Alwar News: महिला नसबंदी शिविर में भारी अनियमितता सामने आई है, जहां सर्दी के मौसम में नसबंदी के बाद महिलाएं ठंड से जमीन पर ठिठुरती रहीं. यह शिविर एनजीओ और राजस्थान सरकार द्वारा आयोजित किया गया था, लेकिन यहां मात्र 10 बैड पर 71 महिलाओं के रजिस्ट्रेशन कर दिए गए. इससे बाकी महिलाओं को जमीन पर लिटाना पड़ा, और आपरेशन के बाद अर्द्ध बेहोशी की हालत में परिजन उन्हें ले जाते दिखाई दिए. एनजीओ के अधिकारियों को मानवता और संवेदनशीलता से कोई सरोकार नहीं दिखाई दिया, और वे केवल नसबंदी के टारगेट को पूरा करने की कोशिश में लगे रहे. मीडिया के सवालों से बचते हुए एनजीओ के अधिकारी नजर आए, और स्थानीय चिकित्सालय प्रशासन को भी इस मामले में अंधेरे में रखा गया.
महिलाओं को परिजनों ने अपनी शाल और चद्दरों से उढ़ाया, लेकिन एनजीओ के अधिकारी और कर्मचारी का दिल नहीं पसीजा. यह घटना मानवता को भुला देने वाली है, खासकर जब परिजनों ने अपने छोटे बच्चों को भी साथ लाया था. बड़ा सवाल यह है कि जब अस्पताल में पर्याप्त बैड नहीं थे, तो इतने सारे आपरेशन क्यों किए गए? इससे पहले भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जिसके बाद चिकित्सा विभाग ने दोषियों पर कार्रवाई की थी.
खेड़ली कस्बे के राजकीय उपजिला अस्पताल में महिला नसबंदी शिविर में भारी अनियमितता तथा लापरवाही देखने को मिली. जहां एक एनजीओ जिसके द्वारा राज सरकार से अनुबंध पर महिलाओं के आपरेशन किए गए. एफ आर एस एच नाम की एनजीओ द्वारा आयोजित नसबंदी शिविर में सरकारी नियमों को पुरी तरह से ताक पर रख दिया गया. खुलेआम मनमानी की गई. स्थानीय चिकित्सालय प्रशासन को भी अंधेरे में रखा गया.
जानकारी अनुसार खेड़ली रैफरल अस्पताल जों कि 30 बैड का है. उपजिला अस्पताल में क्रमोन्नत हों चुका है. लेकिन उपजिला अस्पताल के समान सुविधाएं अभी मौजूद नहीं है. अस्पताल में केवल 30 बैड है. तथा जिसमें 20 बैड जरनल बार्ड में मरीजों के लिए है. इस सब की जानकारी होते हुए भी एनजीओ द्वारा 71 महिलाओं के रजिस्ट्रेशन तथा नसबंदी आपरेशन कर दिए.
मात्र 10 महिलाओं को बैड नसीब हुआ. बाकी 61 महिलाओं को जमीन पर भरी सर्दी में फर्स पर लिटाया गया, जिससे महिलाएं ठंड सर्दी से ठिठूरती रही.
एनजीओ द्वारा महिलाओं को ठंड से बचने के लिए कम्बल रजाईयां भी उपलब्ध नहीं कराई गई थी.आखिर परिजनों ने अपने साथ लाएं शाल चद्दरों से उन्हें उढाया गया.लेकिन एनजीओ के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को इनकी परेशानी से कोई मतलब नहीं था. उन्हें तों केवल अधिक से अधिक आपरेशन करने थे. चाहे नियमों की धज्जियां उडे या किसी महिला के साथ अनहोनी हो जाएं.
सारी मानवता तथा संवेदनशीलता को भुला बैठे थे एनजीओ संचालक. इतनी ही लापरवाही से एनओसी का पेट नहीं भरा. आपरेशन के बाद अर्द्ध बेहोशी की हालत में परिजन अपनी महिलाओं को बिना व्हील चेयर के पैदल ही साधनों तक ला रहे थे.
वहीं बहुत से लोग अपने छोटे छोटे मासूम बच्चों को भी साथ लाएं थें. जों भारी ठंड में अपनी मां के इंतजार में परिजनों की गोद में थे. एनजीओ की भारी अव्यवस्था और लापरवाही से महिलाओं के परिजन दुखी और नाराज़ दिखाई दिए. इस लापरवाही के संबंध में जब मिडिया ने एनजीओ के चिकित्सक डॉ अशोक जैन से बातचीत की. तो बचते नज़र आएं तथा कहा कि आगे से लापरवाही नहीं बरती जाएगी. तथा अभी सर्दी नहीं है, जबकि स्वयं डॉ अशोक जैन तथा एनजीओ स्टफ स्वेटर ,जैकेट ,जर्सी ,कोट पहने हुए थे.
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