Jaipur news: आबकारी नीति को लेकर तैयारियां, इस बार बड़े बदलाव संभव
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Jaipur news: आबकारी नीति को लेकर तैयारियां, इस बार बड़े बदलाव संभव

Jaipur news: पिछले 4 वर्षों से आबकारी विभाग को हो रहे आर्थिक नुकसान के बाद इस बार आबकारी एवं मद्यसंयम नीति में कई बड़े बदलाव संभव हैं. दरअसल पिछले 2 वर्षों से तो आबकारी विभाग के राजस्व में कोई बढ़ोतरी भी नहीं हो रही है.

Jaipur news: आबकारी नीति को लेकर तैयारियां, इस बार बड़े बदलाव संभव
Jaipur news: पिछले 4 वर्षों से आबकारी विभाग को हो रहे आर्थिक नुकसान के बाद इस बार आबकारी एवं मद्यसंयम नीति में कई बड़े बदलाव संभव हैं. दरअसल पिछले 2 वर्षों से तो आबकारी विभाग के राजस्व में कोई बढ़ोतरी भी नहीं हो रही है. 
 
इसे लेकर आबकारी विभाग और वित्त विभाग के स्तर पर नीति में बदलाव की कवायद शुरू हो गई है. दरअसल पिछले वर्ष आबकारी विभाग के लिए राज्य सरकार ने राजस्व लक्ष्य 17 हजार करोड़ निर्धारित किया था. लेकिन आबकारी विभाग महज 13220 करोड़ रुपए ही अर्जित कर सका था. राजस्व लक्ष्य की तुलना में इतना पीछे रहने को मुख्य सचिव स्तर पर काफी गंभीरता से लिया गया है.
 
इसे देखते हुए अब वित्त विभाग के अधिकारी प्रैक्टिकली फिजिबल आबकारी नीति तैयार करने में जुट गए हैं. इसके पीछे विभाग के अधिकारियों की सोच है कि एक बार फिर ऐसा माहौल बने कि प्रदेश में शराब दुकानों के लिए खरीदारों का रुझान बढ़े. साथ ही नीति में विधिवत सुधार कर इसे पब्लिक फ्रेंडली बनाया जाए.
 
हालांकि मदिरा अनुज्ञाधारियों से जुड़े ज्यादातर संगठनों की मांग शराब दुकानों का समय रात 10 बजे तक किए जाने की है. लेकिन जनता की नाराजगी को देखते हुए सरकार शराब दुकानों का समय बढ़ाने का रिस्क नहीं उठा सकती है. ऐसे में इस मांग के इतर लाइसेंसियों की अन्य मांगों पर विभाग के स्तर पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है. रविवार को एसीएस अखिल अरोड़ा ने भी विभिन्न स्टेकहोल्डर्स से संवाद कर नीति को लेकर जरूरी सुझाव मांगे.
 
ये हो सकते हैं बदलाव-
 
- राज्य सरकार मदिरा दुकानों का नवीनीकरण नहीं करेगी, अन्य विकल्प अपनाएंगे
- लाइसेंसी मदिरा बिक्री पर मार्जिन बढ़ाना चाह रहे, इसमें आंशिक बदलाव संभव
 
- अन्य राज्यों से आने वाली मदिरा पर रोकथाम की ठोस योजना लागू होगी
- लाइसेंसियों ने गारंटी शेयरिंग में लगाई जाने वाली लिमिट बंद करने की मांग की
 
- माइक्रोब्यूरी जैसी योजनाओं को और विस्तार दिया जाना संभव
- चुनिंदा मैन्यूफैक्चरर्स की सप्लाई की मनमानी पर रोक लगाने की भी उठी मांग

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