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IMA POP 2022: देहरादून की इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में शनिवार यानी आज पासिंग आउट परेड आयोजित की जाएगी. परेड के बाद 377 जेंटलमैन कैडेट देश-विदेश की सेना का हिस्सा बन जाएंगे. इनमें 288 युवा सैन्य अधिकारी भारतीय थलसेना को मिलेंगे. जबकि 89 कैडेट 8 मित्र देशों अफगानिस्तान, भूटान, किर्गिस्तान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका, तजाकिस्तान और तंजानिया की सेना का हिस्सा बनेंगे. इस उपलब्धि के साथ ही सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 64 हजार 145 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव जुड़ जाएगा. इनमें मित्र देशों को मिले 2813 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं.
इस समारोह में सेना की दक्षिण पश्चिमी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ ले. जनरल अमरदीप सिंह भिंडर बतौर रिव्यूइंग आफिसर होंगे. वे पासिंग आउट परेड के लिए एकेडमी में पहुंच गए हैं. इस परेड को देखते हुए के मद्देनजर अकादमी (IMA) के आसपास सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद की गई है. चप्पे-चप्पे पर सेना के सशस्त्र जवान तैनात हैं. जबकि एकेडमी के बाहरी क्षेत्र में सुरक्षा का जिम्मा पुलिस ने संभाला हुआ है. इस बार परेड में 8 मित्र देशों के 89 जेंटलमैन कैडेट पास आउट होने जा रहे हैं. इनमें सबसे अधिक अफगानिस्तान (Afghanistan) के 43 कैडेट शामिल हैं. पास आउट होने के बाद 7 मित्र देशों के कैडेट अपने-अपने देश की सेना की मुख्यधारा में शामिल हो जाएंगे. हालांकि अफगानिस्तान के कैडेटों के सामने असमंजस बना हुआ है.
दरअसल तालिबान पिछले साल अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता पर कब्जा जमा चुका है. उसके कब्जे के साथ ही अफगानिस्तान सेना का अस्तित्व भी खत्म हो गया है. तालिबानी लड़ाके वहां पर ढूंढ-ढूंढकर अफगानिस्तानी सेना के अफसरों और जवानों की हत्या कर रहे हैं. जिसके चलते अफगानिस्तानी सेना के अधिकतर जवान वहां से भाग चुके हैं. ऐसे में आईएमए से आज पासआउट होने वाले अफगानिस्तानी कैडेटों का भविष्य क्या होगा, इसके बारे में अभी कुछ भी क्लियर नहीं है. इससे पहले दिसंबर 2021 में भी आईएमए से अफगानिस्तान के 40 कैडेट पास आउट हुए थे. उन्होंने भी तालिबान के डर से अफगानिस्तान जाने की हिम्मत नहीं जुटाई थी. तब से वे लोग अफगानिस्तान के दूतावास के संरक्षण में भारत में ही रह रहे हैं.
बताया जा रहा है कि विदेश मंत्रालय ही इस मामले में कोई अंतिम फैसला लेगा. आइएमए (IMA) में हर साल ट्रेनिंग करने वाले कैडेटों में सबसे ज्यादा संख्या अब तक अफगानिस्तान के कैडेटों की रही है. हालांकि अब अफगानिस्तान की सेना का वजूद खत्म होने के साथ ही यह सिलसिला भी यहीं रुक जाएगा.
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