God : जिंदगी में आ रही मुश्किल में जब कुछ समझ नहीं आता तो ईश्वर का सहारा होता है. ईश्वर जिन्हे मूर्ति में तस्वीर में गुरू में या फिर अनंत में हम तलाशते हैं और अपने सवालों और परेशानियों का हल ढूंढते हैं. ऐसी ही एक कहानी है 5 साल की एक बच्ची पलक की. बचपन से उसे ये ही सिखाया गया था कि ईश्वर हमेशा साथ है और जरूरत होने पर आपकी मदद के लिए आते हैं.
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God : जीवन में आ रही मुश्किल में जब कुछ समझ नहीं आता तो ईश्वर का सहारा होता है. ईश्वर जिन्हे मूर्ति में, तस्वीर में ,गुरू में या फिर अनंत में हम तलाशते हैं और अपने सवालों और परेशानियों का हल ढूंढते हैं.
ऐसी ही एक कहानी है 5 साल की एक बच्ची पलक की. बचपन से उसे ये ही सिखाया गया था कि ईश्वर हमेशा साथ है और जरूरत होने पर आपकी मदद के लिए आते हैं.
लेकिन कुछ दिनों से उसकी जिंदगी में बदलाव हो रहे थे. पलक के पिता जा चुके थे और मां बीमार थी. किसी तरह नाते रिश्तेदारों की मदद से पलक के परिवार का गुजारा हो रहा था. पलक छोटी थी लेकिन परिवार की परेशानियों को समझने की समझ उसमें आ चुकी थी.
कह सकते हैं कि पलक छोटी से उम्र में ही बड़ी हो चुकी थी. वक्त बीतता गया. लेकिन पलक की मां की तबीयत बिगड़ती जा रही थी. मां के बताये मुताबिक रोज ईश्वर की आराधना करती और एक ही कामना करती की मां ठीक हो जाए.
पलक को लग रहा था कि उसकी प्रार्थना शायद भगवान तक नहीं पहुंच पा रही है. क्योंकि अगर पहुंचती तो जैसा की मां ने कहा है ईश्वर जरूर मदद को आते. घर में बैठी पलक ये सोच ही रही थी, कि पास के घर में पोस्टमैन आया जो किसी की चिट्ठी लेकर आया था.
पलक ने सोचा क्यों ना भगवान को चिट्ठी लिखकर अपनी प्रार्थना भेजी जाएं. अब उनसे भगवान के नाम चिट्ठी लिखनी शुरू की. हर हफ्ते एक चिट्ठी वो लिखती (जिसमें सिर्फ मदद लिखा होता ) पोस्ट बॉक्स में डालती. ऐसा करते करते महीनों बीत गये. लेकिन कुछ नहीं बदला. पलक हिम्मत हार चुकी थी.
तभी गांव में एक बड़ा कार्यक्रम हुआ और कई बड़े बड़े लोग गांव में घूमने आए. पलक की मां की तबीयत खराब थी तो वो मेला देखने नहीं जा सकी लेकिन घर की छत से मेले की टिमटिमाती लाइट देखकर खुश हो जाती थी. एक दिन पलक के घर में भिखारी आया, जिससे उससे खाना मांगा.
पलक के पास खुद की एक रोटी थी जो उसने भिखारी को दे दी. इस बीच भिखारी ने देखा की पलक ने एक चिट्ठी पोस्टबॉक्स में डाली है. जब उसने पलक से पूछा -ये क्या है तो पलक ने पूरी बात बता दी. भिखारी पलक की मासूमियत को देख रूआसा हो गया, लेकिन वो कुछ कर नहीं सकता था.
भिखारी कुछ आगे बढ़ा ही था. कि उसने रास्ते के किनारे ही एक हादसा हुए देखा. जिसमें एक गाड़ी पलटी हुई थी और कोई मदद के लिए चिल्ला रहा था. भिखारी वहां पहुंचा और उस कार से दो लोगों को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया. भिखारी की मदद से खुश कार से सुरक्षित निकले आदमी ने भिखारी की मदद करने पेशकश की.
तो भिखारी ने कहां की मुझे कुछ नहीं चाहिए लेकिन एक छोटी बच्ची जरूर किसी मदद के इंतजार में है, तो हो सके तो उसकी मदद करें. अगले ही दिन वो आदमी जो एक बड़ा बिजनेस मैन था. पलक के घर पहुंचा और उसकी मां के इलाज से लेकर पलक की पढ़ाई लिखाई तक का पूरा जिम्मा ले लिया.
पलक को समझ आ चुका था उसकी चिट्ठियां बेकार नहीं गयी. ईश्वर हैं और प्रार्थना को सुनता है. वो बात अलग है कि वो आपके सामने किस रूप में आएगा. ये कोई नहीं जानता है. तो अच्छे कर्म करते रहें, क्योंकि ये कर्म ही हैं जो ईश्वर तक आपकी प्रार्थना को पहुंचाते हैं.