thackeray: राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच दो बार फोन पर बातचीत हो चुकी है. राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े चेहरे हैं. वह पिछले कुछ महीनों से काफी एक्टिव भी दिखे हैं.
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र के सियासी संकट से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे का गुट राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के साथ जा सकता है.
शिंदे और राज ठाकरे के बीच हो चुकी है बातचीत
बता दें कि राज ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच दो बार फोन पर बातचीत हो चुकी है. बातचीत के दौरान, शिंदे ने ठाकरे के स्वास्थ्य के बारे में भी पूछताछ की. राज ठाकरे को हाल ही में एक सर्जरी के बाद अस्पताल से छुट्टी मिली है.
राज ठाकरे महाराष्ट्र की राजनीति के बड़े चेहरे हैं. वह पिछले कुछ महीनों से काफी एक्टिव भी दिखे हैं. एकनाथ शिंदे ने जब बागी तेवर अपनाया था तब राज ठाकरे ने उनसे ये भी सवाल पूछा था कि आगे आप क्या करेंगे.
इसके पहले भी एकनाथ शिंदे राज ठाकरे के साथ जाने की इच्छा जता चुके हैं. राज ठाकरे हिंदुत्व के मुद्दे पर ही राजनीति करते हैं और एकनाथ शिंदे ने भी शिवसेना से बगावत करने के बाद हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है.
शिवसेना के बागी विधायक एकनाथ शिंदे बीते बुधवार से गुवाहाटी के एक होटल में डेरा डाले हुए हैं. शिंदे का दावा है कि उनके साथ 40 से ज्यादा विधायक हैं. एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर अपनाने के बाद महाराष्ट्र सरकार संकट में है. शिंदे गुट का कहना है कि शिवसेना महाविकास अघाडी से अलग हो और बीजेपी के साथ सरकार बनाए.
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
उधर, बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर ने 16 विधायकों को अयोग्यता नोटिस जारी किया. हालांकि इसे चुनौती दी गई है, जिसपर आज सुप्रीम कोर्ट करेगा.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ डिप्टी स्पीकर के खिलाफ भरत गोगवाली के नेतृत्व में बागी विधायकों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. शिंदे का दावा है कि उन्हें पार्टी के दो-तिहाई सदस्यों का समर्थन प्राप्त है.
डिप्टी स्पीकर ने ठाकरे की टीम की अयोग्यता याचिका पर 16 बागी विधायकों को नोटिस जारी किया था. शिंदे का दावा है कि डिप्टी स्पीकर के कार्यों से पता चलता है कि वह महा विकास अघाडी (एमवीए) सरकार के साथ है.
शिंदे की याचिका में कहा गया है कि डिप्टी स्पीकर द्वारा जारी अयोग्यता नोटिस संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का पूरी तरह से उल्लंघन है, साथ ही चौधरी को शिवसेना के नेता के रूप में मान्यता देने में डिप्टी स्पीकर की अवैध और असंवैधानिक कार्रवाई है.