Rajasthan: नाबालिग रेप पीड़िता को जयपुर हाईकोर्ट ने गर्भ गिराने की नहीं दी इजाजत
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Rajasthan: नाबालिग रेप पीड़िता को जयपुर हाईकोर्ट ने गर्भ गिराने की नहीं दी इजाजत

Rajasthan High Court News: राजस्थान हाईकोर्ट  ने 11 साल की नाबालिग को गर्भ गिराने की इजाजत नहीं दी. पीड़िता ने  कोर्ट में  सामाजिक और स्वास्थ्य कारणों के चलते  गर्भ गिराने की याचिका दायर की थी. 

Rajasthan High Court News

Rajasthan High Court News: राजस्थान हाईकोर्ट  ने 11 साल की नाबालिग को गर्भ गिराने की इजाजत नहीं दी. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि, पूर्ण विकसित भ्रूण को भी दुनिया में प्रवेश करने और स्वस्थ जीवन जीने का अधिकार है. इसके साथ ही अदालत ने पिता से दुष्कर्म की शिकार नाबालिग पीडिता के 31 सप्ताह के भ्रूण का अबॉर्शन कराने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. 

 राज्य सरकार को  जारी किए दिशा-निर्देश

वहीं, अदालत ने पीड़िता की डिलीवरी कराने के संबंध में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश जारी किए हैं. अदालत ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट है कि, भ्रूण धड़कन सहित विकसित हो चुका है और गर्भपात कराना खतरनाक हो सकता है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए.

 आवश्यक देखभाल के साथ मिसे सुविधाएं- HC 

अदालत ने राज्य सरकार को कहा है कि, वह पीड़िता को बालिका गृह में भर्ती कर आवश्यक देखभाल, फूड और मेडिकल सहायता उपलब्ध कराए. इसके साथ ही बालिका गृह अधीक्षक  पीड़िता के वयस्क होने तक उसे वहां रखे .  इस दौरान उसे शिक्षा सहित अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराए. 

 

अदालत ने एसीएस चिकित्सा को  यह भी कहा है कि वह पीड़िता का सुरक्षित प्रसव कराने के लिए महिला नर्स नियुक्त करे. वहीं, महिला चिकित्सालय के अधीक्षक डिलीवरी से पहले और बाद के लिए समस्त चिकित्सा सुविधाएं बिना शुल्क उपलब्ध कराए. अदालत ने कहा कि बच्चे के जन्म के बाद उसे बाल कल्याण कमेटी को सौंपा जा सकता है और पीड़िता अपने अभिभावक के माध्यम से बच्चे की अभिरक्षा लेने के लिए दस्तावेज पेश करे.

डीएनए जांच के लिएसंरक्षित रखे बच्चे की सभी चीजें
 इस दौरान यदि बच्चे को किसी दंपत्ति को गोद दिया जाता है तो इसमें पीड़िताको कोई आपत्ति नहीं होगी. अदालत ने यह भी कहा है कि भ्रूण के नाल सहित अन्य चीजों को डीएनए जांच के लिए संरक्षित रखे. इसके अदालत अदालत ने राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वह पीडित प्रतिकर स्कीम के तहत पीडिता को तीन माह में मुआवजा दे और मुआवजा राशि को पीड़िता के वयस्क होने तक एफडी के रूप में रखा जाए.

याचिका में कहा गया कि वह 11 साल की है और दुष्कर्म के कारण गर्भवती हो गई है. वह सामाजिक और स्वास्थ्य कारणों के चलते बच्चे को जन्म नहीं देना चाहती है. सुनवाई के दौरान मेडिकल बोर्ड की ओर से रिपोर्ट पेश कर कहा गया कि भ्रूण 31 सप्ताह का हो गया है.  पीड़िता की उम्र के कारण गर्भपात की अनुमति नहीं दी जा सकती है.  

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