Captain Anshuman Singh: पत्नी के साथ हसीन सपने बुनकर वो हमेशा के लिए सो गया... शहीद की बेवा का दर्द रुला देगा
Advertisement
trendingNow12324622

Captain Anshuman Singh: पत्नी के साथ हसीन सपने बुनकर वो हमेशा के लिए सो गया... शहीद की बेवा का दर्द रुला देगा

Captain Anshuman Singh: देश के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों के बलिदान से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता. शहीद होना इनका सपना होता है. शहीद होना गर्व की बात तो है.. लेकिन इसमें दर्द भी बेहिसाब है.

Captain Anshuman Singh: पत्नी के साथ हसीन सपने बुनकर वो हमेशा के लिए सो गया... शहीद की बेवा का दर्द रुला देगा

Captain Anshuman Singh Kirti Chakra: देश के लिए जान न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों के बलिदान से बड़ा कुछ भी नहीं हो सकता. शहीद होना इनका सपना होता है. शहीद होना गर्व की बात तो है.. लेकिन इसमें दर्द भी बेहिसाब है. ये दर्द शहीद के परिवार के हिस्से आता है. आज जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू शहीद की बेवा स्मृति सिंह को कीर्ति चक्र दे रही थीं तो सभी की आंखें नम हो गईं. स्मृति सिंह का चेहरा उनकी उदासी बयां कर रहा था. उन्हें कैप्टन अंशुमान से एक नजर में प्यार हुआ था.. दोनों ने साथ जीने की कसमें खाईं थीं. किसे पता था देश की खातिर कैप्टन अंशुमान.. पत्नी से किया वादा तोड़ देंगे.

कैप्टन अंशुमान सिंह को कीर्ति चक्र

कैप्टन अंशुमान सिंह की विधवा स्मृति सिंह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सामने हाथ जोड़कर खड़ी थीं. उनके साथ कैप्टन सिंह की मां भी थीं.. उनका दर्द साफ झलक रहा था. वे दोनों राष्ट्रपति भवन में भारत के दूसरे सबसे बड़े वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र को स्वीकार करने के लिए मौजूद थीं, जो कैप्टन सिंह को सियाचिन में आग लगने की घटना के दौरान उनकी बहादुरी के लिए मरणोपरांत दिया गया था.

मैं साधारण मौत नहीं मरूंगा..

स्मृति सिंह ने पति की बातों को याद करते हुए कहा कि वह मुझसे कहा करते थे, 'मैं अपनी छाती पर पीतल रखकर मरूंगा. मैं साधारण मौत नहीं मरूंगा.' स्मृति ने बताया कि अंशुमान से उनकी मुलाकात कॉलेज में हुई थी. पहली नजर में ही स्मृति को अंशुमान से प्यार हो गया था. स्मृति ने कहा कि हम पहली बार इंजीनियरिंग कॉलेज में मिले थे. इस मुलाकात के एक महीने बाद, उनका सेलेक्शन सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (AFMC) में हो गया. अंशुमान सुपर इंटेलिजेंट थे. आठ साल तक लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशन में रहने के बाद हमने शादी का फैसला किया. शादी के दो महीने के भीतर ही, उन्हें सियाचिन में तैनात कर दिया गया. कैप्टन सिंह सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र में एक मेडिकल ऑफिसर के रूप में 26 पंजाब के साथ तैनात थे. 19 जुलाई, 2023 को, शॉर्ट सर्किट के कारण सुबह 3 बजे के आसपास भारतीय सेना के गोला-बारूद के ढेर में आग लग गई. कैप्टन सिंह ने एक फाइबरग्लास झोपड़ी को आग की लपटों में घिरा देखा और तुरंत अंदर फंसे लोगों को बचाने में जुट गए. उन्होंने चार से पांच लोगों को बचाया. आग मेडिकल जांच चैंबर में फैल गई.

नहीं की जान की परवाह..

कैप्टन सिंह जान की परवाह किए बिना धधकती इमारत में चले गए. उन्होंने आग बुझाने की कोशिश की.. इस कोशिश में उनकी जान चली गई.

अंशुमान नहीं रहे...

स्मृति ने बताया कि 18 जुलाई को उन्होंने अंशुमान से बात की थी और दोनों ने फ्यूचर प्लान साझा किया था. दोनों ने आने वाले 50 साल के बारे में प्लान तैयार किया था. ये स्मृति और अंशुमान की आखिरी बातचीत थी. 19 जुलाई की सुबह स्मृति को फोन आया कि अंशुमान नहीं रहे. स्मृति ने कहा.. अगले 7-8 घंटों तक हम यह मानने को तैयार नहीं थे कि ऐसा कुछ हुआ है. अब जब मेरे हाथ में कीर्ति चक्र है, तो शायद यह सच हो. लेकिन कोई बात नहीं, वे एक हीरो हैं.

कैप्टन सिंह का अंतिम संस्कार 22 जुलाई 2023 को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भागलपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ हुआ था.

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news