Janmashtami 2023: औरंगजेब से है करौली में स्थित मदन मोहन मंदिर का एतिहासिक कनेक्शन? क्यों भगवान की मूर्ती को लेकर भगाना पड़ा था दर दर
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Janmashtami 2023: औरंगजेब से है करौली में स्थित मदन मोहन मंदिर का एतिहासिक कनेक्शन? क्यों भगवान की मूर्ती को लेकर भगाना पड़ा था दर दर

Janmashtami 2023​: करौली नगरी मदन मोहन जी मंदिर स्थल के नाम से प्रसिद्ध है. मुगल बादशाह औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता तथा हिंदू विरोधी कट्टर नीति के कारण 1669 ई में एक सर्वव्यापी आज्ञा द्वारा अधिकतर मंदिर ध्वस्त करने एवं धार्मिक मेलों को बंद करने का आदेश दिया गया.

Madan Mohan temple

Janmashtami 2023: करौली नगरी मदन मोहन जी मंदिर स्थल के नाम से प्रसिद्ध है . मदन मोहन जी मंदिर में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं और अपने आराध्य के दर्शन कर खुशहाली और समृद्धि की मनौती मांगते हैं. मदन मोहन जी मंदिर में तीज त्योहार पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है . मदन मोहन जी वर्ष में दो बार सामनी तीज और धूलंडी के मौके पर चांदी के झूले में विराजित होते हैं. झूले के दर्शनों के लिए करौली सहित दूर दराज के क्षेत्रों से श्रद्धालु मदन मोहन जी मंदिर पहुंचने हैं और अपने आराध्य के दर्शन करते हैं.

धार्मिक असहिष्णुता तथा हिंदू विरोधी कट्टर नीति 
मान्यता है कि मुगल बादशाह औरंगजेब की धार्मिक असहिष्णुता तथा हिंदू विरोधी कट्टर नीति के कारण 1669 ई में एक सर्वव्यापी आज्ञा द्वारा अधिकतर मंदिर ध्वस्त करने एवं धार्मिक मेलों को बंद करने का आदेश दिया गया. इस दौरान कृष्ण भक्त आचार्यो ने मूर्तियों को बचाने का आयोजन किया. 1718 ईस्वी में जयपुर नरेश सवाई जय सिंह द्वितीय ने गोस्वामी सुबल दास से मिलकर गोविंद देव जी गोपीनाथ जी एवं मदन मोहन जी को जयपुर ले जाने की इच्छा व्यक्त की.

 तीनों ग्रहों को वृंदावन से जयपुर ले जाने के लिए मुगल सम्राट के फरमान आगरा एवं अजमेर सूबों को भिजवाए गए. इसके बाद राजसी ठाठ बाठ के साथ 1723 ईस्वी में जयपुर तीनों ग्रहों को लाया गया तथा मूर्तियों को जयपुर के रूप बाग में स्थापित किया गया. नरेश सवाई जयसिंह ने जयपुर की सीमा पर तीनों ग्रहों का स्वागत किया. करौली नरेश गोपाल सिंह की बहन राज कंबर जयपुर नरेश सवाई जय सिंह को ब्याही थी कृष्ण भक्त गोपाल सिंह जी ने जयपुर नरेश को मदन मोहन जी करौली भिजवाने का आग्रह किया . 

इसके बाद फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी विक्रम संवत 1799 तदनुसार 1742 ई को मदन मोहन जी की पालकी को सवाई जयसिंह ने पूजा अर्चना की बाद करौली के लिए रवाना किया . उन्होंने करौली एवं जयपुर रियासत की सीमा पर स्थित श्यारोली गांव ठाकुर जी की सेवा के लिए भेंट किया . करौली पहुंचने से पहले मदन मोहन जी के विग्रह को अंजनी माता के पास दो दिन एवं दीवान के बाग के बंगले में भी दो दिन रखकर वैशाख शुक्ल 13  विक्रम संवत 1800 तद्नुसार  1743 ई को रावल के अमानिया भंडार में गोपाल जी के मंदिर में विराजित किया गया. 5 वर्ष में नवीन मंदिर स्थापित होने पर मदन मोहन जी की प्रतिष्ठा इस मंदिर में कराई गई.

