Rajasthan News: राजस्थान से झोटवाड़ा निवासी परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार के मासूम बच्चा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज से जूझ रहा है. गरीब परिवार मदद की आस लगाए बैठा है.
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Rajasthan News: 2 महीने के बेटे युवराज के जीवन को बचाने के लिए उसके माता-पिता मदद की आस में बैठे हुए हैं. मदद चाहिए उन्हें करोड़ों रुपयों की. बता दें कि मासूम बच्चा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज से जूझ रहा है, जिसके चलते उसे 9 करोड़ रुपये का इंजेक्शन लगना है.
जयपुर के झोटवाड़ा निवासी परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. परिवार के मासूम बच्चा स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज से जूझ रहा है. होप हॉस्पिटल में भर्ती बच्चे को नौ करोड़ का इंजेक्शन लगना है. बच्चे के पिता रेलवे में हेल्पर के पद पर कार्यरत हैं. उनके लिए बेटे का इलाज कराना चुनौती बन गया है.
बेटे की इस बीमारी के लिए 9 करोड़ की जरूरत है, जो परिवार के बूते से बाहर की बात है. ऐसे में जिन्दगी रूपी इंजेक्शन के लिए फण्ड जुटाने में परिवार जुट गया है. युवराज के परिवार को अब सिर्फ सरकार और दानदाताओं से ही उम्मीद बची हैं. परिवार ने मदद के लिए डेडिकेटेड बैंक अकाउंट और पोर्टल खोला है. मदद के लिए परिवार से 8209805260 नम्बर पर सम्पर्क किया जा सकता है.
क्या है रेस्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी डिजीज?
स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी डिसीज एक तरह से आनुवंशिक विकार हैं, जिनमें स्पाइनल कॉर्ड और मस्तिष्क स्टेम में उत्पन्न होने वाली तंत्रिका कोशिकाएं खत्म हो जाती हैं. वहीं मांसपेशियों की कमजोरी बढ़ती जाती है. मुख्य 5 प्रकार की स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉफी के कारण मांसपेशियों में विभिन्न तरह से कमजोर और क्षय करते हैं.
लक्षण
इस बीमारी होने पर शरीर में ये लक्षण दिखाई देने लगते हैं.
1-कंधों और पैरों में कमजोरी महसूस होती है.
2-सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलना, और ऑक्सीजन की कमी.
3-भोजन करने में दिक्कत महसूस होना.
4-हाथों में कंपन होना.
5-जीभ का फड़कना.
6-रीढ़ की हड्डी में वक्रता (स्कोलियोसिस)
7-मांसपेशियों और टेंडन की पुरानी कमी.