भाजपा विधि प्रकोष्ठ ने रखी अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग, सौंपा ज्ञापन
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भाजपा विधि प्रकोष्ठ ने रखी अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग, सौंपा ज्ञापन

अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने को लेकर सीकर भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ ने सरकार के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

भाजपा विधि प्रकोष्ठ ने रखी मांग

Sikar: अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने को लेकर सीकर भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ ने सरकार के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. प्रकोष्ठ की ओर से बताया गया कि प्रदेश में पिछले कई सालों से भ्रष्टाचार बहुत बुरी तरह से हावी हो चुका है. इसके साथ ही न्याय का मंदिर कहलाने वाली राजस्व अदालतें भ्रष्टाचार से ग्रसित हो रही है, ऐसे में अधिवक्ता प्रोटक्शन एक्ट लागू करना अनिवार्य हो गया है. 

भारतीय जनता पार्टी विधि प्रकोष्ठ सीकर की ओर से सरकार के नाम कलेक्टर को अपना मांग पत्र सौंपा गया. प्रकोष्ठ के जिला संयोजक एडवोकेट धर्मेन्द्र सिंह कुडी ने बताया कि भ्रष्टाचार के चलते हमारे एक अधिवक्ता हंसराज मावलिया ने इस भ्रष्ट तंत्र से कुंठित होकर भ्रष्ट अधिकारियों को दंडित करवाने के लिए एक क्रांतिकारी के रुप में अपने शरीर को जलाकर आत्मदाह कर बलिदान दिया है.

जिससे इस भ्रष्ट तंत्र की नींव को हिलाया जा सके, ऐसे में अधिवक्ता मावलिया का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए. धर्मेन्द्र सिंह कुडी ने बताया कि प्रदेश में भ्रष्टाचार धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है. भ्रष्टाचार के कारण आमजनता का जीना दुभर हो चुका है. भ्रष्टाचार के कारण गरीब लोगों को न्याय के लिए भटकना पड़ता है, ऐसे में उन्होंने अपनी मांगों को लेकर कलेक्टर को मांग पत्र सौंपा है जिससे इस भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके. 

प्रकोष्ठ की मांग:
1. प्रदेश में तुरंत प्रभाव से अधिवक्ता प्रोटेक्शन एक्ट हो लागू.
2. राजस्थान सरकार द्वारा बार काउंसिल ऑफ राजस्थान के माध्यम से अधिवक्ताओं और उनके परिवारों को आर्थिक रुप से संबल बनाने के लिए ग्रुप इंश्योरेंस स्कीम लागू की जाए.
3. राजस्व अदालतों में भ्रष्टाचार पर लगाम के लिए राजस्व अदालतों का क्षेत्राधिकार न्यायपालिका को हस्तांतरित किया जाकर, राजस्व अदालतों में न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाए.
4. अधिवक्ता हंसराज मावलिया को आत्मदाह के लिए मजबूर करने वाले अधिकारियों और उनके मिले हुए लोगों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई कर उन्हें गिरफ्तार किया जाए.
5. मावलिया प्रकरण की न्यायिक जांच, सीबीआई जांच या किसी स्वतंत्र एजेंसी से करवाई जाए.
6. राजस्थान प्रदेश के अधिवक्ताओं को सभी प्रकार के टोल मुक्त कराए जाए.
7. अधिवक्ता हंसराज मावलिया के परिवार को 1 करोड़ की आर्थिक सहायता दी जाए.
8. 5 साल तक की प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ताओं को राज्य सरकार से स्टाईपेंड की व्यवस्था की जाए.

Reporter: Ashok Singh Shekhawat

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