Supreme Court Judge Pension: याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक जूडिशल ऑफिसर के तौर पर सेवा देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज बने थे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की कैलकुलेशन करते वक्त उनकी जूडिशल सर्विस पर विचार करने से इनकार कर दिया था.
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High Court Judge Pension: अगर आप सोचते हैं कि हाई कोर्ट से रिटायर्ड जजों को बहुत ज्यादा पेंशन मिलती है तो आप गलत हैं. कुछ रिटायर्ड जजों को जितनी पेंशन मिल रही है, उस पर देश की सबसे बड़ी अदालत ने भी हैरानी जताई है.
दरअसल, हाई कोर्ट के कुछ रिटायर्ड जजों को 6000 से 15000 रुपये की मामूली पेंशन मिल रही है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट भी दंग है. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच हाईकोर्ट के एक रिटायर्ड जज की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने कहा है कि उन्हें सिर्फ 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट से हुए थे रिटायर
याचिकाकर्ता, जिला अदालत में 13 साल तक जूडिशल ऑफिसर के तौर पर सेवा देने के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज बने थे. उन्होंने दावा किया कि अधिकारियों ने पेंशन की कैलकुलेशन करते वक्त उनकी जूडिशल सर्विस पर विचार करने से इनकार कर दिया था. बेंच ने टिप्पणी की, 'हमारे सामने हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज हैं, जिन्हें 6,000 रुपये और 15,000 रुपये पेंशन मिल रही है, जो चौंकाने वाला है. ऐसा कैसे हो सकता है?'
27 नवंबर को अगली सुनवाई
जस्टिस गवई ने कहा कि जजों के लिए रिटायरमेंट के बाद की सुविधाएं हर हाईकोर्ट में अलग-अलग हैं और कुछ राज्यों ने बहुत बेहतर सुविधाएं दी हैं. इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 27 नवंबर के लिए तय कर दी. मार्च में एक अलग याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा था कि हाईकोर्ट्स के रिटायर्ड जजों के पेंशन लाभ की कैलकुलेशन में इस आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वे बार या जिला न्यायपालिका से प्रमोट हुए हैं. सबसे बड़ी अदालत ने कहा था कि जिला न्यायपालिका से प्रमोट हुए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों के पेंशन लाभों की कैलकुलेशन हाईकोर्ट के जजों के रूप में उनके आखिरी वेतन के आधार पर की जानी चाहिए.
(इनपुट-पीटीआई)