Jodhpur: शिवनाथ नगर में छोड़ सिंह बाबा का मेला संपन्न, निभाई कांकड़ परम्परा
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Jodhpur: शिवनाथ नगर में छोड़ सिंह बाबा का मेला संपन्न, निभाई कांकड़ परम्परा

जोधपुर के भोपालगढ़ के शिवनाथनगर में सैकड़ों वर्ष पूर्व डाकूओं से गायों की रक्षा के लिए अपने प्राणोत्सर्ग करने वाले, लोकदेवता छोड़सिंह एवं सिद्धनाथ संत शिवनाथ बाबा का मेला आयोजित किया गया. छोड़सिंह बाबा का प्रसाद रजलानी गांव की कांकड़ (सरहद) से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है. 

शिवनाथनगर में  छोड़ सिंह बाबा का मंदिर

Jodhpur: जोधपुर के भोपालगढ़ के शिवनाथनगर में सैकड़ों वर्ष पूर्व डाकूओं से गायों की रक्षा के लिए अपने प्राणोत्सर्ग करने वाले, लोकदेवता छोड़सिंह एवं सिद्धनाथ संत शिवनाथ बाबा का मेला आयोजित किया गया. क्षेत्र के रजलानी ग्राम पंचायत के शिवनाथनगर स्थित शिवनाथजी की पहाड़ी की तलहटी में साध्वी सुखियाबाई के सानिध्य एवं सरपंच पारस गुर्जर की मौजूदगी में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मेला आयोजन गया. जिसमें सैकड़ों की संख्या में आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं ने भाग लेकर अपने पशुधन की सुरक्षा साथ-साथ गोवंश में फैली लम्पी स्किन बिमारी का प्रकोप मिटाने की कामना करते हुए, बाबा के थान पर मन्नत की और खीर-चूरमे का प्रसाद भी चढ़ाया. इस दौरान प्रसाद को कांकड़ क्षेत्र में ही वितरण कर बरसों से चली आ रही स्थानीय परम्परा भी निभाई गई.

हिन्दू सेना के जिला मीडिया प्रभारी सुनील पाड़ीवाल व मुकेश गोदारा ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पशुपालकों की गायों को लेकर जा रहें डाकूओं से गायों को छुड़ाने व इनसे पशुपालकों का धीणा बचाने के लिए छोड़सिंह बाबा ने डाकूओं से जमकर लड़ाई की और शिवनाथ नगर की पहाडिय़ों के पास डाकूओं से लड़ते हुए अपने प्राण त्याग दिए थे. जिन्हें आज भी क्षेत्र की जनता गोरक्षक लोकदेवता के रुप में पूजती हैं और इनकी याद में उनके शहीद स्थल पर प्रतिवर्ष मेला भी भरता है. कोरोना के चलते करीब दो वर्ष बाद फिर से शिवनाथनगर गांव की पहाड़ी की तलहटी में छोड़सिंह बाबा के थान पर विशाल मेला भरा गया, जिसमें भाग लेने के लिए सवेरे से ही आसपास के ग्रामीण इलाकों से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरु हो गया, दोपहर बाद विधिवत रुप से शुरु हुए मेले में रजलानी, शिवनाथनगर, छापला, नाड़सर, भोपालगढ़, रामनगर, शिवनगर, दाड़मी, बारनी, हरसोलाव व दांतीवाड़ा सहित आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं बाबा के थान पर दूध, खीर व चूरमे का प्रसाद चढ़ाकर अपने पशुधन की बिमारियों व खासकर गोवंश में फैल रही लम्पी स्किन बीमारी से निजात दिलाने एवं साल भर अच्छे धन-धीणे की कामना की.

मेले के दौरान खिलौने, मिठाइयां एवं विविध प्रकार की दुकानें भी सजाई गई तथा सरपंच पारस गुर्जर ने पूरे दिन मौजूद रहकर व्यवस्थाओं का जायजा लेकर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं का स्वागत-सत्कार किया. इस मौके पर साध्वी सुखिया बाई, पूर्व सैनिक अमर सिंह पाड़ीवाल, वसुंधरा राजे समर्थक मंच देहात जिलाध्यक्ष किशोर डूडी छापला, हिन्दू सेना जिला मीडिया प्रभारी सुनील पाड़ीवाल, रूपाराम पाड़ीवाल, मुकेश गोदारा, सीताराम जलवाणिया, इन्द्रसिंह गुर्जर व सोहनराम प्रजापत सहित कई श्रद्धालु मौजूद रहें और दिन भर पास के शिवनाथ आश्रम में भी दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा.

निभाई कांकड़ परम्परा

गायों की रक्षा के लिए अपने प्राणोत्सर्ग करने वाले लोकदेवता छोड़सिंह बाबा के मेले को लेकर ऐसी मान्यता है कि छोड़सिंह बाबा का प्रसाद रजलानी गांव की कांकड़ (सरहद) से बाहर नहीं ले जाया जा सकता है. इस मान्यता को लोगों ने शुक्रवार को भरे गए मेले में भी निभाया और यहां आसपास के ग्रामीण इलाकों से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद वापिस अपने घर ले जाने की बजाय यहीं पर आपस में मिल-बांटकर वितरण कर दिया गया. जिसके चलते बरसों पुरानी मान्यता व परम्परा के अनुसार ग्रामीणों ने छोडसिंह बाबा के थान पर चढ़ाने के लिए लाई गई प्रसाद वहां मौजूद श्रद्धालुओं में ही वितरित की और प्रसाद को रजलानी गांव की सरहद के अलावा किसी भी गांव के लोग अपने साथ लेकर नहीं गए. जिसके चलते लोगों में एक-दूसरे को प्रसाद बांटने की होड़ सी लगी रही.

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