इंदिरा गांधी के बाद दूसरे PM मोदी हैं जो जनता की नब्ज पकड़ना जानते हैं, प्रणब दा भी थे मुरीद
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इंदिरा गांधी के बाद दूसरे PM मोदी हैं जो जनता की नब्ज पकड़ना जानते हैं, प्रणब दा भी थे मुरीद

Pranab Mukherjee PM Modi: पीएम मोदी के साथ प्रणब मुखर्जी के रिश्ते बहुत ही बेहतरीन थे. वे पहले भी कई मौकों पर पीएम मोदी की तारीफ कर चुके थे. जब पीएम मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी तो उस समय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ही थे.

इंदिरा गांधी के बाद दूसरे PM मोदी हैं जो जनता की नब्ज पकड़ना जानते हैं, प्रणब दा भी थे मुरीद

Sharmistha Mukherjee Book: कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता रहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी की एक किताब चर्चा में है. शर्मिष्ठा मुखर्जी कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे और भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की बेटी हैं. अपनी नई किताब में उन्होंने प्रणब मुखर्जी की डायरी के हवाले से कई बातों का खुलासा किया है. उन्होंने किताब में पीएम मोदी से लेकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का भी जिक्र किया है. पीएम मोदी की तारीफ करते हुए कैसे उनकी तुलना इंदिरा गांधी से की और राहुल गांधी को अपरिपक्व बताया. साथ ही उस प्रसंग का भी जिक्र किया जब उनकी बजाय सोनिया गांधी ने मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाया. खुद प्रणब मुखर्जी ने अपनी बेटी शर्मिष्ठा को बताया कि वे उन्हें प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी.

लोगों की नब्ज महसूस करने की तीव्र क्षमता
दरअसल, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने अपनी किताब में लिखा कि बाबा ने यह बात मुझसे कही कि उनकी राय में नरेंद्र मोदी इंदिरा गांधी के बाद एकमात्र ऐसे पीएम हैं जिनमें लोगों की नब्ज इतनी तीव्र और सटीक महसूस करने की क्षमता है. 23 अक्टूबर 2014 को उन्होंने अपनी डायरी में लिखा कि पीएम का फैसला कि वे सियाचिन में जवानों और बाढ़ प्रभावितों के साथ दिवाली मनाएं, बहुत शानदार है. श्रीनगर में लोग उनकी राजनीतिक समझ के बारे में बात करते हैं जो कि वास्तव में थी, यह बात इंदिरा गांधी के अलावा किसी अन्य पीएम में नहीं दिखता है.

किस नजरिए से राहुल गांधी को देखते थे?
इस किताब में यह भी लिखा गया है कि प्रणब मुखर्जी किस नजरिए से राहुल गांधी को देखते थे. इतना ही नहीं प्रणब दा ने इस बात का भी इशारा कर दिया था कि राहुल गांधी राजनीतिक रूप से अपरिपक्व हैं. वे किसी भी सलाह पर ध्यान नहीं देते. प्रणब ने डायरी में यहां तक जिक्र किया कि उन्होंने मेरी बातों को अनुसना कर दिया था जब मैंने राष्ट्रपति के तौर पर उनको एक सलाह दी थी. वे कई ऐसे मौकों पर बार-बार गायब हो जाते हैं जो नहीं होना चाहिए. गंभीर राजनीति 24x7 और 365 दिन का काम है. वे व्यक्तिगत रूप से समय निकालने में विश्वास नहीं करते थे और पूरी लगन से राजनीति में भाग नहीं लेते थे. सभी आधिकारिक और पार्टी कार्यक्रम में वे नदारद रहते थे. पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण अवधि के दौरान वे ब्रेक पर दिखाई देते थे. 28 दिसंबर 2014, पार्टी के बमुश्किल छह महीने बाद आम चुनाव में हार के बाद पार्टी के 130वें स्थापना दिवस पर ध्वजारोहण समारोह के दौरान स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे. 

कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया
प्रणब दा ने लिखा कि मुझे कारण तो नहीं पता लेकिन ऐसी कई घटनाएं घटी हैं. शर्मिष्ठा ने आगे यह भी लिखा कि राहुल गांधी अक्सर राष्ट्रपति भवन में उनके पिता प्रणब मुखर्जी से मिलने जाया करते थे. एक बार प्रणब दा ने उन्हें सलाह दी कि वे देश के भावी नेता हैं. उन्हें सरकार चलाने के लिए कुछ अनुभव हासिल करना चाहिए. उन्होंने इसके लिए उन्हें कैबिनेट में शामिल हो जाने का सुझाव दिया लेकिन राहुल गांधी ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. इसके अलावा शर्मिष्ठा मुखर्जी ने आगे लिखा कि जब उन्होंने अपने पिता से प्रधानमंत्री पद के संदर्भ में सवाल किया तो उनका जवाब था कि नहीं वे मुझे प्रधानमंत्री नहीं बनाएंगी.

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