Sikar: सरकारी स्कूल बना हाईटेक, पहले जहां नामांकन नहीं, अब वहां के बच्चे बोलते हैं फराटेदार इंग्लिश
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Sikar: सरकारी स्कूल बना हाईटेक, पहले जहां नामांकन नहीं, अब वहां के बच्चे बोलते हैं फराटेदार इंग्लिश

सीकर के शिवसिंहपुरा सरकारी स्कूल में बच्चों का नामांकन तो बढ़ा ही है. इसके साथ ही यहां बच्चे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के जैसे फराटे दार अंग्रेजी बोलते हैं. 

Sikar: सरकारी स्कूल बना हाईटेक, पहले जहां नामांकन नहीं, अब वहां के बच्चे बोलते हैं फराटेदार इंग्लिश

Sikar: राजस्थान के सीकर में 2 साल पहले सीकर की शिवसिंहपुरा के सरकारी स्कूल में न के बराबर नामांकन था. स्कूल को दूसरी स्कूल में मर्ज करने की तैयारी की जा रही थी, लेकिन फिर स्कूल स्टाफ ने नामांकन बढ़ाने के लिए प्रयास किए कि अब सीकर के शिवसिंहपुरा सरकारी स्कूल में बच्चों का नामांकन तो बढ़ा ही है. इसके साथ ही यहां बच्चे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों के जैसे फराटे दार अंग्रेजी बोलते हैं. दरअसल यहां के स्टाफ ने ऐसे बच्चों को एडमिशन करवाया है, जो यहां तो पढ़ाई छोड़ चुके थे या फिर जिन्होंने पढ़ाई करना शुरू ही नहीं किया था. 

किताबी ज्ञान के अलावा प्रैक्टिकल भी जरूरी
स्कूल के साइंस टीचर किरण बाला ने बताया कि स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा लेटेस्ट मुद्दों पर भी पढ़ाई करवाई जाती है. उदाहरण के तौर पर जैसे अभी वर्तमान में कोरोना संक्रमण आया तो स्कूल में स्टूडेंट्स से इस पर कई नोट्स बनवाए गए. हाल ही में लंपी वायरस से रोकथाम के लिए भी स्टूडेंट रिसर्च कर रहे हैं. इसके अतिरिक्त वर्तमान में भूकंप का पहले से ही पता चल सकें, ऐसे एक मॉडल को साइंस के स्टूडेंट से तैयार कर रहे हैं. किरण बाला ने बताया कि स्कूल में बच्चों को नए-नए प्रयोग के साथ मोटिवेट किया जाता है. इसके अतिरिक्त बोर्ड की परीक्षाओं में डायग्राम की भी काफी महत्ता रहती है. ऐसे में यह कोशिश है कि डायग्राम्स की भी बच्चों को काफी अच्छी प्रैक्टिस करवाई जाए. 

स्कूल को कर दिया आधुनिक
स्कूल प्रिंसिपल इंदु कला महला ने बताया कि उन्होंने 2018 में स्कूल में जॉइन किया था. उस दौरान यहां नामांकन भी काफी कम था. ऐसे में उन्होंने सबसे पहले तो यहां नामांकन बढ़ाने के लिए काफी नवाचार किए, जिनमें स्कूल की दीवारों से लेकर फर्श और पानी की टंकियों पर भी पढ़ाई से संबंधित पेंटिंग बनवाई गई, जिन्हें देखकर स्टूडेंट्स यहां खेल-खेल में ही पढ़ाई कर सकें.

इसके अलावा सीकर के कच्ची बस्तियों और झुग्गी झोपड़ियों वाले इलाकों में स्कूल स्टाफ ने काउंसलिंग अभियान चलाया, जिससे की उन इलाकों के बच्चे भी इस स्कूल में पढ़ने के लिए आने लगे हैं. अब यहां नामांकन पहले से दुगुना हो चुका है. इसके साथ ही बच्चों को लाने ले जाने के लिए तीन गाड़ियां भी लगाई हुई है, जिनका खर्च भी स्टूडेंट्स के माता-पिता ही वहन करते हैं. साथ हीं, स्कूल पूरा सीसीटीवी कैमरे की निगरानी में है, ऐसे में यहां कोई भी अप्रिय घटना होने का डर नहीं रहता है. 

स्कूल की छात्रा पायल ने बताया कि वह पिछले 2 सालों में स्कूल नहीं जाती थी. ऐसे में इस स्कूल का स्टाफ उनके घर पर आया, जिन्होंने पायल की मां से कहा कि स्कूल बहुत सुंदर है, आप अपनी बेटी को भेज कर तो देखिए. ऐसे में पायल ने भी स्कूल जाना शुरू कर दिया. पायल ने बताया कि अब उन्हें स्कूल में इंग्लिश बेहतरीन तरीके से पढ़ाने से लेकर डांस में तमाम तरह की एक्टिविटी करवाई जाती है. 

स्कूल की आठवीं क्लास में पढ़ने वाले मोहम्मद अरबाज ने बताया कि उन्होंने बीच में पढ़ाई छोड़ दी थी, लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल मैडम उनके घर पर आई, जिन्होंने कहा कि बच्चे को स्कूल भेजिए. ऐसे में अरबाज के माता-पिता ने अरबाज को स्कूल में एडमिशन दिलवा दिया, यहां से उसने वापस पढ़ाई करना चालू किया. इसके बाद अब वह भी फराटेदार अंग्रेजी बोल लेता है. अरबाज ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई के अलावा अन्य एक्टिविटीज भी करवाई जाती है. ऐसे में वह खेल-खेल में भी पढ़ाई कर लेते हैं. अब वहां के बच्चे फराटेदार अंग्रेजी बोलते हैं. 

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