President Farewell Speech: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन, जानें भाषण की बड़ी बातें
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President Farewell Speech: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन, जानें भाषण की बड़ी बातें

Ramnath kovind: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश के नाम अपना आखिरी संबोधन दिया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आज मेरा कार्यकाल पूरा हो रहा है. इस दौरान लोगों से बहुत प्यार मिला. देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं. 

President Farewell Speech: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का राष्ट्र के नाम आखिरी संबोधन, जानें भाषण की बड़ी बातें

President Ramnath kovind: रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति के तौर पर देश के नाम अपना आखिरी संबोधन दिया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद छोड़ने की पूर्व संध्या पर कहा कि 5 साल पहले, मैं आपके चुने हुए जनप्रतिनिधियों के माध्यम से राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था. राष्ट्रपति के रूप में मेरा कार्यकाल आज समाप्त हो रहा है. मैं आप सभी और आपके जन प्रतिनिधियों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करना चाहता हूं.  

  1. देश के नाम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आखिरी संबोधन
  2. रामनाथ कोविंद ने देश के प्रति जताया आभार
  3. युवाओं से अपनी संस्कृति से जुड़ने का किया आह्वान 

जनता होती है राष्ट्र की निर्माता

उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों का आभार है. मुझे किसान और मजदूरों से प्रेरणा मिली. देश के भरोसे का आभार व्यक्त करता हूं. राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान सभी वर्गों से सहयोग मिला. उन्होंने कहा कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. हम नायकों को याद कर रहे हैं. जनता राष्ट्र की निर्माता होती है. आजादी में कई लोगों को योगदान रहा है. गांधी जी ने देश को नई दिशा दी. देश में नई आशा का संचार हुआ है. 

लोकतांत्रिक व्यवस्था को सलाम

राष्ट्रपति ने कहा कि कानपुर देहात जिले के परौंख गांव में एक बेहद साधारण परिवार में पले-बढ़े होने के बावजूद वह एक राष्ट्रपति के तौर पर देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं. इसके लिए मैं देश की जीवंत लोकतांत्रिक व्यवस्था की ताकत को सलाम करता हूं. 

शिक्षकों से जुड़े रहने की परंपरा को रखें जारी

उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान अपने पैतृक गांव का दौरा करना और मेरे कानपुर स्कूल में बुजुर्ग शिक्षकों का आशीर्वाद लेने के लिए उनके पैर छूना हमेशा मेरे जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक होगा. अपनी जड़ों से जुड़े रहना भारतीय संस्कृति की विशेषता है.  मैं युवा पीढ़ी से अनुरोध करूंगा कि वे अपने गांव या कस्बे और अपने स्कूलों और शिक्षकों से जुड़े रहने की इस परंपरा को जारी रखें.

सेंट्रल हॉल में सांसदों को किया था संबोधित

वहीं, इससे पहले उन्होंने संसद के सेंट्रल हॉल में सांसदों द्वारा उनके लिए आयोजित किए गए विदाई समारोह में अपने संबोधन में संसद को ‘लोकतंत्र का मंदिर’ बताया था, जहां सांसद उन लोगों की इच्छाओं को व्यक्त करते हैं, जिन्होंने उन्हें निर्वाचित कर भेजा होता है.

सांसदों से किया आह्वान

निवर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजनीतिक दलों से ‘राष्ट्र सर्वप्रथम’ की भावना के साथ दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के कल्याण के लिए जरूरी विषयों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आह्वान किया था. उन्होंने नागरिकों से विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए गांधीवादी तरीकों को अपनाने की अपील की थी.

संसदीय प्रणाली है बड़ा परिवार

कोविंद ने भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना एक बड़े परिवार से की और सभी ‘पारिवारिक मतभेदों’ को हल करने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा था कि अपना विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों के समर्थन में दबाव बनाना नागरिकों का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन उन्हें (नागरिकों को) गांधीवादी तरीकों को अपनाकर अपने अधिकारों का शांतिपूर्वक उपयोग करना चाहिए.

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