Rajasthan Politics: प्रदेश में हुए उपचुनाव के नतीजों के बाद सत्ताधारी पार्टी और सरकार से जुड़े लोगों के चेहरों पर अलग रौनक दिख रही है. साल 2023 के विधानसभा चुनावों में सत्ता में आने वाली बीजेपी के पास इन सात में से केवल एक सीट थी, लेकिन अब उपचुनाव में पार्टी की सीटों में इजाफा हुआ है. बीजेपी ने खुद की सलूम्बर सीट तो बचाई ही, साथ ही अपनी सीटों में पांच गुणा का इज़ाफ़ा भी किया.
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Rajasthan News: प्रदेश में सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी को मिली जीत से सत्ता और संगठन दोनों उत्साहित हैं. यह जीत अब तक के उप चुनावों के नजरिये से देखी जाए तो बीजेपी के लिए लैंडमार्क विक्ट्री रही है. लैण्डमार्क इसलिए, क्योंकि इस जीत ने मिथक तोड़े हैं, पार्टी का दायरा बढ़ाते हुए नई सीटों पर जीत दिलाई है और उससे भी खास यह कि एक सामान्य परिवार से आने वाले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा 'कॉमन मैन की पसन्द' और उसके प्रतिनिधि के रूप में स्थापित हुए हैं.
इस बार जिन सात सीटों पर चुनाव थे. उनमें से खींवसर, झुंझुनूं और देवली-उनियारा तो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती थी. ये तीनों ही सीटें ऐसी थी, जहां पर बीजेपी लम्बे समय से जीत के लिए संघर्ष कर रही थी. 2008 के बाद से ही बीजेपी इन तीनों सीटों पर नहीं जीती. खींवसर तो हनुमान बेनीवाल के परिवार और झुंझुनूं सीट ओला परिवार की पुश्तैनी सीट के रूप में देखी जाने लगी थी. हालांकि, 2013 में राजेंद्र गुर्जर देवली से जीते थे, लेकिन उसके बाद के दो चुनाव में पार्टी को लगातार हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में इस बार टास्क बीजेपी के लिए बड़ी थी, लेकिन सीएम भजनलाल शर्मा के राजनीतिक कौशल ने इन सीटों पर भी पार्टी को जीत दिलाई.
चुनावी मैनेजमेंट पर रहा सीएम भजनलाल का पूरा फोकस
पार्टी की इस जीत में सत्ता और संगठन का बेहतरीन तालमेल दिखा. अगर जीत की हाईलाइट देखें तो इसमें सीएम भजनलाल शर्मा का इकबाल बुलंद हुआ तो उनकी लीडरशिप की स्वीकार्यता भी बढ़ती दिख रही है. इस बाय इलेक्शन में खुद सीएम भजनलाल ने चुनाव में एक-एक पहलू पर ध्यान देते हुए चुनाव मैनेजमेंट किया.
सीएम भजनलाल ने बागियों को बिठाकर बनाया जीत का रास्ता
बीजेपी जीत में बागियों को समय पर मना लेना और उन्हें चुनाव के काम में लगाने का फ़ैसला भी महत्वपूर्ण रहा. साल 2023 के चुनाव की बात करें तो उस दौरान झुंझुनूं और अलवर में बगावत से बड़ा नुकसान हुआ. अगर बागी चुनावी मैदान में रहते तो इस बार भी नुकसान हो सकता था, लेकिन खुद सीएम भजनलाल ने बागियों को मनाने की कमान संभाली.
इस जीत के बाद से बीजेपी के विधायकों में इज़ाफ़ा हुआ है और पार्टी भी मजबूत हुई है, लेकिन इन सबसे बढ़कर चुनाव के इन नतीजों ने सत्ता और संगठन में सीएम भजनलाल शर्मा का इकबाल बुलंद किया है. पार्टी से लेकर आमजन में इस बात की चर्चा है कि प्रदेश में होने वाले राइज़िंग राजस्थान से पहले राइज़िंग चीफ मिनिस्टर का नजारा दिख रहा है.
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