Rajasthan election : साल 1998 में हुए चुनाव में अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने. लेकिन उससे पहले सबसे मजबूत दावेदार परसराम मदेरणा को माना जाता था. जिनका जोधपुर नागौर से लेकर बाड़मेर जैसलमेर समेत पूरे जाट बेल्ट में मजबूत प्रभाव था. देखिए कैसे एक दिन में बदल गया था पूरा खेल.
Trending Photos
Rajasthan politics : राजस्थान में 1998 का चुनाव काफी अहम माना जाता है. एक मौका जब प्रदेश के सियासी इतिहास में पहली बार कोई जाट मुख्यमंत्री बनने के करीब था. जोधपुर के ओसियां से विधायक परसराम मदेरणा जिनका बाड़मेर जैसलमेर समेत पूरे पश्चिमी राजस्थान में सीधा प्रभाव था. और पूरे प्रदेश में दिग्गज जाट लीडर के तौर पर देखा जा रहा था. उस समय राज्य में भैरोसिंह शेखावत की सरकार थी. अशोक गहलोत पीसीसी चीफ थे और मदेरणा नेता प्रतिपक्ष थे. चुनावों में जाटों ने एक तरफा कांग्रेस को वोट दिए. परिणाम, कांग्रेस ने अपने इतिहास की सबसे ज्यादा सीटें जीती. 200 में से 153 सीटें जीती. जो 2013 के चुनाव को छोड़कर अब तक किसी पार्टी को मिली सबसे ज्यादा सीटें थी.
उस समय अशोक गहलोत पीसीसी चीफ थे. लेकिन उन्होंने विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ा था. लिहाजा वो सीएम पद की रेस में नहीं माने जा रहे थे. उधर परसराम मदेरणा नेता प्रतिपक्ष थे. चुनाव परिणाम में कांग्रेस को 153 सीटें मिली. माधव राव सिंधिया राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी थे.
सोनिया गांधी ने दिल्ली से राजस्थान के मुख्यमंत्री पर फैसला लेने के लिए प्रभारी माधवराव सिंधिया के साथ गुलाम नबी आजाद, बलराम जाखड़ और मोहसीना किदवई को भेजा. 30 नवंबर 1998 के दिन जयपुर में विधायक दल की बैठक शुरु हुई. आलाकमान की ओर से भेजे हुए प्रतिनिधियों ने एक एक विधायक से मुलाकात की. मुख्यमंत्री के चेहरे के रुप में उनकी राय जानी. साथ ही सोनिया गांधी की इच्छा भी बताई. सभी विधायकों से एक लाइन का प्रस्ताव पास कराया गया. मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान पर छोड़ा गया. और फिर प्रभारी माधवराव सिंधिया ने प्रस्ताव रखा कि सोनिया गांधी चाहती है कि राजस्थान में मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत को मिले.
सोनिया गांधी ने दिल्ली से जिन चार नेताओं को राजस्थान भेजा था. उनमें बलराम जाखड़ भी थे. बलराम मदेरणा के रिश्तेदार थे. उनको ही मदेरणा को मनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. बलराम जाखड़ की मान मनोवल के बाद परसराम मदेरणा ने आलाकमान के फैसले में ही आस्था जताई. परसराम मदेरणा को राजस्थान विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया था.
ये भी पढ़ें- अशोक गहलोत की शादी से पहले हो गया था बवाल, पिता ने कर दिया था बारात से मना, पढ़ें किस्सा सियासी