बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी को मुख्य रूप से गणतंत्र दिवस का समापन समारोह कहा जाता है. यह सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है. बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी गणतंत्र दिवस की नई परंपरा नहीं है. यह अंग्रेजों के समय से आयोजित होती आ रही है. बीटिंग द रिट्रीट दिल्ली के विजय चौक पर आयोजित की जाती है. इस मौके पर राष्ट्रपति भवन को रंग बिरंगी लाइटों से सजाया जाता है. ये देखने लायक होता है.
26 जनवरी को भव्य परेड के बाद लोग बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020) का इंतजार करते हैं. गणतंत्र दिवस समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020) के साथ ही होता है. 71वें गणतंत्र दिवस का बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020)समारोह आज यानी बुधवार को होगा.
बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020) सेरेमनी राष्ट्रपति भवन के सामने 29 जनवरी को होता है. परंपरा के मुताबिक 26 जनवरी की परेड में तीनों सेना राष्ट्रपति के सामने शक्ति प्रदर्शन करते हैं. बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020) सेरेमनी में राष्ट्रपति की अनुमति लेकर अपने बैरक में लौट जाते हैं.
बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं. इसका मुख्य आकर्षण तीनों सेनाओं (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) का एक साथ मिलकर सामुहिक बैंड का कार्यक्रम प्रस्तुत करना होता है. परेड भी देखने लायक होती है.
इस कार्यक्रम में ड्रमर 'एबाइडिड विद मी' धुन बजाते हैं जो महात्मा गांधी के सबसे प्रिय धुनों में से एक थी. इसके बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है. इस दौरान बैंड मास्टर राष्ट्रपति के नजदीक जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं. इसी के बाद यह माना जाता है कि समापन समारोह पूरा हो गया है.
बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020)सेरेमनी का आयोजन 29 जनवरी को शाम को सूरज ढलने के साथ ही किया जाएगा. बीटिंग रिट्रीट (Beating retreat ceremony 2020)पर सेना का ऊंट दस्ता राजपथ पर शक्ति प्रदर्शन करते हैं. ऊंटों का ये दल रायसीना हिल पर उत्तर और दक्षिण ब्लॉक की प्राचीर पर खड़े दिखाई पड़ते हैं. दुनिया का यह इकलौता ऊंट दस्ता है जो न केवल बैंड के साथ राजपथ पर प्रदर्शन करता है बल्कि सरहद पर रखवाली भी करता है.
1976 में पहली बार 90 ऊंटों की टुकड़ी हुई थी शामिल. पहली बार 1976 में 90 ऊंटों की टुकड़ी गणतंत्र दिवस का हिस्सा बनी थी, जिसमें 54 ऊंट सैनिकों के साथ और शेष बैंड के जवानों के साथ थे.
ऊंटों का दल बीएसएफ देश का अकेला ऐसा फोर्स है, जिसके पास अभियानों और समारोह दोनों के लिए सुसज्जित ऊंटों का दल है. शाही और भव्य अंदाज में सजे ‘रेगिस्तान के जहाज’ ऊंट को सीमा सुरक्षा के लिए तैनात किया जाता है और पहली बार यह ऊंट दस्ता सन 1976 में इस राष्ट्रीय पर्व की झांकी का हिस्सा बना था. इससे पहले सन 1950 से इसकी जगह सेना का ऐसा ही एक दस्ता गणतंत्र दिवस परेड का हिस्सा था.
इन ऊंटों पर बैठने वाले जवान भी खास होते हैं. इनकी ऊंचाई 6 फुट या उससे अधिक होती है. ऐसे जवानों का चयन इस तरह के मौकों के लिए होता है. ये जवान ऐसी परेड के मौकों पर दिख जाते हैं.
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