Veto Power Country: भारत को वीटो पावर (Veto Power) मिलनी चाहिए, इसकी वकालत रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने की है. भारत इस महीने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता कर रहा है.
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UNSC Veto Power: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता के लिए रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) ने भारत का सपोर्ट किया है. विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि मुझे लगता है कि वर्तमान में भारत आर्थिक विकास के मामले में आगे रहने वाला देश है. जल्द ही भारत की आबादी किसी भी दूसरे देश के मुकाबले ज्यादा होगी. भारत के पास विभिन्न तरह की समस्याओं को सुलझाने में बड़ा राजनयिक अनुभव है. इसीलिए भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए.
भारत को मिला रूस का साथ
बता दें कि इससे पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस साल सितंबर महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर UNSC में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देशों को शामिल किया जाता है तो सुरक्षा परिषद ज्यादा लोकतांत्रिक होगी. भारत और ब्राजील, विशेष रूप से प्रमुख अंतरराष्ट्रीय प्लेयर हैं और उन्हें UNSC में स्थायी सदस्यता मिलनी चाहिए.
भारत कर रहा UNSC की अध्यक्षता
बता दें कि भारत दिसंबर में 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता कर रहा है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में 14-15 दिसंबर को बहुपक्षीय सुधारों व काउंटर टेररिज्म पॉलिसी पर हस्ताक्षर के लिए कार्यक्रम आयोजित होने हैं. ‘अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा कायम रखने’ के शीर्षक के तहत आयोजित पहले कार्यक्रम में ‘बहुपक्षीय सुधार के लिए नई गाइडलाइंस’ पर सुरक्षा परिषद में एक मंत्री-स्तर की चर्चा होगी.
भारत ने जारी किया ‘कॉन्सेप्ट नोट’
जान लें कि भारत ने बैठक से पहले एक ‘कॉन्सेप्ट नोट’ यानी एक संक्षिप्त रूपरेखा जारी की है. संयुक्त राष्ट्र में भारत की परमानेंट मेंबर रुचिरा कंबोज ने कहा कि इसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के दस्तावेज के तौर पर देखा जाना चाहिए.
भारत की तरफ से जारी ‘कॉन्सेप्ट नोट’ में कहा गया है कि दुनिया अब वैसी नहीं है जैसी 77 साल पहले थी. साल 1945 में संयुक्त राष्ट्र के 55 मेंबर थे, जिनकी संख्या अब 3 गुना बढ़ गई है. वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए जिम्मेदार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की संरचना आखिरी बार 1965 में तय की गई थी और यह संगठन की व्यापक सदस्यता की वास्तविक विविधता को नहीं दिखाती है.
(इनपुट- भाषा/ANI)
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