राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी दूसरे राज्यों की तुलना में तो कम ही है, वहीं जेलों में बंद कैदियों को मिल रही न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिल रही है. भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री हरिमोहन शर्मा ने भी मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यही सवाल उठाया है.
Trending Photos
Jaipur: राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी को लेकर एक बार फिर सवाल उठ रहा है कि मजदूर अच्छी मजदूरी लेने के लिए जेल चले जाएं ? दरअसल प्रदेश में मजदूरों को कैदियों से भी कम मजदूरी मिल रही है. भारतीय मजदूर संघ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस तरफ ध्यान दिलाया है. श्रम विभाग ने न्यूनतम मजदूरी दरों के लिए आपत्ति और सुझाव मागे थे.
संगठन लगातार न्यूनतम मजदूरी दरों को बढ़ाने की कर रहे मांग
राजस्थान में मजदूरों को उनकी योग्यता के अनुसार मजदूरी तय की गई है. इसके तहत कुशल श्रमिकों के लिए 180 रुपए प्रतिदिन तथा अकुशल श्रमिकों के लिए 156 रुपए प्रतिदिन मानदेय तय किया गया है. इधर, मजदूर संगठन लगातार न्यूनतम मजदूरी दरों को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं.
राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी दूसरे राज्यों की तुलना में कम
मजदूरों की मांग पर राज्य के श्रम विभाग ने जनवरी 2022 में अधिसूचना जारी कर न्यूनतम मजदूरी दरों के क्रम में आपत्ति और सुझाव मांगे थे. इसके बाद मजदूर संगठन अपने अपने सुझाव दे रहे हैं. इधर, हालात यह है कि राजस्थान में न्यूनतम मजदूरी दूसरे राज्यों की तुलना में तो कम ही है, वहीं जेलों में बंद कैदियों को मिल रही न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिल रही है. भारतीय मजदूर संघ के प्रदेश महामंत्री हरिमोहन शर्मा ने भी मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यही सवाल उठाया है.
जेलों में सजायाफ्ता कैदियों को पहले कुशल मजदूरी के रूप में 209 रुपए तथा अकुशल मजदूर के रूप में 189 रूपए प्रतिदिन दिए जा रहे थे. इसके बाद पिछले दिनों राज्य सरकार ने कैदियों की इस न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 249 रुपए तथा 225 रुपए कर दिया था. कैदियों को रहने, भोजन पानी पर भी खर्च नहीं करना पड़ रहा है.
मजदूरों की हालत कैदियों से भी बदतर
ऐसे में साफ दिख रहा है कि मजदूरों की हालत कैदियों से भी बदतर स्थिति में है. इधर दिल्ली, मध्य प्रदेश, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में भी न्यूनतम मजदूरी दर राजस्थान से ज्यादा है. केंद्रीय श्रम आयुक्त के 12 अक्टूबर 2020 तथा 31 मार्च 2022 को जारी आदेश में कहा गया है कि कार्य की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए मजदूरी का निर्धारण किया जाए. भारतीय मजदूर संघ ने मजदूरी तय करते समय परिवार की गणना 3 यूनिट के बजाय पांच यूनिट करने की मांग की है. प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी 18000 रुपए मासिक करने की जरूरत बताई है.
ये भी पढ़ें- मांगों को दुरस्त करने की उठाई मांग, पीयूसी मोबाइल वैन एसोसिएशन ने दिया ज्ञापन
न्यूनतम मजदूरी तय करें
मकान किराया भत्ता का निर्धारण एवं 6 महीने में वीडीए का प्रावधान करते हुए न्यूनतम मजदूरी तय करे. कुशल अकुशल श्रमिकों के कार्यानुभव की अवधि दो, तीन और 5 वर्ष किया गया, जिसे हटाया जाए.सामान्य काम के घंटों को 8 घंटे प्रतिदिन से अधिक कार्य करवाने पर ओवर टाइम भुगतान का प्रावधान लिया गया है, लेकिन एम्बुलेंस 108 और 104 के चालकों को ओवर टाइम नहीं दिया जा रहा, जो शोषण की श्रेणी में आता है.