मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष ( Congress President ) बनने के बाद राजस्थान में अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) और सचिन पायलट गुटों के बीच की खींचतान को खत्म करना उनकी बड़ी जिम्मेदारी होगी. खड़गे के अध्यक्ष बनने पर सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) ने मीडिया से बात की.
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कांग्रेस अध्यक्ष पद पर मल्लिकार्जुन खड़गे के जीतने के बाद सबकी नजरें राजस्थान ( Rajasthan ) के सियासी हालातों पर है. सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) और अशोक गहलोत के बीच चल रही सियासी खींचतान के बाद राजस्थान के मसले को सुलझाना मल्लिकार्जुन खड़गे की पहली जिम्मेदारी होगी. मल्लिकार्जुन खड़गे के चुनाव जीतने के बाद अशोक गहलोत से लेकर सचिन पायलट समेत राजस्थान के तमाम बड़े नेताओं ने खड़गे से मुलाकात की और कांग्रेस अध्यक्ष ( Congress President ) बनने की बधाई दी.
दिल्ली में सचिन पायलट ने मल्लिकार्जुन खड़गे की जीत पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोकतंत्र में इससे बेहतर उदाहरण नहीं हो सकता जब आंतरिक लोकतंत्र को आगे बढ़ाते हुए कांग्रेस पार्टी ने चुनाव कराया. इसमें 90 प्रतिशत वोट मल्लिकार्जुन खड़गे को मिले है. ये लोकतंत्र की जीत है, ये कांग्रेस और देशवासियों की जीत है. एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी उन पर आई है. मेरा मानना है कि इस चुनाव से कांग्रेस में नई ताकत आई है. कांग्रेस एकजुट हुई है. हम सब मिलकर उनके नेतृत्व में काम करेंगे.
सचिन पायलट ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के अनुभव का कांग्रेस पार्टी को फायदा मिलेगा और पार्टी मजबूत होगी. मल्लिकार्जुन खड़गे जिस पृष्ठभूमि से आते है, एक दलित और गरीब परिवार से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में हम बीजेपी से मुकाबला करेंगे. जिस तरह से कांग्रेस पार्टी के 9 हजार से ज्यादा डेलिगेट्स ने मिलकर इस चुनाव में भाग लिया है. इस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से बीजेपी डरी हुई है.
सचिन पायलट से ये सवाल किया गया कि मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने जो चुनौतियां है उनमें से राजस्थान भी बड़ी चुनौती है. तो पायलट इस सवाल को लगातार टालते रहे. और कहा कि हमें पूरा विश्वास है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पूरी कांग्रेस एकजुट होकर बीजेपी से मुकाबला करेगी.
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आपको बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम पहले कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चल रहा था. ऐसे में अशोक गहलोत के नामांकन से पहले 25 सितंबर को प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ही राजस्थान में सियासी नब्ज टटोलने और विधायकों को एकजुट कर प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर आलाकमान के नाम एक लाइन का प्रस्ताव पास कराने आए थे. लेकिन 25 सितंबर की शाम अशोक गहलोत गुट के विधायक शांति धारीवाल के घर इकट्ठे हुए और पर्यवेक्षकों की बुलाई बैठक में नहीं गए थे. इसी घटनाक्रम के बाद अशोक गहलोत का नाम अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हो गया. अब वही मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष बने है. तो राजस्थान का मसला सुलझाना भी उनकी ही जिम्मेदारी होगी. सचिन पायलट गुट इसी उम्मीद में बैठा है.