Udaipur News: उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य इलाके खेरवाड़ा गांव में युवक ने खेती के ट्रेंड में बदलाव किया है. पथरीली जमीन पर ड्रेगन फूड की खेती की है, आधुनिकता के इस दौर में युवा खेती के कम से दूर होते जा रहे हैं, वह दूसरों के लिए मिसाल बन जाते हैं, कुछ ऐसा ही कमाल करके दिखाया है.
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Udaipur News: उदयपुर के आदिवासी बाहुल्य इलाके खेरवाड़ा के एक छोटे से गांव में रहने वाले युवा ने.जिसने पथरीली जमीन पर ड्रैगन फूड की खेती कर सबको चौंका दिया है.इसके साथ ही अब अपनी खेती में और भी कई नवाचार करने में जुड़ा हुआ है.
खेरवाड़ा कस्बे के छोटे से गांव में रहने वाले युवा किसान ने परम्परागत खेती को छोड़कर आधुनिकी फसलों की और रूख किया है. दरअसल कस्बे के एक छोटे से फेरा फला गांव में रहने वाले चिराग फेरा ने अपनी पथरीली जमीन पर ड्रेगन फूड की खेती की है. चिराग ने बताया कि बचपन से ही अपने पिता हेमचंद्र को परम्परागत खेती करते हुए देख रहे हैं, जिनके द्वारा बहोत परिश्रम करने के बाद भी अच्छा लाभ नहीं मिल रहा था.
घर के खर्च भी बड़ी मुश्किल से निकलता,ऐसे में चिराग के मन मे कुछ नया करने की ओर रूझान बढ़ा. उसने खेती में नवाचार करने की ठानी और ड्रेगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय लिया.लेकिन अपनी मंजिल को पाना चिराग के लिए आसान नहीं था.उनके सामने एक समस्या यह थी कि ड्रेगन फ्रूट की खेती कैसे की जाती है. ऐसे में वो ड्रेगन फ्रूट की खेती की पूरी जानकारी लेने के लिए जा पहुंचे गांव. कोसम्बी राज्य उत्तर प्रदेश. वहां के प्रगतिशील किसानों से मिले और उनसे जानकारी ली.
इसके बाद दलजीतपुरा,बड़ौदरा गुजरात में ड्रेगन फ्रूट की खेती और उसके माडल के बारे में पूरा प्रशिक्षण प्राप्त किया.प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अपने गांव वापस आकर वर्ष 2020 में अपनी जमीन पर ड्रेगन फ्रूट के 200 पौधों के साथ इसकी खेती की शुरुआत की और सफलता पाई.
इस समय पौधे पर फूल व फल लगना शुरू हो चुके, पौधे स्वस्थ हैं, 2022-23 में जमीन का एरिया बढ़ाकर ड्रेगन फ्रूट लगाने की तैयारी कर रहै हैं.साथ ही कृष्ण फल की खेती भी शुरू की है. चिराग रासायनिक खेती को छोड़ पूर्ण रूप से जैविक खेती कर रहे हैं.
एक विशेष बात यह है कि चिराग जिस गांव में रहते है, खानमीन वह पुरा गांव पहाड़ी नुमा बंजर जमीन पर बसा हुआ है. उस गांव में मांइसों की खदान है. जिस पर खेती करना बहुत ही मुश्किल है.ऐसे में चिराग ने अपनी मेहनत और लगन से ड्रेगन फ्रूट की खेती कर उस गांव में एक नया नाम प्राप्त किया.
चिराग ने मशरूम की खेती के लिए भी प्रशिक्षण प्राप्त किया. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओएस्टर व किंग ओएस्टर किस्म के मशरूम की खेती भी सफलतापूर्वक शुरू की है, आने वाले वर्ष में वे ड्रेगन फ्रूट मशरूम के साथ साथ एप्पल, बेर, कटहल, की खेती करने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही ये युवाओं को अपनी परम्परागत खेती छोड़कर तकनीकी व जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं,आज के युवाओं के लिए चिराग फेरा प्रेरणादायी है,इसका योगदान कृषि क्षेत्र में सराहनीय है.
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