Jaipur: राजस्थान विधानसभा ने गुरूवार को राजस्थान माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. प्रारम्भ में शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने प्रभारी मंत्री की ओर से विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया.
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Jaipur: राजस्थान विधानसभा ने गुरूवार को राजस्थान माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक, 2022 को ध्वनिमत से पारित कर दिया. प्रारम्भ में शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला ने प्रभारी मंत्री की ओर से विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया. विधेयक पर हुई चर्चा के बाद अपने जवाब में डॉ. कल्ला ने बताया कि विधेयक में व्यवहारियों को कई सुविधाएं दी जा रही हैं, जिससे राज्य सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी. साथ ही उन्होंने बताया कि विधेयक में इनपुट क्रेडिट टैक्स में सुधार किया गया है.
व्यवहारी द्वारा इनपुट क्रेडिट टैक्स के गलत दावे प्रस्तुत करने पर क्रेडिट टैक्स का उपयोग करने के बाद अब ब्याज देय होगा. साथ ही क्रेडिट नोट जारी करने की व्यवस्था को विधेयक में शामिल किया गया है. डॉ. कल्ला ने बताया कि विधेयक में यह प्रावधान भी शामिल किया है कि 6 महीने तक रिटर्न नहीं भरने पर पंजीयन को रद्द नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही जीएसटी आर-1, 3 और 8 की विवरणियों में भी सुधार किया गया है, इससे विवरणियों में विसंगतियों को रोका जाएगा.
प्रभारी मंत्री ने सदन को बताया कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के कुशल वित्तीय प्रबंधन से राज्य के टैक्स कलेक्शन में वृद्धि दर्ज की गई है. जीएसटी के आधार वर्ष (2017-18) में राज्य में 12 हजार 137 करोड़ रूपये का टैक्स कलेक्शन हुआ था, जो कि वर्ष 2021-22 में 27 हजार 501 करोड़ रूपए पहुंच गया. साथ ही उन्होंने बताया कि गत वर्ष की तुलना में राज्य के जीएसटी कलेक्शन में 32.5 प्रतिशत की वृद्धि भी दर्ज की गई है, जो कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आन्ध्र प्रदेश और हरियाणा से अधिक है. साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का टैक्स चोरी पर प्रभावी अंकुश होने के कारण टैक्स कलेक्शन बढ़ा है.
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डॉ. कल्ला ने बताया कि जब जीएसटी को वर्ष 2017 में लागू किया गया था, तब केन्द्र ने आय में 14 प्रतिशत वृद्धि का आश्वासन दिया था और अगर यह वृद्धि नहीं होती है तो केन्द्र ने पुनर्भरण का भरोसा भी दिया था. साथ ही उन्होंने बताया कि केन्द्र द्वारा आश्वासन पूरा नहीं किया गया और राजस्थान का 3 हजार 780 करोड़ रूपए बकाया है. मुख्यमंत्री ने क्षतिपूर्ति राशि के लिए केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा, जिस पर अभी तक कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने के लिए प्रचारित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया.
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