Rani Karnavati Died March 8, 1535: आज भारत की उस महारानी की पुण्यतिथि है जो ‘नाक काटने वाली महारानी’ के नाम से लोकप्रिय है. उनके पराक्रम के आगे मुगलों ने घुटने टेक दिए. उन्होंने लुटेरी मुगल सेना को अपमानित-पराजित कर बाकायदा उनकी नाक तक कटवाई थी. आइए जानते हैं वह घटना जब मुगल सैनिकों ने विवश होकर काट ली खुद की नाक.
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बात गढ़वाल साम्राज्य की है. इस राज्य की एक रानी का नाम हमेशा के लिए इतिहास में दर्ज है. नाम था रानी कर्णावती. रानी कर्णावती गढ़वाल के राजपूत राजा महीपति शाह की पत्नी थीं. राजा महीपति शाह की मौत जल्द हो गई. जिसके बाद उनकी पत्नी रानी कर्णावती ने अपने सात साल के बेटे पृथ्वीपति शाह की ओर से राज्य पर शासन किया.
नजाबत खान ने गढ़वाल से लेनी चाही थी टक्कर
साल 1640 में नजाबत खान के नेतृत्व में मुगल सेना ने जब इस राज्य पर आक्रमण किया तो रानी कर्णावती ने सफलतापूर्वक मुगल आक्रमणकारियों के खिलाफ राज्य की रक्षा की. लेखक निकोलो मनुची (Nicolo Manucci) अपनी किताब में लिखते हैं कि रानी ने अपने पराक्रम से मुगलों की सेना को परास्त कर दिया.
मुगल सैनिकों के सिर काटने के आदेश
पकड़े गए मुगल सैनिकों को उनके सिर काट देने का आदेश दे दिए. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रानी का फरमान था कि पकड़े गए सैनिक या तो अपनी नाक खुद से काट लें, या सिर काट दिया जाएगा. इसके बाद हारे हुए मुगल सैनिकों ने अपने हथियार फेंक खुद ही अपनी नाक काट ली. नजाबत खान जो मुगल का था उसे अपनी नाक कटी हुई हालत में वापस आना बर्दाश्त नहीं हुआ और रास्ते में ही जहर खाकर जान दे दी.
रानी कर्णावती को अपने छोटे से राज्य उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति का हमेशा लाभ मिला क्योंकि मुगल सेना को गुरिल्ला तकनीक जैसी पर्वतीय युद्ध तकनीकों के बारे में जानकारी नहीं थी, इसीलिए नजाबत खान को रानी कर्णावती के साथ शांति संधि पर हस्ताक्षर करना पड़ा.
रानी कर्णावती कूटनीति में थी कौशल
रानी कर्णावती ने नजाबत खान से सीधा मुकाबला किया ही नहीं. उन्होंने कूटनीति से काम लिया. रानी ने उसे अपनी सीमा में घुसने दिया लेकिन जब वे वर्तमान समय के लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश से आगे बढ़े तो उसके आगे और पीछे जाने के समस्त रास्ते रोक दिये गये. गंगा के किनारे और पहाड़ी रास्तों से अनभिज्ञ आक्रमणकारी मुगल सैनिकों के पास खाने की रसद सामग्री समाप्त होने लगी थी.
नाक कटवाने की पीछे और भी है कहानी
मुगल सेना कमजोर पड़ने लगी. ऐसे में लुटेरे नजाबत ने रानी के पास संधि का प्रस्ताव भेजा लेकिन उसे ठुकरा दिया गया. अब मुगल सेना की स्थिति बदतर हो गई थी. रानी ने मुगलों को संदेश भिजवाया कि वह मुगल सैनिकों को जीवनदान दे सकती हैं, लेकिन इसके लिये उन्हें अपनी नाक कटवानी होगी.
हताश-निराश मुगल सैनिकों के हथियार छीन लिए गए
अब मुगल सैनिकों को भी लगा कि नाक कट भी गयी तो क्या जिंदगी तो रहेगी ही तब पराजित और हताश-निराश मुगल सैनिकों के हथियार छीन लिए गये और अंत में उन सभी की एक-एक करके नाक काट दी गयी. बताया जाता है कि जिन लोगों की नाक काटी गई थी. उन मुगल सैनिकों की संख्या तीस हजार से अधिक थी. जिन सैनिकों की नाक काटी गई उनमें बर्बर लुटेरा नजाबत खान भी शामिल था. वह इससे बेहद शर्मसार था और उसने पहाड़ों से मैदानों की तरफ वापस लौटते समय बेहद अपमानित अवस्था में आत्महत्या कर ली थी.
उसके बाद मुगलों की हिम्मत नहीं हुई कि वे कुमाऊं-गढ़वाल की तरफ आंख उठाकर देखते. अपने सैनिकों की यह हालत देख मुगल साम्राज्य के बादशाहों में से एक शाहजहां बहुत परेशान हुआ और आदेश दिया कि रानी कर्णावती को नक-कटी रानी, 'कटी-नाक' कहा जाएगा. उसके बाद मुगलों की हिम्मत नहीं हुई कि वे कुमाऊं-गढ़वाल की तरफ आंख उठाकर देखते.