मदन मोहन जी मंदिर के तीन गर्भ ग्रहण में से प्रथम में गोपाल जी , द्वितीय में मदन मोहन जी एवं तृतीय में राधा रानी ललिता सखी विराजी है. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व करौली के मदन मोहन जी मंदिर में बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कृष्ण जन्माष्टमी की पर्व पर ब्रज के साथ ठाकुरों में सम्मिलित मदन मोहन जी को श्री कृष्ण का प्रतिरूप मानकर बड़े ही हर्षोल्लास के साथ उनका जन्मदिन मनाया जाता है . सनातन गोस्वामी के आराध्य श्री मदन मोहन जी का प्राचीन मंदिर वृंदावन में आज भी इतिहास का साक्षी बनकर करौली के मंदिर से संबंध स्थापित किए है.

  गौडिया संप्रदाय के साधको द्वारा पूजित मदन मोहन जी के वृंदावन स्थित मंदिर के आदि सेवक सनातन गोस्वामी के समय से मंदिर में सभी पर्व विधि विधान से आयोजित करते आए हैं. श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व विशेष तैयारी के साथ मदन मोहन जी मंदिर में परंपरा पूर्वक मनाया जाता है . करौली के मदन मोहन जी मंदिर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बड़े ही प्रबंध किए जाते हैं साथ ही विशेष सजावट भी की जाती है इस दौरान रोशनी और साज सज्जा को लेकर विशेष इंतजाम किए जाते हैं . 
5:00 बजे मंदिर के चौक मेंलगता है जन्माष्टमी का दरबार
जन्माष्टमी के दिन शाम 5:00 बजे मंदिर के चौक में जन्माष्टमी का दरबार लगता है. उत्सव के रूप में रूप में ढाढि ढाढिन द्वारा बधाई गायन एवं नृत्य किया जाता है नंद बाबा बने गोस्वामी उनको परितोषित प्रदान करते हैं . 1994- 95 तक यह व्यवस्था जारी रही. 1996 से गोस्वामी मोती किशोरी के बीमार होने से गोसाई रवि किशोर जी ने नंद बाबा की भूमिका निभाई . इसके बाद यह परंपरा मात्र औपचारिकता बनकर रह गई . जन्माष्टमी के दिन करौली के चौधरी खानदान की ओर से मदन मोहन जी की पोशाक चढ़ाई जाती है जिसके बदले दूसरे दिन भोग प्रसाद दिया जाता है . जन्माष्टमी पर दिन की सभी झांकियां यथावत होने के बाद रात को 12:00 बजे कान्हा के जन्म एवं अभिषेक के बाद परंपरागत रूप से तोपों के धमाकों के साथ जन्मोत्सव मनाया जाता है . इस अवसर पर भक्तों को पंचामृत एवं पंजीरी का वितरण किया जाता है.
सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम
 मदन मोहन जी मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की अवसर पर सुरक्षा के भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं. जन्माष्टमी पर पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विभिन्न व्यवस्थाएं की जाती है . मंदिर में प्रवेश और निकास को लेकर अलग-अलग व्यवस्थाएं की जाती है. साथ ही भारी संख्या में पुलिस जाता भी सुरक्षा को लेकर तैनात किया जाता है. बड़ी संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को लेकर मदन मोहन जी मंदिर ट्रस्ट द्वारा भी विभिन्न इंतजामात किए जाते हैं. मदन मोहन जी मंदिर में एक मार्ग से प्रवेश तो दूसरे मार्ग से निकास की व्यवस्था की जाती है वहीं सुरक्षा को लेकर पुलिस के जवान जगह तैनात किए जाते हैं . शहर में बड़े वाहनों का प्रवेश भी रात को बंद कर दिया जाता है .

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