Goverdhan Puja: ग्वाल समाज ने गोबर से बनाए गोवर्धन पर्वत, पारंपरिक तौर से की पूजा-अर्चना
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Goverdhan Puja: ग्वाल समाज ने गोबर से बनाए गोवर्धन पर्वत, पारंपरिक तौर से की पूजा-अर्चना

Beawar: देशभर में दीपावली के अगले दिन महिलाओं द्वारा गोवर्धन की पूजा की जाती है लेकिन इस बार सूर्यग्रहण के चलते दीपावली के तीसरे दिन ग्वाला घोसी समाज की ओर से गोवर्धन की पूजा की गई. वैसे तो महिलाएं पर परंपरा के अनुसार गोवर्धन की पूजा अर्चना करती है लेकिन ब्यावर शहर के छावनी क्षेत्र में ग्वाला घोसी समाज के पुरुषों द्वारा गोवर्धन पूजने की अनूठी परंपरा का निर्वाह किया जाता है. 

घोसी समाज की ओर से गोवर्धन की पूजा.

Beawar: देशभर में दीपावली के अगले दिन महिलाओं द्वारा गोवर्धन की पूजा की जाती है लेकिन इस बार सूर्यग्रहण के चलते दीपावली के तीसरे दिन ग्वाला घोसी समाज की ओर से गोवर्धन की पूजा की गई. वैसे तो महिलाएं पर परंपरा के अनुसार गोवर्धन की पूजा अर्चना करती है लेकिन ब्यावर शहर के छावनी क्षेत्र में ग्वाला घोसी समाज के पुरुषों द्वारा गोवर्धन पूजने की अनूठी परंपरा का निर्वाह किया जाता है. दीपावली के तीसरे दिन बुधवार को भी समाज की ओर से आयोजित इस पूजा में बडी संख्या में पुरुषों ने भाग लिया. सुबह जल्दी उठकर पुरुषों ने महिलाओं की तर्ज पर गोवर्धन की आकृति बनाई तथा खीर, पूड़ी का प्रसाद बनाकर पूजा के लिए पहुंचे.

हर व्यक्ति की ओर से गोवर्धन के ऊपर किनारे पर दो पूड़ी तथा उस पर खीर रखी गई. बाद में पुरुषों ने हाथ में मक्की की खीर व दूध युक्त पानी लेकर सामाजिक गीत गाते हुए गोवर्धन पूजा की. पुरुषों ने परिक्रमा लगाते हुए परिवार, समाज और शहर की खुशहाली के लिए भी कामना की. परिक्रमा पूरी होने के बाद युवाओं ने इस खीर, पूड़ी को मुंह से उठाया. घोसी समाज के लोगों का मानना है कि युवाओं द्वारा जितनी जल्दी खीर, पूड़ी खाई जाती है उतनी ही जल्दी उनकी शादी होती है. इसी परंपरा में महिलाओं ने गाय को सजा कर उनके सर पर मोरपंखी लगाकर उनके तिलक लगाते हो पूजा अर्चना की और गाय को समृद्धि का प्रतीक बताया.

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इस दौरान ग्वाला समाज के अध्यक्ष मोतीलाल पूनिया, रामकिशोर कच्छावा, माणक सफा, जगदीश ग्वाला, लक्ष्मण गुजलिया, लक्ष्मीनारायण ग्वाला, गोपाल, ग्वाला, मोहन घोषी, लाला दगदी, लाला भाई सफा, भंवर ग्वाला, आकाश ग्वाला, शिवम ग्वाला, सिद्धांत ग्वाला, कुंदन ग्वाला, शांति देवी, छोटी देवी, कमला देवी, कला देवी, तुलसी देवी, किरण, भारती, मधुरिमा तथा शिवांगी सहित बडी संख्या में समाज के महिला पुरुष मौजूद रहे.

Reporter-Dilip Chauhan

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