जोधपुर: हैंडीक्राफ्ट उद्योग छाई मंदी, मजदूरों की रोजी-रोटी पर मंडराया संकट
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जोधपुर: हैंडीक्राफ्ट उद्योग छाई मंदी, मजदूरों की रोजी-रोटी पर मंडराया संकट

कोरोना संक्रमण काल के दौरान हैंडीक्राफ्ट उद्योग चल रहा था, लेकिन अब महंगाई के साथ साथ रूस यूक्रेन युद्ध और विश्व में छाई मंदी का का भी असर दिखाई दे रहा है. 

बंद पड़ा कारखाना

Jodhpur: हैंडीक्राफ्ट उद्योग में आई मंदी के कारण से हजारों लोग बेरोजगार हो चुके हैं. पश्चिमी राजस्थान में कृषि सेक्टर के बाद में अगर सबसे बड़ा उद्योग है तो, वह है जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग इन दिनों हैंडीक्राफ्ट उद्योग में आई मंदी की मार झेल रहा हैं. कोरोना संक्रमण और रूस यूक्रेन युद्ध का असर विश्वव्यापी मंदी और महंगाई के कारण जोधपुर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग पर अब मंदी की मार दिखाई देने लगी है. पिछले 3 महीनों में करीब 50,000 मजदूर बेरोजगार हो गए हैं, वही हर एक दिन करीब 400 से 500 मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट आ खड़ा हुआ है.

हालांकि कोरोना संक्रमण काल के दौरान हैंडीक्राफ्ट उद्योग चल रहा था, लेकिन अब महंगाई के साथ साथ रूस यूक्रेन युद्ध और विश्व में छाई मंदी का का भी असर दिखाई दे रहा है. जहां विदेशों में हैंडीक्राफ्ट उत्पाद के खरीदार नहीं मिल रहें हैं तो, वहीं भारत में महंगाई बढ़ने के कारण से अब हैंडीक्राफ्ट के उद्योग में काम आने वाली वस्तुएं महंगी हो गई है. जिसके कारण  उद्यमी अब महंगाई कम होने का इंतजार कर रहे हैं. हैंडीक्राफ्ट उद्यमी राज्य और केंद्र सरकार की ओर से आस लगाए बैठे हैं कि अगर सरकारे उन्हें महंगाई में थोड़ी रियायत देती है तो उन्हें संबल मिल जाए.

वहीं विदेशों में क्रिसमस से पहले हैंडीक्राफ्ट उद्यमियों को जून-जुलाई तक आर्डर मिल जाते हैं, लेकिन इस बार विदेशों में भी मंदी होने के कारण से हैंडीक्राफ्ट उद्यमियों को ऑर्डर नहीं मिल पा रहें हैं. ऐसे में जोधपुर हैंडीक्राफ्ट उद्योग में करीब 200 से ज्यादा छोटी बड़ी फैक्ट्रियां बंद हो चुकी है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री ही बंद हुई हो, इसके अलावा स्टील री रोलर्स स्टील बर्तन टेक्सटाइल आदि इकाइयां है और इन उद्योगों में भी मंदी देखने को मिल रही हैं. कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के चलते और ऑर्डर की कमी होने के कारण यहां भी करीब 40 से 50% कर्मचारियों की छंटनी की जा रही है, हैंडीक्राफ्ट इंडस्ट्री से जुड़े मनीष पुरोहित का मानना है कि 2008 के बाद की यह सबसे बड़ी मंदी है, कई हैंडीक्राफ्ट इकाइयों में नए आर्डर नहीं होने से काम ठप पड़ा है. यहां तक की अब सप्ताह में 5 दिन ही फैक्ट्रियों में काम किया जा रहा है, जिसका असर फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों पर पड़ा है. इसके अलावा ऑफिस के स्टाफ में भी काफी कमी की गई हैं, वहीं अगर केंद्र और राज्य सरकार इन उद्यमियों को थोड़ा सा प्रोत्साहन देती है तो शायद इस इंडस्ट्री को संभलने का मौका मिल जाएगा.

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