Noida News: ग्रेटर नोएडा में बन रही भव्य फिल्म सिटी और जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को कनेक्ट करने के लिए यमुना अथॉरिटी तैयारियों में जुटी है. दोनों को जोड़ने के लिए मोनो रेल चलाने की योजना है.
Trending Photos
Film City to Noida Airport Mono Rail Project: ग्रेटर नोएडा में बन रही भव्य फिल्म सिटी और जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट को कनेक्ट करने के लिए यमुना अथॉरिटी तैयारियों में जुटी है. दोनों को जोड़ने के लिए मोनो रेल चलाने की योजना है. कनेक्टिविटी के साथ इससे इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल गतिविधियों को भी रफ्तार मिलेगी. इस बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो चुका है. आइए जानते हैं मोनो रेल प्रोजेक्ट क्या है और इसका क्या फायदा लोगों को मिलने वाला है.
क्या है मोनो रेल प्रोजेक्ट?
मोनो रेल प्रोजेक्ट की लंबाई 14.6 किलोमीटर है. जो ग्रेटर नोएड में फिल्म सिटी और नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जोड़ेगी. मोनो रेल प्रोजेक्ट के लिए कंपनी का चयन हो गया है. सीमेंस कंपनी को विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है. बताया जा रहा है कि दो महीने के भीतर डीपीआर का काम पूरा कर लिया जाएगा.
मोनो रेल में खास क्या?
मोनो रेल कई मायनों में खास है. पहला ट्रैफिक जाम और पॉल्युशन से छुटकारा मिलेगा. दूसरा मोनो रेल का रूट एलिवेटेड होगा. इसकी रोड से ऊंचाई करीब 10 से 15 फीट होगी. यह दुर्घटना की संभावनाओं को भी कम करता है. मोनो रे लसे सफर करने वाले यात्रियों को बाहर का शोर सुनाई नहीं देता है. जर्मनी, जापान, चीन और मलेशिया जैसे देशों में इसका सफलतापूर्वक संचालन हो रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक टोक्यों में रोजाना इससे 1.27 लख लोग यात्रा करते हैं. भारत में इसकी शुरुआत मुंबई से 2014 में हुई थी.
मोनो रेल प्रोजेक्ट को चुनने का मकसद
मोनो रेल प्रोजेक्ट योजना को लेकर यमुना अथॉरिटी की दूरगामी नीति है. यह केवल कनेक्टिविटी तक ही सीमीति नहीं है बल्कि भविष्य के लिहाज से इसको यीडा सिटी के इंडस्ट्रियल सेक्टर और नोएडा एयरपोर्ट को सुपरफास्ट नेटवर्क देना भी है. इसका फायदा ग्रेटर नोएडा और जेवर के आसपास के इलाकों में इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल इंवेस्टमेंट को बढ़ावा मिलेगा. यह किफायती के साथ बेहतर कनेक्टिविटी देने में सक्षम है.
रफ्तार के साथ किफायती भी
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो मोनो रेल नेटवर्क प्रोजेक्ट अनुमानित लागत में नमो भारत के मुकाबले किफायती है. प्रति किलोमीटर के हिसाब से देखें तो यह 70 करोड़ रुपये बैठती है जबकि नमो भारत रेल ट्रैक की लागत करीब 250 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर आंकी गई थी. मोनो रेल की औसत स्पीड 65 से 80 किलोमीटर प्रतिघंटा है. मोनो का मतलब है एक यानी सिंगल. यह ट्रेन सिंगल रेल पर चलती है. मोनो रेल को ज्यादातर एलिवेटेड रखा जाता है.
पहले LRT चलाने की थी योजना
बता दें कि पहले पॉड टैक्सी और लाइट ट्रांजिट रेल (एलआरटी) को चलाने का प्रस्ताव रखा गया था. लेकिन पॉड टैक्सी को लेकर किसी कंपनी ने हाथ आगे नहीं बढ़ाया जबकि लाइट ट्रांजिट रेल को लेकर ट्रैक पर पेंच फंस गया. दरअसल एलआरटी को नमो भारत ट्रैक पर चलाने की सरकार ने हरी झंडी नहीं दिखाई. इस ट्रैक पर केवल नमो भारत और रैपिड रेल और मेट्रो को मंजूरी मिली है. जिसके बाद मोनो रेल नेटवर्क को चुना गया.