राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में माही विभाग की क्षतिग्रस्त नहर किसानों को परेशान कर रही है.जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां पर अब तक टेल तक पानी नहीं पहुंच पाया है.
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Ghatol: बांसवाड़ा जिले के उदपुरा गांव के किसान पिछले 5 सालों से जर्जर माइनर नहर से परेशान हो रहे हैं. जर्जर नहर से पानी का सीपेज खेतों में जा रहा है. जिससे किसानों की फसल पूरी तरह से खराब हो रही है. मंत्री, विधायक ,कलेक्टर सभी को यहां के गांव वालों ने ज्ञापन दिया और इस समस्याओं के बारे में अवगत कराया पर अब तक इस समस्या का किसी ने समाधान नहीं किया. अब किसानों ने खुद के पैसों से प्लास्टिक का तिरपाल खरीदा और टेल तक पानी पहुंचाने के लिए माइनर नहर में तिरपाल लगा दिया.
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में माही विभाग की क्षतिग्रस्त नहर किसानों को परेशान कर रही है.जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां पर अब तक टेल तक पानी नहीं पहुंच पाया है. कई गांव ऐसे हैं जहां पर नहर क्षतिग्रस्त होने से पानी व्यर्थ बह रहा है. इतना ही नहीं जिले के कुछ जगह खेतों में सिपेज का पानी भर जाने से फसलें भी खराब हो रही है.
ऐसा ही एक मामला जिले के सेनावासा पंचायत के उदपुरा गांव में देखने को मिला. इस गांव में माही विभाग द्वारा 20 साल पहले माइनर नहर का निर्माण किया गया था पर इस नहर की देखरेख समय पर विभाग द्वारा नहीं की गई. जिस कारण से पिछले 5 सालों से यह माइनर नहर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुकी है. इस क्षतिग्रस्त नहर का पानी आसपास के खेतों में भर रहा है जिससे किसानों की फसलें भी चौपट हो रही है. इस इलाके में 400 बीघा खेत है जो प्रभावित हो रहा है.
लगातार इस नहर को सही करने के लिए यहां के किसानों ने , माही विभाग ,स्थानीय विधायक ,मंत्री और जिला कलेक्टर को ज्ञापन दिया और अवगत कराया और इस नहर को सही करने के लिए आग्रह किया पर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया. जिस कारण से पिछले 5 साल से यहां के किसान परेशान हो रहे हैं. अब किसानों ने क्षतिग्रस्त नहर के सीपेज को रोकने के लिए खुद ने पैसा इकट्ठा किया और प्लास्टिक का तिरपाल लाकर इस पूरी नहर के अंदर बिछा दिया जिससे क्षतिग्रस्त नहर का पानी खेतों में ना आ सके,
यह लगातार प्लास्टिक का तिरपाल 5 साल से किसान अपने पैसों से खरीद कर लगा रहे हैं पर माही विभाग के अधिकारियों की आंख अभी नहीं खुली है ना ही जिला प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है ,और आज हमारा अन्नदाता परेशान सा नजर आ रहा है . इतना ही नहीं माइनर नहर के पास बनी बड़ी नहर भी पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है उसका भी पानी खेतों में जा रहा है.
किसान पंकज बामनिया ने बताया कि हमारे गांव में 20 साल पहले माइनर नहर बनी और पिछले 5 सालों से इतनी जर्जर हो चुकी है कि नहर का सीपेज का पानी खेतों में जा रहा है ,पिछले 5 सालों से हम सभी किसानों ने चंदा इकट्ठा करके प्लास्टिक का तिरपाल खरीद रहे हैं और इस नहर में बिछाकर पानी को टेल तक पहुंचा रहे हैं ,इस नहर को सही करने के लिए विभाग के अधिकारी और नेताओं को भी अवगत कराया पर अब तक किसी ने इस नहर को सही नहीं करवाया है. यहां का 400 बीघा के किसान रोजाना परेशान हो रहे है.
किसान देवीलाल पटेल ने बताया कि हमारे गांव की माइनर नहर और बड़ी नहर दोनों पूरी तरह से क्षतिग्रस्त है. दोनों नहरों से सीपेज का पानी खेतों में आ रहा है जिससे खेत में फसलों को नुकसान हो रहा है और किसान परेशान हो रहा है . इन क्षतिग्रस्त नहरों को सही करने के लिए कई बार विभाग के अधिकारियों को और नेताओं को अवगत कराएं पर किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिस कारण से आज हम परेशान हैं और सरकार भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही है.
Reporter- Ajay Ojha
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